सभी फसलों के लिए एमएसपी गारंटी कानून की मांग समेत किसानों के कई मुद्दों को लेकर 13 फरवरी से आंदोलन कर रहे पंजाब के किसानों ने 6 दिसंबर को दिल्ली कूच की घोषणा कर दी है. वहीं, जमीन अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर प्रदर्शन कर रहे उत्तर प्रदेश के किसान नोएडा, गाजियाबाद से जुड़ने वाली सीमाओं पर दो दिनों से डटे हुए हैं. किसानों को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने 4000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात कर रखा है. अब पंजाब के किसानों का भी दिल्ली आने की घोषणा के बाद हरियाणा से दिल्ली की लगती सीमा पर भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाने की संभावना बढ़ गई है. क्योंकि, पिछले किसान आंदोलन के दौरान ऐसा देखा जा चुका है, जब दिल्ली छावनी की तरह बन गई थी.
संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक और किसान मजदूर मोर्चा कई मांगों को लेकर 13 फरवरी से आंदोलन कर रहे हैं. फरवरी में किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया था तो उन्हें रोकने के लिए सरकार ने दिल्ली की सीमाओं को सील कर दिया था. किसानों ने आरोप लगाया था कि ट्रैक्टरों को रोकने के लिए रास्तों पर बड़े-बड़े कंक्रीट के बोल्डर और बेरीकेडिंग लगाई गई थी. इतना ही नहीं कई जगह पर मार्ग में कीलें लगाने की तस्वीरें भी सामने आई थीं. उस वक्त किसानों और सुरक्षा कर्मियों के बीच तीखी झड़पें हुई थीं, जिसमें कथित तौर पर युवा किसान की मौत हो गई थी. जबकि, कई किसान गंभीर रूप से घायल हुए थे.
जानकारों ने कहा कि उस वक्त किसानों को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए भारी इंतजाम किए गए थे. किसान नेताओं ने दिल्ली की सीमाओं पर उन्हें रोकने के लिए किए गए इंतजाम को लेकर कहा था कि जैसे देश का बॉर्डर बन गया हो. दिल्ली को छावनी जैसा बनाने पर राजनीति भी गरमा गई थी. देशभर के किसान संगठन सरकार के खिलाफ उतर गए थे. किसानों से बातचीत के लिए केंद्र की ओर से केंद्रीय मंत्रियों और पंजाब के सीएम के साथ कई बार बातचीत हुई थी पर कोई हल नहीं निकल सका था. बाद में दोनों संगठनों के किसान दिल्ली की सीमाओं से वापस चले गए थे और पंजाब हरियाणा की सीमा खनौरी और शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं.
इसी सप्ताह भारतीय किसान यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा समेत कई किसान संगठन पश्चिमी यूपी और नोएडा के किसानों की जमीन अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर लामबंद हो गए. सोमवार को दिल्ली जाने पर अड़े हजारों किसान चिल्ला बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और नोएडा गेट पर पहुंचे तो सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोक लिया था, दोनों तरफ से कहासुनी के बाद सभी सीमाओं पर भारी फोर्स तैनात कर दिया गया और किसानों को समझाया गया तो वह वहीं बैठकर प्रदर्शन कर रहे थे. नोएडा गेट के पास दलित प्रेरणा स्थल पर अभी भी किसान डटे हुए हैं.
नोएडा के मामले में आंदोलित किसानों का नेतृत्व कर रहे भाकियू नेता राकेश टिकैत को आज बुधवार दोपहर को आगरा नोएडा यमुना एक्सप्रेसवे पर टप्पल में यूपी पुलिस ने रोक लिया है. इसके बाद भाकियू और एसकेएम ने ग्रेटर नोएडा के जीरो पॉइंट पर नोएडा के किसानों की मीटिंग बुलाई है. किसानों का दावा है कि पुलिस उन्हें आंदोलन स्थल तक नहीं पहुंचने दे रही है. कई किसानों को उनके जिलों में ही रोक दिया गया है. किसान संगठनों ने सहारनपुर, मुरादाबाद, मेरठ, आगरा और अलीगढ़ जोन के किसानों से ग्रेटर नोएडा पहुंचने का आह्वान किया है.
जानकारों का कहना है कि ऐसे में हरियाणा से लगती दिल्ली की सीमा और यूपी से लगती राजधानी की सीमा पर किसानों का हल्लाबोल आमजन के लिए मुसीबत का कारण बन सकता है. क्योंकि, पुलिस प्रशासन उन्हें दिल्ली जाने से रोक रहा है. नोएडा औऱ गाजियाबाद से लगती सीमाओं पर बीते दो दिनों से यातायात मार्ग जाम की स्थिति में बने हुए हैं. हरियाणा और यूपी से दिल्ली में किसानों को घुसने से रोकने के लिए दोनों राज्यों की पुलिस सीमाओं को सील कर सकती है. हालांकि, इस बीच अगर बातचीत से मामला सुलझ गया तो ठीक वरना दिल्ली एनसीआर के लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर पीटीआई से कहा कि किसान समुदाय एक मासूम समुदाय है. मैं भी एक किसान का बेटा हूं. अगर कोई बात है तो शांतिपूर्ण बातचीत होनी चाहिए. अगर कोई समाधान होगा तो उसे निकाला जाएगा. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में किसानों की बेहतरी के लिए बहुत काम हुआ है.
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