लगातार 10वें दिन गुरुवार को भी खनौरी बॉर्डर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन पर जारी है. किसानों की मांगों को लेकर डल्लेवाल आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं. आज फतेहगढ़ साहिब और पटियाला से किसानों का एक बड़ा जत्था खनौरी मोर्चे पर पहुंचा है. हाल ही में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने केंद्र (कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान) से किसानों से बातचीत नहीं किए जाने पर सवाल पूछा था, जिसके बाद से ही यह विषय चर्चा का हुआ है. अब उनके इस बयान पर किसानों ने प्रतिक्रिया देने के साथ एक चिट्ठी लिखी है. इस पत्र में किसान नेताओं ने MSP गारंटी कानून बनाने और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने से जुड़े सरकारों की ओर से अलग-अलग समय पर किए गए वादों की जानकारी तथ्यों के साथ बताने की बात कही है.
पत्र में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने संयुक्त रूप से कहा है कि MSP गारंटी कानून बनाने और स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार MSP तय करने समेत 12 मांगों को पूरा करवाने के लिए किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 10वें दिन आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं. उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार किसानों की मांगें पूरी करे या फिर वे अपने प्राण खनौरी बॉर्डर पर ही त्याग देंगे. किसान नेताओं ने उप राष्ट्रपति का किसानों के मुद्दों पर बयान देने के लिए शुक्रिया अदा करते हुए आने वाले समय में उनसे इन मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार को जरूरी दिशा-निर्देश देने की उम्मीद जताई है.
2011 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उपभोक्ता मामलों की कमेटी के चेयरमैन थे तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को रिपोर्ट भेजकर कहा था कि किसी भी व्यापारी द्वारा किसी भी किसान की फसल सरकार द्वारा निर्धारित MSP से नीचे नहीं खरीदी जानी चाहिए. किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए बनाए गए स्वामीनाथन आयोग ने 2006 में अपनी रिपोर्ट दी, 2014 तक यूपीए की सरकार सत्ता में रही, लेकिन उन्होंने रिपोर्ट लागू नहीं की.
2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने वायदा किया था कि वे प्रधानमंत्री बने तो स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार फसलों का MSP तय करेंगे. 2014 में सत्ता में आने के बाद 2015 में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हलफनामा देकर कहा कि वे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं कर सकते हैं.
2018 में पंजाब की चीमा मंडी में 35 दिन धरना देने के बाद में अन्ना हजारे और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने दिल्ली के रामलीला मैदान में आमरण अनशन किया था, उस समय तत्कालीन कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से डॉ जितेंद्र सिंह की साइन की हुई चिट्ठी आंदोलनकारी नेताओं को सौंपी थी, जिसमें साफ तौर पर लिखा था कि केंद्र सरकार 3 महीने में स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले को लागू करेगी, लेकिन 6 साल बीत जाने के बावजूद आज तक उसे लागू नहीं किया गया.
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2020-2021 में 378 दिनों तक चले आंदोलन को स्थगित करते समय 9 दिसंबर 2021 को एक चिट्ठी कृषि मंत्रालय की ओर से हमें सौंपी गई थी, जिसमें MSP को प्रभावी बनाने, खेती कार्यों को प्रदूषण कानून से बाहर निकालने, लखीमपुर खीरी के घायलों को उचित मुआवजा देने, बिजली बिल को संसद में पेश करने से पहले किसानों से चर्चा करने और आंदोलनकारी किसानों पर आंदोलन से जुड़े मुकदमे वापस लेने समेत कई लिखित वादे किए गए थे, जो आज तक अधूरे हैं.
किसान नेताओं ने उप राष्ट्रपति से कहा कि तमाम सरकारों ने हम से वादाखिलाफ़ी की है. इसलिए अब सरकारों के वादों पर विश्वास नहीं होता और वे सड़कों पर बैठकर आंदोलन करने को मजबूर हैं. किसान नेताओं ने जगदीप धनखड़ से निवेदन किया कि वे भारत के दूसरे सर्वोच्च पद पर कार्यरत होने के नाते केंद्र सरकार को आदेश दें कि वह किसानों से किए गए वायदे पूरे करे. किसानों चिट्ठी में उप राष्ट्रपति से मुलाकात की इच्छा भी जताई है, ताकि वे तथ्यों सहित सभी मुद्दों पर विस्तार से उनके सामने जानकारी रख सकें.
इसके अलावा किसान नेताओं ने कहा है कि 9 दिसंबर को मोर्चे के 300 दिन पूरे होने पर पंजाब को छोड़कर अन्य राज्यों में बड़ी संख्या में किसान जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन के समर्थन में अपने क्षेत्र के सांसदों के घर के सामने सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक भूख हड़ताल करेंगे. किसान नेताओं ने कहा कि पंजाब के किसानों की ड्यूटी खनौरी और शम्भू मोर्चों को निरंतर मजबूत करने के लिए लगाई है.
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