Farmers Protest: शंभू और खनौरी बॉर्डर वाले क‍िसान आंदोलन ने बनाया र‍िकॉर्ड, एमएसपी गारंटी पर बंधी उम्मीद

Farmers Protest: शंभू और खनौरी बॉर्डर वाले क‍िसान आंदोलन ने बनाया र‍िकॉर्ड, एमएसपी गारंटी पर बंधी उम्मीद

क‍िसान आंदोलन-2 में टर्न‍िंग प्वाइंट तब आया जब 70 वर्षीय जगजीत सिंह डल्लेवाल 26 नवंबर 2024 को आमरण अनशन पर बैठ गए. इससे न स‍िर्फ किसान आंदोलन फिर से सुर्खियों में आ गया, बल्क‍ि इस अनशन ने केंद्र सरकार को झुकने पर मजबूर भी कर द‍िया. बहरहाल, आईए जानते हैं क‍ि आंदोलनकारी क‍िसानों की मांगें कौन-कौन सी हैं?

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Farmers Protest: शंभू और खनौरी बॉर्डर वाले क‍िसान आंदोलन ने बनाया र‍िकॉर्ड, एमएसपी गारंटी पर बंधी उम्मीदभारत का सबसे लंबा किसान आंदोलन कौन है?

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की ओर से पंजाब-हर‍ियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चलाए जा रहे क‍िसान आंदोलन ने एक र‍िकॉर्ड बना द‍िया है. यह आजाद भारत का सबसे लंबा क‍िसान आंदोलन बन चुका है. आज इस आंदोलन के 379 द‍िन हो चुके हैं. यह आंदोलन मुख्य तौर पर एमएसपी की लीगल गारंटी कानून बनाने की मांग के मुद्दे पर चल रहा है, ज‍िसकी अगुवाई जगजीत स‍िंह डल्लेवाल, सरवान स‍िंह पंढेर और अभ‍िमन्यु कोहाड़ कर रहे हैं. जबक‍ि इससे पहले तीन कृष‍ि कानूनों के ख‍िलाफ द‍िल्ली बॉर्डर पर 378 द‍िन का आंदोलन हुआ, ज‍िसमें पंजाब और हर‍ियाणा के क‍िसानों की अहम भूम‍िका थी, लेक‍िन पश्च‍िम यूपी से आने वाले राकेश ट‍िकैत हीरो बनकर उभरे थे.

बहरहाल, वर्तमान में चल रहे क‍िसान आंदोलन ने पहले सरकार से संघर्ष क‍िया. जब बात नहीं बनी तो फ‍िर गांधीवादी तौर-तरीका अपनाया. एमएसपी गारंटी कानून सह‍ित 12 मांगों को लेकर 13 फरवरी 2024 से शुरू हुए इस आंदोलन को खत्म करवाने के ल‍िए 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र ने चार दौर की बातचीत की, लेक‍िन उसके बाद उसने चुप्पी साध ली. इसके बाद जब लंबे समय तक बातचीत की कोई पहल नहीं हुई तो लगा क‍ि क‍िसान आंदोलन अब खत्म हो जाएगा. क‍िसानों थक कर अपने घर वापस चले जाएंगे. लेक‍िन, यह स‍िर्फ सरकार और उसके समर्थकों की गलतफहमी साब‍ित हुई. 

