अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025: भारत में सहकारी आंदोलन का नया युग

अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025: भारत में सहकारी आंदोलन का नया युग

आजादी के 75 वर्षों के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है. इस मंत्रालय का कार्यभार संभालने वाले केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारी तंत्र को सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. विशेष रूप से, उन्होंने पैक्स (प्राथमिक कृषि ऋण समितियां) के लिए नए मॉडल बायलॉज को लागू किया, जिससे देश के लाखों किसानों को लाभ हो रहा है.

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अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025: भारत में सहकारी आंदोलन का नया युगजानेमाने सहकारी नेता हैं दिलीप संघाणी.
  • दिलीप संघाणी

भारत में सहकारी आंदोलन के लिए वर्ष 2025 एक ऐतिहासिक मोड़ साबित होने वाला है. इसे "अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025" के रूप में मनाया जाएगा, जिसे भारत के सहकारिता मंत्रालय और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (NCUI) के संयुक्त प्रयासों से नए आयाम प्राप्त होंगे. इस वर्ष का आयोजन सहकारी मूल्यों को बढ़ावा देने और भारत में सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से किया जा रहा है. 

नरेंद्र मोदी और अमित शाह का नेतृत्व

आजादी के 75 वर्षों के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है. इस मंत्रालय का कार्यभार संभालने वाले केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारी तंत्र को सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. विशेष रूप से, उन्होंने पैक्स (प्राथमिक कृषि ऋण समितियां) के लिए नए मॉडल बायलॉज को लागू किया, जिससे देश के लाखों किसानों को लाभ हो रहा है.

अमित शाह का मानना है कि सहकारिता भारतीय समाज के लिए एक मजबूत आर्थिक स्तंभ साबित हो सकती है, और यह विश्वास उन्हें सहकारी समितियों के निर्माण और उनका विस्तार करने में प्रेरित करता है. यह मंत्रालय भारत की सहकारी भावना को नई दिशा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसका उद्देश्य "सहकार से समृद्धि" है.

सहकारी तंत्र का महत्व

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां लगभग 65% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है. ऐसे में सहकारी समितियाँ भारतीय कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. सहकारी समितियाँ किसानों को ऋण, कृषि इनपुट, भंडारण सुविधाएं, और बाजार से जोड़ने का काम करती हैं. भारतीय सहकारी क्षेत्र में लगभग 8 लाख से अधिक सहकारी समितियाँ कार्यरत हैं, जो लाखों ग्रामीण परिवारों के जीवन को प्रभावित करती हैं.

उदाहरण के लिए, इफको, अमूल, और नैफेड जैसी संस्थाएं किसानों को उचित मूल्य और बिचौलियों से मुक्ति प्रदान करके उन्हें सशक्त बना रही हैं. इसके अलावा, सहकारी समितियाँ ग्रामीण महिलाओं और छोटे उत्पादकों को माइक्रोफाइनेंस, स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से समर्थन देती हैं, जिससे उनकी आजीविका में सुधार और ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलता है.

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सहकारिता मंत्रालय की पहल

सहकारिता मंत्रालय ने आईवाईसी-2025 के माध्यम से कई महत्वपूर्ण पहल की हैं, जिनका उद्देश्य सहकारी क्षेत्र को और अधिक सशक्त बनाना है. इनमें पैक्स के कम्प्यूटरीकरण, उप-नियमों का निर्माण, और नए सहकारी मॉडल का विकास शामिल है. मंत्रालय ने "स्वयंशक्ति सहकार", "दीर्घावधि कृषक सहकार" और "डेयरी सहकार" जैसी योजनाओं को भी लागू किया है, जिससे ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिल सके.

इसके अलावा, सहकारिता मंत्रालय ने भारत सरकार की ई-मार्केटप्लेस (जैम) पोर्टल पर सहकारी समितियों के पंजीकरण की सुविधा प्रदान की है, जिससे सहकारी समितियाँ सस्ते दामों पर सरकारी सामान खरीद सकती हैं. मंत्रालय की योजना है कि अगले पांच वर्षों में प्रत्येक पंचायत और गांव में दो लाख नए बहुउद्देश्यीय पैक्स या डेयरी/मत्स्य पालन सहकारी समितियाँ स्थापित की जाएं. इसके माध्यम से देशभर में सहकारी नेटवर्क का विस्तार किया जाएगा.

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NCUI की भूमिका और योगदान

भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (NCUI) भी अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के सफल संचालन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. यह संगठन विभिन्न राज्य सहकारी विभागों के साथ मिलकर सहकारी मूल्यों को बढ़ावा देने और सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए कई प्रमुख कार्यक्रम चला रहा है. 

NCUI का लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (LMS) पोर्टल सहकारी नेताओं और छात्रों को सहकारी प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम और सामग्री प्रदान करता है. इसके साथ ही, एनसीयूआई हाट जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से देशभर के सहकारी उत्पादों की बिक्री की जा रही है. इसके अलावा, NCUI ने राज्य स्तरीय सहकारी ओलंपियाड का आयोजन कर सहकारी आंदोलन के प्रति जागरूकता फैलाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं.

समावेशी विकास और महिला सशक्तिकरण

भारत में सहकारी आंदोलन केवल आर्थिक प्रगति के लिए नहीं, बल्कि समावेशी विकास और महिला सशक्तिकरण के लिए भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से न केवल ग्रामीण समुदायों का आर्थिक सशक्तिकरण हो रहा है, बल्कि महिलाओं को भी सहकारी समितियों के माध्यम से नेतृत्व की भूमिका निभाने के अवसर मिल रहे हैं. इसके माध्यम से महिलाएं अपने परिवारों और समुदायों में आर्थिक स्थिरता और सामाजिक सम्मान प्राप्त कर रही हैं.

अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 भारत के सहकारी आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है. यह न केवल सहकारी संस्थाओं को सशक्त बनाने का अवसर है, बल्कि यह एक ऐसे समाज की ओर कदम बढ़ाने का अवसर भी है जहाँ सभी को समान अवसर मिलें, विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े वर्गों को. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में, और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (NCUI) के सहयोग से भारत सहकारी तंत्र को वैश्विक स्तर पर एक मजबूत और समृद्ध क्षेत्र के रूप में स्थापित करेगा. सहकार से समृद्धि का यह संकल्प निश्चित ही भारत के विकास में एक नई दिशा और गति लाने वाला साबित होगा.

(लेखक वर्ल्ड कोऑपरेशन इकोनॉमिक फोरम, NCUI और IFFCO के चेयरमैन हैं)

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