Farmers Protest: किसान आंदोलन के 160 दिन पूरे, जानें MSP की लीगल गारंटी सहित कौन सी हैं मुख्य मांगें

Farmers Protest: किसान आंदोलन के 160 दिन पूरे, जानें MSP की लीगल गारंटी सहित कौन सी हैं मुख्य मांगें

किसान आंदोलन 13 फरवरी से शुरू हुआ है. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन-2 के शुरुआती दिनों में केंद्र सरकार के मंत्रियों से किसानों की बीच चार दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन बातचीत बेनतीजा रही, वजह यह है सरकार छोटी-छोटी मांगों को मानने के लिए तो तैयार दिख रही है लेकिन एमएसपी की लीगल गारंटी देने पर राजी नहीं दिख रही है, जबकि किसानों की यही मुख्य मांग है.

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Farmers Protest: किसान आंदोलन के 160 दिन पूरे, जानें MSP की लीगल गारंटी सहित कौन सी हैं मुख्य मांगेंकिसान आंदोलन-2 के दौरान किसानों पर गोलियां चलाने एवं अत्याचार करने वाले पुलिस अधिकारियों पर सख्त कारवाई की जाए. (सांकेतिक फोटो)

संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के आह्वान पर शंभू बॉर्डर पर 160 दिन से आंदोलन चल रहा है. इस बीच पहली बार दोनों मोर्चों के तमाम नेता सोमवार को 'किसान मजदूर राष्ट्रीय सम्मेलन' के लिए दिल्ली में जुटे. किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने देश भर से आए क‍िसान नेताओं से कहा क‍ि सरकार झूठ फैला रही है कि आंदोलनकारी किसानों की मांगों से महंगाई बढ़ जाएगी. जबकि सच तो यह है कि एमएसपी गारंटी की किसानों की मांग को मानने के बाद महंगाई नहीं बढ़ेगी, बल्कि निजी क्षेत्र द्वारा किसानों के साथ की जाने वाली लूट बंद होगी.

सम्मेलन में आज से शुरू हो रहे संसद के सत्र में किसानों-मजदूरों की मांगों पर विपक्ष के नेताओं से प्राइवेट मेंबर बिल लाने की मांग की जा रही है. खासतौर पर एमएसपी की लीगल गारंटी और C2+50% फार्मूले के अनुसार फसलों के दाम तय करने के मुद्दे पर. दल्लेवाल ने कहा कि सरकार अपने समर्थक अर्थशास्त्रियों से यह कहलवा रही है कि एमएसपी की गारंटी देने से देने से देश का खजाना खाली हो जाएगा. जबकि सच है कि 23 फसलों के साथ अगर 4 सब्जियों को भी एमएसपी में जोड़ लिया जाए तो भी 4.5 लाख रुपये से अधिक खर्च नहीं होगा. बहरहाल, आइए जानते हैं कि किसान किन मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. 

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क्रिमिनल लॉ की कॉपी जलाएंगे क‍िसान 

आंदोलनरत किसान संगठनों ने अब हाल में लागू तीनों न्याय संहिता को भी हटाने की मांग उठाई है. साथ ही बताया कि वह उसके विरूद्ध 15 अगस्त को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे तथा नए कानून की प्रतियां जलाएंगे. यह तीनों भारतीय न्याय संहिता इसी माह देशभर में लागू हुआ है. क‍िसानों ने कहा क‍ि इनमें आंदोलनों को दबाने वाले प्रावधान हैं. पुल‍िस के पास पहले ही बहुत पावर है. अब नए प्रावधानों से पुल‍िस को और पावरफुल बना द‍िया गया है. ज‍िनके जर‍िए सत्ता में बैठे राजनेता लोगों के अध‍िकारों को कुचलने का काम करेंगे.  

