संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने पंजाब के किसानों को बधाई दी है और कहा है कि यहां के किसानों ने ही AAP सरकार को 65,000 एकड़ भूमि अधिग्रहण (14 मई 2025 की प्रत्यक्ष खरीद अधिसूचना) और 4 जून 2025 को आवास एवं शहरी विकास विभाग, पंजाब सरकार की ओर से जारी लैंड पूलिंग नीति 2025 को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया. पंजाब में संयुक्त किसान मोर्चा ने भगवंत सिंह मान सरकार के खिलाफ व्यापक अभियान और संघर्ष चलाए थे, जिनमें 30 जुलाई 2025 को ट्रैक्टर परेड भी शामिल था. किसानों ने आरोप लगाया था कि यह कदम रियल एस्टेट हितों के लिए है, भूस्वामी किसानों के अधिकारों का उल्लंघन करता है और किसानों की आजीविका और देश की खाद्य सुरक्षा पर हमला है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने एक प्रेस रिलीज में कहा है कि पंजाब की सभी राजनीतिक पार्टियों ने, सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) को छोड़कर, इस नीति का विरोध किया और अधिसूचना को वापस लेने की मांग की. पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने लैंड पूलिंग की अधिसूचना पर रोक लगाई हुई है. संयुक्त किसान मोर्चा ने AAP की निंदा करते हुए कहा कि उसने किसानों के साथ विश्वासघात किया है और किसानों और कृषि के लिए हानिकारक नीति अपनाई है.
हाल ही में कर्नाटक के देवनहल्ली के किसानों ने भी विजय हासिल की, जब कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार को 1777 एकड़ उपजाऊ कृषि भूमि के जबरन अधिग्रहण को डीनोटिफाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा. किसानों ने लगातार तीन वर्षों तक संघर्ष किया और उपजाऊ भूमि की रक्षा की, जिससे यह जीत अनूठी और निर्णायक बन गई.
संयुक्त किसान मोर्चा, पंजाब 24 अगस्त 2025 को समराला में विशाल विजय रैली करेगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने पूरे भारत के किसानों से आह्वान किया है कि वे गांव-गांव में इन विजयों का उत्सव मनाएं और उन राजनीतिक दलों को बेनकाब करें जो कॉरपोरेट ताकतों के हित में किसानों के कल्याण और कृषि के साथ विश्वासघात कर रहे हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, 'NDA की मोदी सरकार ने 2014 में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन (LARR) अधिनियम 2013 में संशोधन करने और भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाने की कोशिश की थी, लेकिन भूमि अधिकार आंदोलन और अन्य किसान संगठनों के देशव्यापी संघर्षों के कारण वह कानून नहीं बन सका. इसके बाद बीजेपी शासित राज्य सरकारों ने विधानसभा में ऐसे भूमि अधिग्रहण कानून बनाए जो कृषि भूमि को कॉरपोरेट के हवाले करने का रास्ता खोलते हैं और संसद की ओर से पारित कानून का उल्लंघन करते हैं'.
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