Onion Price: '2025 में घाटा उठाते रहे प्‍याज किसान', अब 2026 को लेकर सरकार को पहले ही दी चेतावनी

Onion Price: '2025 में घाटा उठाते रहे प्‍याज किसान', अब 2026 को लेकर सरकार को पहले ही दी चेतावनी

Pyaz Mandi Bhav: महाराष्‍ट्र के किसान नेता भरत दिघोल ने कहा कि प्याज किसानों के लिए 2025 भारी घाटे का साल रहा. किसान संगठन का आरोप है कि उत्पादन लागत 22-25 रुपये प्रति किलो रही, जबकि बाजार भाव 8-18 रुपये के बीच रहे. अब किसान नेता ने सरकार को 2026 को लेकर पहले ही चेतावनी दी है. जानिए उन्‍होंने क्‍या कहा...

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Onion Price: '2025 में घाटा उठाते रहे प्‍याज किसान', अब 2026 को लेकर सरकार को पहले ही दी चेतावनीOnion Price Warning to govt

देश में साल 2025 प्याज उगाने वाले किसानों के लिए भारी आर्थिक नुकसान का साल रहा. महाराष्ट्र राज्‍य प्‍याज उत्‍पादक संगठन ने कहा कि पूरे साल प्याज के बाजार भाव किसानों की उत्पादन लागत से काफी नीचे रहे, जिससे किसान कर्ज और संकट में फंस गए. संगठन के अध्‍यक्ष भरत दिघोले ने बताया कि प्याज की प्रति किलो उत्पादन लागत 22 से 25 रुपये यानी 2200 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल रही, जबकि किसानों को पूरे साल औसतन 8 से 18 रुपये प्रति किलो यानी 800 से 1800 रुपये क्विंटल का ही भाव मिला. 

भरत दिघाेले ने कहा कि जनवरी में प्‍याज का औसत भाव 20 रुपये, फरवरी में 22 रुपये, मार्च में 14 रुपये, अप्रैल में 8 रुपये, मई में 9 रुपये, जून में 13 रुपये, जुलाई और अगस्त में 12 रुपये, सितंबर में 9 रुपये, अक्टूबर में 10 रुपये, नवंबर में 12 रुपये और दिसंबर में 14 से 15 रुपये के आसपास रहा. इसके बाद भाव करीब 18 रुपये तक पहुंचे, लेकिन तब तक किसानों को भारी नुकसान हो चुका था.

'केंद्र ने उपलब्‍धता के बीच बफर स्‍टॉक बनाया'

किसान संगठन ने आरोप लगाया कि जब देश में प्याज की भरपूर उपलब्धता थी और बाजार भाव पहले से ही लागत से नीचे थे, तब केंद्र सरकार ने NAFED और NCCF के जरिए करीब तीन लाख टन प्याज खरीदकर बफर स्टॉक बनाया. भरत दिघोले ने कहा कि इस खरीद प्रक्रिया में किसानों से सीधे प्याज नहीं लिया गया, बल्कि बिचौलियों और ठेकेदारों के जरिए घटिया और कागजी लेनदेन किया गया.

भरत दिघोले ने लगाए ये आरेप

उन्होंने आरोप लगाया कि बफर स्टॉक का इस्तेमाल किसानों और उपभोक्ताओं को राहत देने के बजाय कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया. सरकार ने इसी बफर स्टॉक से घरेलू बाजार और विदेशों में सस्ते दाम पर प्याज बांटा, जिससे बाजार में कीमत बढ़ने की हर संभावना खत्म हो गई. नतीजा यह हुआ कि पूरे साल किसानों को घाटे में प्याज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा.

किसान नेता भरत दिघोले ने कहा कि यह सिर्फ बाजार की सामान्य गिरावट नहीं, बल्कि एक नीतिगत अन्याय है. इससे किसान कर्जदार होते चले गए और कई तो गंभीर आर्थिक संकट में फंस गए, जबकि सरकार आंकड़ों के जरिए स्थिति को नियंत्रित बताती रही.

संगठन ने सरकार के सामने रखी ये मांगें

महाराष्ट्र स्टेट अनियन प्रोड्यूसर्स एंड फार्मर्स एसोसिएशन ने सरकार के सामने कई मांगें रखी हैं. संगठन ने 2025 में हुए बफर स्टॉक की खरीद और वितरण की हाई लेवल ज्यूडिशियल जांच की मांग की है. इसके साथ ही NAFED और NCCF के लिए प्याज खरीदने वाली सभी संस्थाओं की वित्तीय जांच और दोषियों पर आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई है.

किसान संगठन ने दी दिल्‍ली कूच की चेतावनी

किसान संगठन ने उत्पादन लागत के आधार पर प्याज के लिए कानूनी सपोर्ट प्राइस तय करने और 2025 में हुए नुकसान की भरपाई प्राइस डिफरेंस सब्सिडी के जरिए करने की मांग भी की है. संगठन ने चेतावनी दी है कि मांगें नहीं मानी गईं तो राज्यभर में मार्केट कमेटियां बंद की जाएंगी और NAFED और NCCF कार्यालयों पर आंदोलन होगा.

जरूरत पड़ी तो दिल्ली तक राष्ट्रीय स्तर का किसान संघर्ष शुरू किया जाएगा. भरत दिघोले ने साफ कहा कि अगर 2026 में भी किसानों को नुकसान पहुंचाने वाली वही प्याज नीति जारी रही तो किसान चुप नहीं बैठेंगे. यह सिर्फ प्याज का नहीं, बल्कि किसानों के अस्तित्व का सवाल है.

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