केंद्र सरकार की तरफ से आज किसानों के साथ एक खास वार्ता का आयोजन किया गया है. इस वार्ता में पाकिस्तान के साथ निरस्त की गई सिंधु जल संधि पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान किसानों से चर्चा करेंगे. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित ICAR के पूसा कैंपस में आयोजित इस वार्ता में कृषि मंत्री उत्तर भारत के किसान संगठनों और प्रतिनिधियों से मुखातिब होंगे. चर्चा में सिंधु नदी के पानी का फायदा उठाने वाले राज्य हिमाचल, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान संगठन मौजूद रहेंगे. आपको बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को खत्म कर दिया था.
जो संगठन कृषि मंत्री के साथ आयोजित वार्ता में शामिल हो रहे हैं, वो उन राज्यों से आते हैं जिन्हें सिंधु नदी के पानी का फायदा मिलता है. कृषि मंत्री की तरफ से इस वार्ता में किसानों के साथ पाकिस्तान के साथ निरस्त की गई सिंधु जल संधि पर विस्तार से चर्चा की जाएगी. बतौर केंद्र सरकार प्रतिनिधि शिवराज सिंह किसानों को बताएंगे कि किस तरह से भारत सरकार का फैसला उनके भले के लिए और उनके भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए लिया गया है. इसके अलावा वह किसानों को इस बात की जानकारी भी देंगे कि कैसे इतिहास में कांग्रेस सरकारों के गलत फैसलों से उत्तर भारत के किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है. कृषि मंत्री सिंधु जल संधि के कारण भारत को अभी तक हुए कुल नुकसान के बारे में किसानों से चर्चा करने वाले हैं.
एक पाकिस्तानी अधिकारी की तरफ से पिछले दिनों कहा गया था कि भारत ने चिनाब नदी के जरिये पाकिस्तान की तरफ आने वाला पानी रोक दिया है. इससे उसकी तरफ फसलों पर खतरा पैदा हो गया है. सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान में पानी के बहाव को कंट्रोल किया जाता है. पाकिस्तान ने उस समय कहा था कि पानी का कोई भी ठहराव युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा. पाकिस्तान की तरफ से यह बात स्वीकार की गई थी भारत ने पाकिस्तान को मिलने वाले सामान्य पानी की मात्रा में करीब 90 फीसदी तक की कटौती की है. पाकिस्तान के अनुसार अगर बहाव में कमी जारी रही तो इस्लामाबाद को खेतों में पानी की सप्लाई में पांचवां हिस्सा कम करना पड़ेगा.
सिंधु नदी सिस्टम (IRS) में झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज शामिल हैं. इनके प्रयोग के अधिकार सन् 1960 में हुई संधि के जरिये ये भारत और पाकिस्तान के बीच बांट दिए गए थे. पाकिस्तान सिंचाई के लिए पूरी तरह से सिंधु नदी पर ही निर्भर है. पाकिस्तान में मई से 10 जून तक खरीफ का शुरुआती मौसम होता है. 11 जून से 'देर खरीफ' का सीजन शुरू होता है जो सितंबर तक चलता है. भारत के फैसले से माना जा रहा है कि पाकिस्तान में कपास और चावल समेत दूसरी फसलों पर खासा असर पड़ने की संभावना है.
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