Shaktipeeth Expressway: न जमीन दी जाएगी, न किसी की सुनी जाएगी! महाराष्‍ट्र के किसानों का बड़ा ऐलान

Shaktipeeth Expressway: न जमीन दी जाएगी, न किसी की सुनी जाएगी! महाराष्‍ट्र के किसानों का बड़ा ऐलान

Shaktipeeth Expressway: किसानों ने साफ कर दिया है कि किसी को भी उनकी जमीन नहीं लेने दी जाएगी. यहां पर एक्‍सप्रेसवे के लिए जमीन को मापने का काम शुरू हो गया है जोकि 27 जुलाई तक चलेगा. किसान हालांकि अब शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन वो जमीन नहीं मापने दे रहे हैं. किसानों का स्‍पष्‍ट कहना है कि 'जमीन के बदले जमीन' पर ही वो इसके लिए राजी हैं और उन्‍हें मुआवजा मंजूर नहीं है. 

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 Shaktipeeth Expressway: न जमीन दी जाएगी, न किसी की सुनी जाएगी! महाराष्‍ट्र के किसानों का बड़ा ऐलानshaktipeeth expressway maharashtra: महाराष्‍ट्र में जारी किसानों का प्रदर्शन

'हम अपनी जमीन शक्तिपीठ हाइवे के लिए नहीं देना चाहते हैं और न ही हम इस मुद्दे पर किसी की सुनना चाहते हैं', यह कहना है महाराष्‍ट्र के उन किसानों का जिनकी जमीन शक्तिपीठ एक्‍सप्रेसवे के लिए अधिग्रहित की जाने वाली है. किसान इस मुद्दे पर झुकने को हरगिज तैयार नहीं हैं और उनका कहना है कि एक इंच भी जमीन इस एक्‍सप्रेस वे के लिए नहीं दी जाएगी. करीब एक साल से यह मामला गर्म और महाराष्‍ट्र में इस पर किसानों ने विरोध प्रदर्शन भी शुरू कर दिया है. 

अधिकारियों को काम करने से रोका 

मराठी मीडिया वेबसाइट पर आई एक रिपोर्ट के अनुसार किसानों ने साफ कर दिया है कि किसी को भी उनकी जमीन नहीं लेने दी जाएगी. यहां पर एक्‍सप्रेसवे के लिए जमीन को मापने का काम शुरू हो गया है जोकि 27 जुलाई तक चलेगा. लेकिन किसानों ने अपना मन बना लिया है. उन्‍होंने अधिकारियों से साफ कर दिया है कि वो चाहे तो पंचनामा तैयार कर लें या वापस जा करें ये कहें कि किसान विरोध कर रहे हैं, लेकिन उन्‍हें जमीन मापने नहीं दी जाएगी. किसानों ने उन अधिकारियों का विरोध किया जो जमीन को मापने के लिए आए थे और साथ ही उन्‍हें काम करने से रोका.  

शुरू हुआ सीमांकन का काम 

कार्यक्रम के अनुसार रेनापुर तालुका में मोरवाड और मोटेगांव के बाद शुक्रवार को किसानों ने केसर के करीब प्रदर्शन जारी रखा. इसकी वजह से गणना के लिए आए प्रशासनिक अधिकारियों को लौटना पड़ा. हालांकि जिला प्रशासन की तरफ से यह जानकारी दी गई है कि वो अपनी कोशिशें जारी रखेंगे और अगले कुछ दिनों में गणना का काम शेड्यूल के मुताबिक ही चलेगा. प्रशासन ने शक्तिपीठ एक्‍सप्रेव के लिए जो जमीन अधिग्रहित की जानी है, उसका सीमांकन शुरू कर दिया है. 

जमीन के बदले सिर्फ जमीन 

27 जुलाई तक माप का काम पूरा होना है. अधिकारियों और कर्मियों को उनसे जुड़े इलाकों में मापन के लिए भेजा जाने लगा है. विरोध के बाद भी पहले दिन अधिकारी और स्‍टाफ तय शेड्यूल के तहत ही पहुंचे. किसान हालांकि अब शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन वो जमीन नहीं मापने दे रहे हैं. किसानों ने साफ कर दिया है कि 'जमीन के बदले जमीन' पर ही वो इसके लिए राजी हैं और उन्‍हें मुआवजा मंजूर नहीं है. 

नष्‍ट हो जाएगी उपजाऊ जमीन 

शक्तिपीठ एक्‍सप्रेसवे 12 जिलों से एक्सप्रेसवे गुजरने वाला है. महाराष्‍ट्र सरकार ने 24 जून को 802 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे के लिए डिजाइन और भूमि अधिग्रहण की मंजूरी दी थी. प्रोजेक्‍ट के तहत 7,500 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है. कोल्हापुर, बीड, सांगली, धाराशिव जैसे जिलों के किसान इस प्रोजेक्‍ट के लिए भूमि सर्वेक्षण तक नहीं करने दे रहे हैं. उनका कहना है कि इस एक्‍सप्रेसवे की वजह से हजारों किसानों की खेती योग्य उपजाऊ जमीन नष्‍ट हो जाएगी. प्रोजेक्‍ट के लिए सरकार ने कुल 20,787 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. 

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