
केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए कुछ शर्तों के साथ प्याज एक्सपोर्ट खोल दिया है. यानी एक्सपोर्ट पर लगी रोक अब हटा ली गई है. इस बारे में नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. शर्त यह है कि कोई भी एक्सपोर्टर 550 यूएस डॉलर प्रति मीट्रिक टन से कम दाम पर इसका निर्यात नहीं करेगा. प्याज एक्सपोर्टरों और किसानों की पांच महीने की लड़ाई के बाद इसका निर्यात खोला गया है. किसान तक ने तीन दिन पहले 1 मई को ही 'प्याज एक्सपोर्ट पर उलझी महाराष्ट्र की सियासत, डैमेज कंट्रोल के लिए केंद्र कर सकता है बड़ा फैसला' शीर्षक से एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें बताया गया था कि महाराष्ट्र में अगले तीन चरणों की वोटिंग के दौरान प्याज को लेकर 14 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को नुकसान की आशंका को देखते हुए सरकार जल्द ही एक्सपोर्ट खोलने के बारे में बड़ा फैसला ले सकती है.
फिलहाल अब इस आदेश के बाद किसानों को बड़ी राहत मिली है. उन्हें उम्मीद है कि वो रबी सीजन के प्याज का अच्छा दाम कमा पाएंगे. एक्सपोर्ट बैन होने की वजह से घरेलू बाजार में प्याज की आवक बढ़ गई थी, जिसकी वजह से दाम कम हो गए थे. फिलहाल, आज 4 मई की सुबह डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) की ओर से जो नोटिफिकेशन जारी किया गया है उसमें ऐसी कोई शर्त नहीं है कि इसे सहकारिता मंत्रालय की ओर से बनाई गई कंपनी नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड (NCEL) ही एक्सपोर्ट करेगा. बल्कि अब कोई भी एक्सपोर्टर प्याज का निर्यात कर सकता है.
केंद्र सरकार ने महंगाई को काबू करने के लिए 7 दिसंबर 2023 की देर रात प्याज के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था. निर्यात यह रोक 31 मार्च 2024 तक ही लागू थी. लेकिन सरकार ने 22 मार्च 2024 को एक नोटिफिकेशन निकालकर एक्सपोर्ट पर लगी रोक को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया था. इसके बाद जब 25 अप्रैल 2024 को सरकार ने गुजरात के 2000 मीट्रिक टन सफेद प्याज के निर्यात की मंजूरी दी तब महाराष्ट्र में इसकी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली. किसानों ने विपक्षी नेताओं ने सरकार के इस फैसले को गुजरात बनाम महाराष्ट्र बनाकर पेश किया.
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एक्सपोर्ट के लिए 550 यूएस डॉलर प्रति टन की शर्त लगाई गई है. यानी यह प्याज का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) है. अगर रुपये में बात करें तो कोई भी एक्सपोर्टर 46 रुपये प्रति किलो से कम दाम पर प्याज निर्यात नहीं कर सकेगा. बहरहाल, पांच महीने बाद भारत की प्याज के अंतरराष्ट्रीय बाजार में वापसी होने से किसानों और निर्यातकों में खुशी की लहर है. क्योंकि कई महीने से कम दाम की वजह से परेशान किसानों को अब सही दाम मिलने की उम्मीद जगी है.
बताया जा रहा है कि उपभोक्ता मामले मंत्रालय की नई सचिव निधि खरे ने प्याज का एक्सपोर्ट खुलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसका गुणा-भाग लगाया कि कितना उत्पादन है, कितनी डिमांड और एक्सपोर्ट नहीं होगा तो कितना प्याज सड़ जाएगा. उन्होंने देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र से इसकी ग्राउंड रिपोर्ट लेकर यह साहसिक फैसला लिया, ताकि कंज्यूमर के साथ-साथ किसानों को भी राहत मिले.
क्योंकि अगर प्याज एक्सपोर्ट बैन कायम रहता तो किसान इसकी खेती को और कम कर देते और आगे चलकर प्याज की भारी किल्लत होती. ऐसे में दाम बढ़ता तो उपभोक्ता परेशान होते. इसलिए एक्सपोर्ट बैन खत्म करने के फैसला दूरदृष्टि वाला कहा जा सकता है. एक्सपोर्ट खुलवाने के लिए महाराष्ट्र के किसान नासिक के एक एक्सपोर्टर विकास सिंह के जरिए कई बार अपनी आवाज उपभोक्ता मामले मंत्रालय तक पहुंचाई.
प्याज एक्सपोर्ट बैन के खिलाफ महाराष्ट्र के किसानों, व्यापारियों और एक्सपोर्टरों में सरकार के खिलाफ सबसे ज्यादा गुस्सा था. लेकिन, अब केंद्र के इस निर्णय से महाराष्ट्र में होने वाले अगले तीन चरणों के चुनाव में बीजेपी को फायदा मिल सकता है. क्योंकि अब वो इस बात का प्रचार कर सकती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी किसानों के हित में सरकार ने एक्सपोर्ट खोल दिया है.
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