महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. चुनाव आयोग फिलहाल वोटर लिस्ट को अपडेट करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है. आखिरी वोटर लिस्ट 30 अगस्त को जारी की जाएगी. चुनावों से पहले राज्य में आने वाले सर्वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए बुरे संकेत दे रहे हैं. हालिया सर्वे में उद्धव ठाकरे की अगुवाई में महाविकास अघाड़ी गठबंधन को भारी बहुमत मिलने की बात कही गई है. महाराष्ट्र में हरियाणा, झारखंड और शायद जम्मू-कश्मीर के साथ चुनाव होने हैं. इस साल महाराष्ट्र में होने वाले चुनावी मुकाबले पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, विपक्षी गठबंधन की तरफ से किए एक आंतरिक सर्वेक्षण के अनुसार, महा अघाड़ी गठबंधन 288 विधानसभा सीटों में से 165 सीटें जीत सकता है. यह आंकड़ा राज्य में सरकार बनाने के लिए जरूरी 144 सीटों के आंकड़े से कहीं ज्यादा है. सर्वे के नतीजों के अनुसार, महाअघाड़ी को नागपुर, अमरावती, मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र क्षेत्रों में बढ़त मिली है. जबकि सत्तारूढ़ महायुति मुंबई, कोंकण और उत्तर महाराष्ट्र क्षेत्रों में विधानसभा क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनाए हुए है.
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महाराष्ट्र विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल में पिछले दो सालों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं.इसमें पिछले पांच सालों में तीन मुख्यमंत्री और इतनी ही सरकारें बनी हैं. ऐसे में चुनावों के दिलचस्प होने की पूरी संभावना है. एक सर्वे में महाविकास अघाड़ी गठबंधन को बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति की तुलना में स्पष्ट बहुमत मिलने की बात कही गई है. महा अघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) शामिल हैं. जबकि महायुति में बीजेपी, शिवसेना का एकनाथ शिंदे गुट और एनसीपी (अजित पवार) शामिल हैं.
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साल 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. अगर उसकी चुनाव पूर्व सहयोगी शिवसेना ने गठबंधन तोड़ने का फैसला नहीं किया होता तो वह आसानी से सरकार बना लेती. बीजेपी ने 105 सीटें जीतीं जबकि शिवसेना को 56 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. दूसरी ओर, कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं, जबकि अविभाजित एनसीपी को 54 सीटें मिलीं. हालांकि बाद में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर लिया और आखिर में उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री नियुक्त करके सरकार बना ली.
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विधानसभा का कार्यकाल आधे से भी कम ही था जब शिवसेना में बगावत हो गई. इसमें एकनाथ शिंदे पार्टी के ज्यादातर विधायकों के साथ बाहर चले गए. इससे एमवीए सरकार अल्पमत में आ गई. उद्धव को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा और बीजेपी ने शिवसेना विधायकों के विद्रोही गुट के समर्थन से सरकार बनाई, जिसमें एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने. शरद पवार की एनसीपी को भी बाद में इसी तरह की बगावत का सामना करना पड़ा. इस बगावत में अजित पवार पार्टी विधायकों के एक बड़े गुट के साथ एनडीए में शामिल हो गए और फडणवीस के साथ उन्हें उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया.
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हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में महाअघाड़ी ने राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 31 पर जीत हासिल की है. अगर विधानसभा क्षेत्रों में भी इस संख्या को जोड़ा जाए तो विपक्षी गठबंधन के पक्ष में 288 में से 188 सीटें होंगी. महाअघाड़ी के सहयोगी दलों को उम्मीद है कि वो विधानसभा चुनावों में भी लोकसभा वाला प्रदर्शन दोहराएंगे. उन्होंने महाराष्ट्र में स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाने का भरोसा जताया है. चुनावों के लिए महाअघाड़ी के सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे पर बातचीत जल्द ही मुंबई में शुरू होने वाली है.
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