महाराष्ट्र में एक बार फिर से किसानों पर बरकरार कर्ज का मामला गर्मा गया है. राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बयान दिया है कि सरकार सिर्फ जरूरतमंद किसानों का ही कर्ज माफ करेगी, न कि उन किसानों का जो फार्महाउस और बंगले बना रहे हैं. उनके इस बयान के साथ ही एक बार फिर से कर्ज माफी का मामला सुर्खियों में आ गया है. इस साल की शुरुआत से ही राज्य में फसल ऋण पर घमासान मचा हुआ है.
बावनकुले ने मीडिया से कहा, 'मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में घोषणा की है कि महाराष्ट्र के जिन किसानों को वास्तव में कर्ज माफी की जरूरत है, उन्हें यह मिलनी चाहिए. जो कोई कृषि भूमि पर बंगला या फार्महाउस बनाकर कर्ज लेते हैं, उन्हें कर्ज माफी का हक क्यों मिलना चाहिए?' बावनकुले ने कहा कि एकमुश्त कर्ज माफी के बजाय, सरकार उन गरीब किसानों को राहत देने की दिशा में काम कर रही है जिनके खेतों से कोई उपज नहीं होती, जिन्होंने कर्ज लिया है और जो आत्महत्या के कगार पर हैं.
बावनकुल के अनुसार सरकार व्यक्तिगत सर्वे कराने और ऐसे किसानों को कर्ज माफी देने की योजना पर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है. राज्य विधानमंडल के हाल ही में संपन्न मॉनसून सत्र के दौरान, विपक्ष ने सरकार से सवाल किया था कि कर्ज माफी की घोषणा कब की जाएगी. उस समय, सरकार ने सदन को सूचित किया था कि कर्ज माफी दी जानी चाहिए या नहीं और इसे कैसे लागू किया जाना चाहिए, इस पर अध्ययन के लिए एक समिति गठित की गई है.
सरकार ने कहा था कि समिति अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद कोई फैसला लेगी. हाल के हफ्तों में राज्य भर में कर्ज माफी की मांग तेज हो गई है और विपक्षी दल इस मुद्दे पर सरकार को घेर रहे हैं. पिछले साल राज्य विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान, महायुति सरकार (भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा) ने किसानों के लिए ऋण माफी योजना का वादा किया था. हालांकि, सरकार बनने के छह महीने बाद भी, इस वादे पर अमल नहीं हुआ है. विपक्षी दलों ने महायुति सरकार से ऋण माफी के अपने वादे को पूरा करने की मांग की है. लेकिन, ऋण माफी को लेकर सत्तारूढ़ दल के भीतर मतभेद की खबरें आ रही हैं.
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