सोमपाल शास्त्री का म‍िला साथ 

वाजपेयी सरकार में कृषि मंत्री रहे सोमपाल शास्त्री ने किसान आंदोलन को समर्थन दिया है. उन्होंने कहा कि एमएसपी की लीगल गारंटी की लड़ाई में वो किसानों के साथ हैं. अगर किसी भी बैठक में सरकार कहे कि इस फैसले से महंगाई बढ़ जाएगी तो किसान तुरंत उन्हें बुला लें. वो किसानों की लड़ाई लड़ेंगे. उधर, मशहूर कृष‍ि अर्थशास्त्री देव‍िंदर शर्मा ने कहा क‍ि क‍िसानों को एमएसपी की गारंटी देने पर महंगाई का रोना रोया जाता है, दूसरी ओर अब कर्मचार‍ियों की ओर से आठवें वेतन आयोग की भी मांग उठाई जाने लगी है. क‍िसानों को भी अब बोलना चाह‍िए क‍ि सातवें वेतन आयोग में कहां से कर्मचार‍ियों को देने के ल‍िए 4.5 लाख करोड़ रुपये आए थे. 

इन मांगों को लेकर हो रहा आंदोलन

1. पूरे देश के किसानों के लिए सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाए. डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट C2+50% के अनुसार फसलों के भाव तय किए जाएं.
2. किसानों और मजदूरों की पूर्ण कर्ज़मुक्ति की जाए. 
3. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को पूरे देश में लागू किया जाए. जमीन अधिग्रहण से पहले किसानों की लिखित सहमति एवं मार्किट रेट से 4 गुणा मुआवज़ा देने के प्रावधान लागू किए जाएं. 
4. लखीमपुर खीरी नरसंहार के दोषियों को सज़ा एवं पीड़ित किसानों को न्याय दिया जाए. साल 2020-21 के किसान आंदोलन के सभी मुकदमे रदद् किए जाएं.
5. भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) से बाहर आए. साथ ही सभी मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए.
6. किसानों और खेत मजदूरों को 10000 रुपये प्रति महीना की पेंशन दी जाए.
7. पीएम फसल बीमा योजना में सुधार किए जाएं, फसलों का नुकसान होने पर एक एकड़ को यूनिट मानकर मुआवजा दिया जाए. बीमा योजना का प्रीमियम सरकार द्वारा भरा जाए.
8. विद्युत संशोधन विधेयक 2023 को रद्द किया जाए एवं खेती को प्रदूषण कानून से बाहर निकाला जाए.
9. मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 200 दिन का रोजगार, 700 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी दी जाए. मनरेगा को खेती के साथ जोड़ा जाए.
10. नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां एवं खाद बनाने वाली कंपनियों पर सख्त दंड और जुर्माना लगाने के प्रावधान किए जाएं. बीजों की गुणवत्ता में सुधार किए जाएं. 
11. मिर्च, हल्दी एवं अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए.
12. संविधान की 5वीं सूची को लागू किया जाए. जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के अधिकार सुनिश्चित कर के कंपनियों द्वारा आदिवासियों की ज़मीन की लूट बंद की जाए.
13. किसान आंदोलन-2 के दौरान किसानों पर गोलियां चलाने एवं अत्याचार करने वाले पुलिस अधिकारियों पर सख्त कारवाई की जाए.

चार दौर की बातचीत बेनतीजा

किसान आंदोलन 13 फरवरी से शुरू हुआ है. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन-2 के शुरुआती दिनों में केंद्र सरकार के मंत्रियों से किसानों की बीच चार दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन बातचीत बेनतीजा रही, वजह यह है सरकार छोटी-छोटी मांगों को मानने के लिए तो तैयार दिख रही है लेकिन एमएसपी की लीगल गारंटी देने पर राजी नहीं दिख रही है, जबकि किसानों की यही मुख्य मांग है. बहरहाल, लोकसभा चुनाव बीत चुके हैं, नए कृषि मंत्री कामकाज संभाल चुके हैं, लेकिन किसानों के साथ दोबारा बातचीत का दौर शुरू नहीं हुआ है.

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