पंजाब में खाद की कमीपंजाब के किसान, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेतृत्व में, 4 नवम्बर को पूरे राज्य के सभी ज़िलों में डिप्टी कमिश्नर (DC) को ज्ञापन सौंपेंगे. किसानों का आरोप है कि गेहूं की बुवाई के लिए ज़रूरी डीएपी (Diammonium Phosphate) खाद के साथ उन्हें जबरन गैर-ज़रूरी उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
संयुक्त किसान मोर्चा, जो 30 से अधिक किसान यूनियनों का संगठन है, सरकार से निम्नलिखित माँगें करेगा:
SKM के नेता जुगराज सिंह कबरवाला ने कहा, “अगर 4 नवम्बर को ज्ञापन देने के बाद भी हमारी समस्याएँ हल नहीं हुईं, तो हम आगे की कार्रवाई की योजना बनाएंगे.”
पंजाब के किसानों का कहना है कि डीएपी खाद की भारी कमी है. यह खाद गेहूं की बुवाई के लिए सबसे ज़रूरी होती है. कमी के कारण बुवाई में देरी हो रही है, जिससे फसल की पैदावार पर असर पड़ सकता है.
किसानों का आरोप है कि खाद विक्रेता उन्हें डीएपी के साथ गैर-ज़रूरी उत्पाद भी खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं. ये अतिरिक्त उत्पाद 250 से 500 रुपये तक के होते हैं और हर एक-दो बैग के साथ बेचे जा रहे हैं.
भਰपूर सिंह, मानसा के किसान, ने बताया, “मैं कई दिनों से डीलरों के पास जा रहा हूँ लेकिन डीएपी नहीं मिल रही. देरी से बुवाई होने पर उपज घटेगी.” निर्मल सिंह, फाज़िल्का से, ने कहा, “दो बैग डीएपी खरीदने पर हमें एक ‘नैनो डीएपी’ 500 रुपये में ज़बरदस्ती दी जा रही है. अधिकारी क्या कर रहे हैं?”
बलजीत सिंह लांडे रोडे, मुक्तसर के किसान नेता, ने कहा, “80-90 प्रतिशत किसान डीएपी की कमी से जूझ रहे हैं. प्रशासन को बताया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.”
हालाँकि, कृषि अधिकारियों ने डीएपी की कमी से इनकार किया है. मानसा के मुख्य कृषि अधिकारी हरविंदर सिंह ने कहा, “कुछ रैक आ चुके हैं और 10 नवम्बर तक और आठ रैक आने वाले हैं. अभी बुवाई की शुरुआत हुई है और लगभग 5% क्षेत्र में ही बुवाई हुई है.” मुक्तसर के कृषि अधिकारी जगसीर सिंह ने कहा, “शनिवार तक डीएपी की नई खेप आ जाएगी. किसी भी जबरन बिक्री की शिकायत नहीं मिली है.”
कृषि निदेशक डॉ. जसवंत सिंह ने बताया, “राज्य को कुल 5 लाख मीट्रिक टन डीएपी चाहिए, जिसमें से 3.8 लाख मीट्रिक टन आ चुका है. आपूर्ति रोज़ जारी है.”
पंजाब के किसान डीएपी की कमी और ज़बरदस्ती बिक्री से बेहद परेशान हैं. यदि सरकार ने समय रहते आपूर्ति और वितरण की समस्या नहीं सुलझाई, तो गेहूं की बुवाई पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है. 4 नवम्बर को किसानों का यह प्रदर्शन सरकार को उनकी कठिनाइयों की गंभीरता दिखाने का प्रयास होगा.
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