आंदोलन में अनशन से पड़ी जान 

क‍िसान आंदोलन-2 में टर्न‍िंग प्वाइंट तब आया जब 70 वर्षीय जगजीत सिंह डल्लेवाल 26 नवंबर 2024 को आमरण अनशन पर बैठ गए. इससे न स‍िर्फ किसान आंदोलन फिर से सुर्खियों में आ गया, बल्क‍ि इस अनशन ने केंद्र सरकार को झुकने पर मजबूर भी कर द‍िया. डल्लेवाल के आमरण अनशन के 54वें द‍िन केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय ने आंदोलनकार‍ियों को पांचवें दौर की बातचीत का न्यौता भेजा. इसके बाद क‍िसानों और सरकार के बीच वार्ता का जो दौर शुरू हुआ है उससे उम्मीद बंधी है क‍ि क‍िसानों की मांगों का कोई हल न‍िकलेगा. हालांक‍ि, इस आंदोलन के तीनों बड़े नेताओं ने यह एलान क‍िया है क‍ि एमएसपी गारंटी म‍िलने तक आंदोलन जारी रहेगा. वो इसकी लड़ाई लड़ते रहेंगे, चाहे वक्त ज‍ितना भी लग जाए.

कब-कब हुई बातचीत 

क‍िसान आंदोलन से फसलों के दाम के मुद्दे को सरकार गंभीरता से लेने लगी है. इस किसान आंदोलन का नाम दुनिया के सबसे लंबे आंदोलनों में शुमार हो गया है. एमएसपी की लीगल गारंटी की मांग के बहाने उन मसलों को भी धार मिली है जो किसानों को लंबे समय से परेशान कर रहे थे. फ‍िलहाल, सरकार से क‍िसानों की छह दौर की बातचीत हो चुकी है. यह बातचीत महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन पंजाब, सेक्टर-26, चंडीगढ़ में हो रही है. अब तक क‍िसान पांच बार द‍िल्ली कूच की नाकाम कोश‍िश कर चुके हैं. हर‍ियाणा सरकार उन्हें अपनी सीमा में नहीं घुसने दे रही है. राज्य सरकार ने बॉर्डर सील कर रखा है. 

  • पहले दौर की बातचीत-  8 फरवरी, 2024
  • दूसरे दौर की बातचीत- 12 फरवरी, 2024
  • तीसरे दौर की बातचीत- 15 फरवरी, 2024
  • चौथे दौर की बातचीत- 18 फरवरी, 2024
  • पांचवें दौर की बातचीत- 14 फरवरी, 2025
  • छठे दौर की बातचीत- 22 फरवरी 2025 
  • सातवें दौर की बातचीत-19 मार्च (प्रस्ताव‍ित)

दिल्ली चलो प्लान 

  • 13 फरवरी, 2024: किसानों ने दिल्ली कूच के साथ किसान आंदोलन 2.0 शुरू किया. लेक‍िन सरकार ने बॉर्डर सील कर द‍िया. 
  • 21 फरवरी, 2024: किसान दूसरी बार दिल्ली कूच के लिए बॉर्डरों से रवाना हुए. इसी दौरान शुभकरण सिंह की जान गई. 
  • 6 दिसंबर, 2024: शंभू बॉर्डर से तीसरी बार किसानों का एक जत्था दिल्ली कूच करने निकला. 
  • 8 दिसंबर, 2024: चौथी बार किसान दिल्ली कूच के लिए निकले और फिर नाकाम रहे. 
  • 14 दिसंबर, 2024: पांचवीं बार भी किसान दिल्ली कूच के लिए निकले लेक‍िन पुलिस के आगे नाकाम रहे. 
  • 25 फरवरी, 2025: छठी बार किसानों ने दिल्ली कूच का अल्टीमेटम देकर उसे स्थग‍ित क‍िया. 

