किसान कर्ज माफी पर पवार के विवादित बोलमहाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने एक बार फिर किसानों पर ऐसा बयान दिया है जिससे विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर किसानों को हर चीज मुफ्त में क्यों चाहिए और वो बार-बार कर्ज माफी की मांग क्यों करते हैं. पवार ने कहा कि यह कर्ज माफी मांगने की आदत बिल्कुल भी ठीक नहीं है. एक रैली को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार ने सवाल किया कि किसान हमेशा कर्ज माफी की मांग क्यों करते रहते हैं.
डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि किसानों के कर्ज पहले भी माफ किए जा चुके हैं. एक बार पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के कार्यकाल में और बाद में देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली राज्य सरकारों के दौरान भी ऐसा किया गया था. उन्होंने आगे कहा कि कर्ज माफी कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे बार-बार किया जाना चाहिए. अजीत पवार ने कहा, 'राज्य सरकार किसानों को फसल ऋण जीरो इंट्रेस्ट रेट पर देती है. फिर भी वो कर्ज माफी की मांग करते हैं. यह बिल्कुल भी अच्छी आदत नहीं है.'
उन्होंने आगे कहा, 'हम चुनाव जीतकर सत्ता में आना चाहते थे. इसलिए 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हमने कर्ज माफी का वादा किया था. अब किसान फिर से कर्ज माफी की मांग कर रहे हैं लेकिन यह फैसला लेना आसान नहीं है क्योंकि इसे लागू करने में हजारों करोड़ रुपये लगते हैं.' इस बयान के जरिए पवार ने किसान समुदाय पर सीधा निशाना साधा. यह पहली बार नहीं है जब अजीत पवार अपने बयान को लेकर विवादों में आए हों. साल 2013 में, जब महाराष्ट्र गंभीर जल संकट से जूझ रहा था. तब उन्होंने एक विवादास्पद टिप्पणी करते हुए कहा था कि 'जब बांध में पानी ही नहीं है तो क्या मैं उसमें पेशाब करूं?' इस बयान ने उस समय भारी नाराजगी पैदा की थी.
अब उनका हालिया बयान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के उस वादे पर सवाल खड़ा करता है, जिसमें उन्होंने अगले साल जून के अंत तक किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी. विपक्ष ने अजीत पवार पर तीखा हमला बोला है. विपक्ष का कहना है कि कर्ज माफी की मांग किसानों ने नहीं, बल्कि महायुति ने खुद चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था.
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सापकाळ ने कहा, 'महायुति आज सत्ता में है, लेकिन अब वे अपने वादे से मुकर रहे हैं. यह दिखाता है कि मौजूदा सरकार किसानों की परेशानियों को लेकर कितनी असंवेदनशील है. किसान मुश्किल में हैं, इसलिए वो कर्ज माफी की मांग कर रहे हैं. साथ ही वे महायुति को उसके चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे की याद भी दिला रहे हैं. अगर यह सरकार किसानों का कर्ज माफ नहीं कर सकती, तो उसे सत्ता से इस्तीफा दे देना चाहिए. अपने किए वादे पूरे न कर पाने वाली सरकार का सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.'
यह भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today