पिछले 5 वर्षों में भारत से अमेरिका को सोयामील की एक्सपोर्ट में 90% से ज़्यादा की गिरावट आई है. 2020-21 में जहां भारत ने अमेरिका को करीब 2.27 लाख टन सोयामील एक्सपोर्ट किया था, वहीं 2024-25 में यह मात्रा घटकर सिर्फ 21,313 टन रह गई है. इस गिरावट की मुख्य वजह है अमेरिका द्वारा लगाया गया एंटी-डंपिंग और काउंटरवेलिंग ड्यूटी. 2021-22 में अमेरिका की इंटरनेशनल ट्रेड कमीशन (ITC) ने भारत से होने वाले ऑर्गेनिक सोयामील के खिलाफ एक डंपिंग जांच शुरू की थी.
ITC ने पाया कि भारत से भेजा गया सोयामील कम कीमत पर बेचा जा रहा था, जो अमेरिकी मार्केट के लिए "न्यायसंगत मूल्य" से नीचे था.
ITC की जांच के दौरान जब सभी एक्सपोर्टर्स को अपनी बात रखने का मौका दिया गया, तब सिर्फ एक ही भारतीय कंपनी ने जवाब दिया. बाकी सभी कंपनियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. इसके चलते अमेरिका ने भारत पर कड़ी सज़ा के रूप में 290% से ज़्यादा टैक्स लगा दिया.
अमेरिका की एक संस्था Organic Soybean Processors of America (OSPA) ने मार्च 2021 में दावा किया कि भारत से आने वाला सोयामील डंपिंग के तहत बेचा जा रहा है और सरकार से सब्सिडी भी मिल रही है. इसके बाद ही अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स और ITC ने जांच शुरू की.
भारत से जो सोयामील अमेरिका को भेजा जाता था, वह नॉन-GM (जनरेटिकली मॉडिफाइड नहीं) होता था. अमेरिका में 95% सोयाबीन GM होता है, इसलिए वहां के कुछ विशेष सेगमेंट के लिए भारतीय सोयामील की मांग थी. इसके अलावा, भारतीय सोयामील में तेल की मात्रा 5-6% होती थी, जबकि सामान्य सोयामील में सिर्फ 1% होती है. इसे मुख्य रूप से चिकन फीड के रूप में इस्तेमाल किया जाता था.
ITC के फैसले के बाद किसी भी भारतीय कंपनी ने अमेरिका को एक्सपोर्ट करने की कोशिश नहीं की. SEA और SOPA के अनुसार, इतनी भारी ड्यूटी के बाद कोई भी कंपनी अमेरिका को सोयामील भेजने का जोखिम नहीं उठाएगी.
हालांकि कुल मिलाकर सोयामील एक्सपोर्ट स्थिर है, लेकिन अमेरिका जैसा बड़ा मार्केट खो देना भारतीय एक्सपोर्टर्स के लिए नुकसानदायक है.
अगर भारतीय कंपनियों ने समय रहते अमेरिका की जांच में जवाब दिया होता, तो शायद इतनी भारी ड्यूटी नहीं लगती. अब ज़रूरत है कि सरकार और उद्योग संगठन मिलकर निर्यातकों को सही समय पर गाइड करें, ताकि भविष्य में ऐसा नुकसान न हो.
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