भारतीय कीटनाशक निर्माता और फॉर्म्युलेटर संघ (PMFAI) ने अमेरिका द्वारा हाल ही में कीटनाशकों पर 50% आयात शुल्क (टैरिफ) बढ़ाने के फैसले पर गहरी चिंता जताई है. यह फैसला भारतीय निर्यातकों और वैश्विक सप्लाई चेन पर बुरा असर डाल सकता है, खासकर दवाओं, पशु चिकित्सा, खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में.
अमेरिका ने 2 अप्रैल 2025 को "Reciprocal Tariff" के तहत यह फैसला लिया, जिसका मकसद अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना है. हालांकि, दवाओं (फार्मास्युटिकल्स) को इस टैरिफ से छूट दी गई है, लेकिन कई ऐसे कीटनाशक जो मानव या पशु चिकित्सा में काम आते हैं, उन्हें यह छूट नहीं दी गई क्योंकि वे एग्रोकेमिकल कोड में दर्ज हैं.
PMFAI ने सरकार से अपील की है कि ऐसे कीटनाशकों को फार्मास्युटिकल श्रेणी में रखा जाए जिनका उपयोग चिकित्सा और पशु चिकित्सा में होता है. जैसे:
इनका पुनः वर्गीकरण (Reclassification) करके इन्हें HS कोड 30 के तहत फार्मा श्रेणी में लाना चाहिए.
PMFAI ने यह भी कहा कि WHO द्वारा अनुशंसित कीटनाशकों पर टैरिफ लगाना खतरनाक हो सकता है क्योंकि ये मलेरिया, डेंगू और अन्य बीमारियों से लड़ने में बहुत जरूरी हैं. इन कीटनाशकों में शामिल हैं:
भारत इनका बड़ा निर्यातक है और टैरिफ बढ़ने से अमेरिका और दूसरे देशों में इनकी आपूर्ति बाधित हो सकती है.
कई ऐसे कीटनाशक जिनका अमेरिका में निर्माण नहीं होता लेकिन भारत से निर्यात होता है, वे भी इस टैरिफ के कारण प्रभावित होंगे. इनमें शामिल हैं:
इनका उपयोग फसलों की सुरक्षा के लिए किया जाता है. इन पर टैरिफ बढ़ने से अमेरिका की खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ सकता है.
PMFAI ने भारत सरकार से निम्नलिखित कदम उठाने की अपील की है:
PMFAI का मानना है कि यह सिर्फ व्यापार का मुद्दा नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा से जुड़ा गंभीर विषय है. इन आवश्यक उत्पादों की आपूर्ति बाधित होने से मलेरिया नियंत्रण, पशु चिकित्सा और खाद्य उत्पादन पर असर पड़ेगा.
डॉ. संदीप सिंह, सलाहकार, PMFAI ने कहा – “भारत की कीटनाशक उद्योग वैश्विक स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है. हम सरकार से अपील करते हैं कि भारत के निर्यातकों को बचाने और जरूरी कीटनाशकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाएं.”
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