किसानों को कब मिलेगी बिजली, पानी, सड़क की सुविधा? कब्र में लेटकर शुरू किया समाधि आंदोलन

किसानों को कब मिलेगी बिजली, पानी, सड़क की सुविधा? कब्र में लेटकर शुरू किया समाधि आंदोलन

अपनी खेती-बाड़ी में बिजली के लिए कई बार किसानों ने जिला मुख्यालय का चक्कर लगाया, मगर अभी तक कुछ भी नहीं हुआ. पहना पानी, अठुला, परहैया टोला आदि गांव में अच्छी सड़कें नहीं हैं. इसके कारण इमरजेंसी में इन टोलों में बीमार मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं आ पाती है. शुद्ध पेयजल भी यहां के किसानों को नसीब नहीं है. थक-हार कर खुले आसमान के नीचे अन्नदाता किसान जमीन समाधि सत्याग्रह कर रहे हैं.

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किसानों को कब मिलेगी बिजली, पानी, सड़क की सुविधा? कब्र में लेटकर शुरू किया समाधि आंदोलनलातेहार में जमीन सत्याग्रह आंदोलन

झारखंड के लातेहार में किसानों ने अनोखे ढंग से विरोध प्रदर्शन शुरू किया है. यहां के चंदवा प्रखंड अंतर्गत कामता पंचायत के सांसद आदर्श ग्राम चटुआग में किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया है. किसानों ने अपनी मूलभूत सुविधाएं जैसे कि बिजली, पानी, सड़क, जमीन को लेकर जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू किया है. किसान खुले कब्र में लेटकर समाधि देने की चेतावनी दे रहे हैं और अपनी मांगें मनवाने के लिए प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं.

इस सत्याग्रह की अगुवाई कर रहे पंचायत समिति सदस्य अयूब खान ने कहा कि साल 2017-18 में भारतीय जनता पार्टी के चतरा लोकसभा सांसद सुनील सिंह ने चटुआग को आदर्श ग्राम के रूप में चुना था. यह गांव आदिवासी बहुल इलाका है. बाद में जिला प्रशासन ने संपूर्ण कामता पंचायत को सांसद आदर्श पंचायत घोषित कर दिया.

नहीं पूरी हुईं किसानों की मांगें

प्रधानमंत्री की योजना के अनुसार 2019 तक इस ग्राम पंचायत में सभी बुनियादी सुविधाएं बहाल करनी थीं, लेकिन यह पूरा इलाका 7 साल बाद भी विकास की राह देख रहा है. पंचायत समिति के सदस्य बताते हैं कि सांसद आदर्श ग्राम चटुआग और आदर्श पंचायत कामता में अब तक न तस्वीर बदली है और न ही तकदीर बदली. उस समय अन्नदाता किसानों को लगा था कि अब ग्राम पंचायत में बिजली, पानी, सड़क, पुल की समस्या दूर होगी. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. 

अपनी खेती-बाड़ी में बिजली के लिए कई बार किसानों ने जिला मुख्यालय का चक्कर लगाया, मगर अभी तक कुछ भी नहीं हुआ. पहना पानी, अठुला, परहैया टोला आदि गांव में अच्छी सड़कें नहीं हैं. इसके कारण इमरजेंसी में इन टोलों में बीमार मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं आ पाती है. शुद्ध पेयजल भी यहां के किसानों को नसीब नहीं है. थक-हार कर खुले आसमान के नीचे अन्नदाता किसान जमीन समाधि सत्याग्रह कर रहे हैं. किसान जमीन में गड्ढा खोदकर गर्दन से नीचे तक का हिस्सा दफन कर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. 

किसानों का अनोखा विरोध प्रदर्शन

इस अनोखे विरोध प्रदर्शन के जरिये किसान सरकार तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं. साथ ही गांव की महिलाएं भी इस समाधि सत्याग्रह में हिस्सा ले रही हैं. वहीं, इस मामले में लातेहार डीसी उत्कर्ष गुप्ता ने बताया कि मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है कि कामता पंचायत के चटुआग गांव में विकास का काम नहीं हो सका है. डीसी ने कहा कि वे खुद उस गांव और पंचायत में जाएंगे और स्थिति की जानकारी लेंगे. उस इलाके में विकास के लिए क्या किया जा सकता है, इसका जायजा वे खुद लेंगे. डीसी ने कहा कि गांव की समस्या का निदान किया जाएगा.

चटुआग गांव में किसानों का एक दल जमीन समाधि सत्याग्रह में धरने पर बैठा है. किसानों का कहना है कि 17 फरवरी से शुरू हुआ यह सत्याग्रह अनिश्चितकाल तक चलेगा जब तक प्रशासन उनकी मांगें नहीं मान लेता है. यहां के स्थानीय लोगों की शिकायत है कि तबीयत खराब होने पर मरीज को खटिया में बिठाकर इलाज के लिए ले जाना पड़ता है. बच्चों को स्कूल जाने में एक-डेढ़ घंटा लगता है. आने में भी इतना ही समय लगता है. ऐसा इसलिए क्योंकि पूरे इलाके में कोई सड़क नहीं है. इस वजह से बच्चे या बच्चियां स्कूल नहीं जा पाते हैं.(संजीव गिरि की रिपोर्ट)

 

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