क‍िसान आंदोलन-2 की मांगें 

1. पूरे देश के किसानों के लिए सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाए. डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट C2+50% के अनुसार फसलों के भाव तय किए जाएं.
2. किसानों और मजदूरों की पूर्ण कर्ज़मुक्ति की जाए. 
3. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को पूरे देश में लागू किया जाए. जमीन अधिग्रहण से पहले किसानों की लिखित सहमति एवं मार्किट रेट से 4 गुणा मुआवज़ा देने के प्रावधान लागू किए जाएं. 
4. लखीमपुर खीरी मामले के दोष‍ियों को सज़ा एवं पीड़ित किसानों को न्याय दिया जाए. साल 2020-21 के किसान आंदोलन के सभी मुकदमे रदद् किए जाएं.
5. भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) से बाहर आए. साथ ही सभी मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए.
6. किसानों और खेत मजदूरों को 10000 रुपये प्रति महीने की पेंशन दी जाए.
7. पीएम फसल बीमा योजना में सुधार किए जाएं, फसलों का नुकसान होने पर एक एकड़ को यूनिट मानकर मुआवजा दिया जाए. बीमा योजना का प्रीमियम सरकार द्वारा भरा जाए.
8. विद्युत संशोधन विधेयक 2023 को रद्द किया जाए एवं खेती को प्रदूषण कानून से बाहर निकाला जाए.
9. मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 200 दिन का रोजगार, 700 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी दी जाए. मनरेगा को खेती के साथ जोड़ा जाए.
10. नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां एवं खाद बनाने वाली कंपनियों पर सख्त दंड और जुर्माना लगाने के प्रावधान किए जाएं. बीजों की गुणवत्ता में सुधार किए जाएं. 
11. मिर्च, हल्दी एवं अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए.
12. संविधान की 5वीं सूची को लागू किया जाए. जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के अधिकार सुनिश्चित कर के कंपनियों द्वारा आदिवासियों की ज़मीन की लूट बंद की जाए.
13. किसान आंदोलन-2 के दौरान किसानों पर गोलियां चलाने एवं अत्याचार करने वाले पुलिस अधिकारियों पर सख्त कारवाई की जाए.

क‍िसान आंदोलन पार्ट-1

कोव‍िड काल में मोदी सरकार द्वारा कृष‍ि सुधारों के नाम पर लाए गए तीन कृष‍ि कानूनों के ख‍िलाफ 378 द‍िन लंबा क‍िसान आंदोलन हुआ था. पंजाब-हर‍ियाणा के क‍िसानों ने इन कानूनों के ख‍िलाफ 26 नवंबर 2020 को दिल्ली कूच किया था. क‍िसान दिल्ली के पास सिंघु बॉर्डर पर आकर बैठ गए. इस आंदोलन के आगे सरकार को झुकने पर मजबूर होना पड़ा. 

गुरु नानक जयंती के अवसर पर 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद तीनों कृषि कानून की वापसी की घोषणा कर दी थी. साथ ही 29 नवंबर को कृषि कानून वापसी बिल संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन लोकसभा और राज्यसभा में पास हो गया. लेकिन आंदोलनकारी क‍िसान कानून वापसी के नोटिफिकेशन, एमएसपी की लीगल गारंटी और बिजली संशोधन विधेयक जैसे मुद्दों पर लिखित आश्वासन मिलने का इंतजार कर रहे थे. इस पर केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय ने 9 दिसंबर को पत्र जारी क‍िया. तब जाकर संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन स्थगित करने का एलान किया.

सबसे लंबा क‍िसान आंदोलन 

एमएसपी गारंटी कानून बनाने की मांग को लेकर चल रहे क‍िसान आंदोलन को 379 द‍िन पूरे हो चुके हैं. यह आजाद भारत के सबसे लंबे क‍िसान आंदोलनों में शाम‍िल हो चुका है. लेकिन, क्या आप जानते हैं क‍ि भारत में अंग्रेजों के ख‍िलाफ एक क‍िसान आंदोलन रिकॉर्ड 44 साल तक चला था. भीलवाड़ा की बिजौलिया रियासत में शुरू हुआ यह आंदोलन 1897 से 1941 तक चला था. पूरे 44 साल तक चला था. यह आंदोलन किसानों पर अत्यधिक लगान लगाए जाने के ख‍िलाफ हुआ था. ज‍िसमें किसानों ने लगभग दो वर्ष तक खेती भी रोक दी थी. ब्रिट‍िश हुकूमत को इस आंदोलन के आगे झुकना पड़ा था. यह भारत का सबसे लंबा क‍िसान आंदोलन कहा जाता है.   

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