वेणुगोपाल ने ICAR को फिर घेरा, क्या 'दाग' धुल पाएंगे देवेश चतुर्वेदी?

वेणुगोपाल ने ICAR को फिर घेरा, क्या 'दाग' धुल पाएंगे देवेश चतुर्वेदी?

देवेश चतुर्वेदी को कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के सचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. देवेश पहले से ही कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव हैं. ICAR में भ्रष्टाचार और अनियमित नियुक्तियों के आरोप लग रहे हैं, तो देवेश चतुर्वेदी ICAR की दोगी होती साख को अब कैसे धुल पाएंगे.

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वेणुगोपाल ने ICAR को फिर घेरा, क्या 'दाग' धुल पाएंगे देवेश चतुर्वेदी?आईसीएआर की गवर्न‍िंग बॉडी सदस्य वेणुगोपाल बदरवाड़ा.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी ICAR पर बीते कई महीनों से गंभीर आरोपों के बादल छाए हुए हैं. आरोप हैं कि ICAR में होने वाली भर्त‍ियों और न‍ियुक्त‍ियों में करप्शन और क्षेत्रवाद हो रहा है. ये गंभीर आरोप ICAR की गवर्न‍िंग बॉडी सदस्य वेणुगोपाल बदरवाड़ा ने लगाए हैं. दरअसल, आज सोमवार को कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के सचिव का अतिरिक्त प्रभार देवेश चतुर्वेदी को सौंप दिया गया है. बता दें कि चतुर्वेदी पहले से ही कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव हैं. अब सबसे बड़ा सवाल यहां ये है कि जब एक तरफ सीधे ICAR में भ्रष्टाचार और नियुक्तियों में गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं, तो देवेश चतुर्वेदी ICAR की खराब होती साख को अब कैसे साफ कर पाएंगे? 

क्या है मामला?

ये पूरा मामला आपको शुरू से समझने की जरूरत है. दरअसल, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग यानी कृषि मंत्रालय, जो शिवराज सिंह चौहान के हाथ में है. इसके अंदर कुछ प्रमुख व‍िंग जैसे कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) भी DARE के अंदर ही आता है. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ICAR के अध्यक्ष हैं. अब तक ICAR के महानिदेशक डेयर के सच‍िव के पद पर ह‍िमांशु पाठक कार्यरत थे. जबक‍ि DARE के अतिरिक्त सचिव का प्रभार संजय गर्ग के हाथों में थे. इन दोनों ही नियुक्तियों की पावर कृषि मंत्री के हाथ में होती है. बहरहाल, इन दोनों प्रमुख पदों पर आसीन लोगों पर ICAR की गवर्न‍िंग बॉडी के सदस्य वेणुगोपाल बदरवाड़ा ने गंभीर आरोप लगाए थे. साथ ही इस मामले में प्रधानमंत्री के तत्काल हस्तक्षेप और कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग भी की है.

क्या हैं आरोप?

दरअसल, वेणुगोपाल बदरवाड़ा ने ICAR से जुड़े अहम पदों पर होने वाली भर्त‍ियों और न‍ियुक्त‍ियों में अनियमितता और राजनीति से प्रेरित बताया है. बदरवाड़ा ने अपने एक पत्र में ये आरोप लगाए हैं. बदरवाड़ा ने आरोप लगाए कि डॉ. राजबीर सिंह की उप महानिदेशक (कृषि विस्तार) के पद पर नियुक्ति इस भ्रष्टाचार के क्रम में नया प्रकरण है. बदरवाड़ा का कहना है कि विभाग में भ्रष्टाचार और ऐसे ही संदिग्ध निर्णयों की लंबी श्रृंखला है.

नियुक्तियों की पात्रता पर सवाल

वेणुगोपाल ने अपने हाल में लिखे पत्र में डॉ. राजबीर सिंह की नियुक्ति की पात्रता पर सवाल उठाए हैं. वेणुगोपाल का कहना है कि डॉ. राजबीर सिंह की योग्यता को ICAR के महानिदेशक और DARE के सचिव पद के लिए जल्दबाजी में तय कर दिया. उन्हें 13 फरवरी, 2025 को उप महानिदेशक (कृषि विस्तार) के पद पर नियुक्त किया गया था. आरोप हैं कि डॉ. राजबीर पद के लिए आवश्यक पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं उसके बावजूद, उन्हें नियमों की अनदेखी कर नियुक्त किया गया. 

वेणुगोपाल ने पत्र में लिखा है कि डॉ. राजबीर सिंह के पास कृषि विस्तार में केवल पांच साल का अनुभव है - जो इस पद के लिए अनिवार्य 15 साल से बहुत कम है. हालांकि सरकारी रिकॉर्ड में राजवीर के पास इसका संबंधित अनुभव 8 साल का है. ICAR के नियुक्ति मानकों का यह स्पष्ट उल्लंघन राजबीर की नियुक्ति को पूरी तरह से अवैध बनाता है. इसके अलावा इस पद के लिए स्पष्ट रूप से कृषि विस्तार में पीएचडी होना जरूरी है. मगर डॉ. राजबीर सिंह के पास ये आवश्यक योग्यता नहीं है, जिससे उनकी नियुक्ति ICAR के भर्ती प्रोटोकॉल का घोर उल्लंघन उजागर करती है. 

अतिरिक्त सचिव पर भी आरोप

बता दें कि कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के अतिरिक्त सचिव संजय गर्ग हैं. वेणुगोपाल बदरवाड़ा ने आरोप लगाए थे कि हिमाशु पाठक के साथ संजय गर्ग जैसे अधिकारियों ने आईसीएआर की अखंडता से समझौता किया है. वेणुगोपाल के मुताबिक आईसीएआर को संजय गर्ग के नियंत्रण में एक कठपुतली संस्थान में बदल दिया गया है, जिससे महानिदेशक और सचिव केवल नाममात्र के रह गए हैं. जबकि असल शक्तियां महानिदेशक (ICAR) और सचिव (DARE) के पास होनी चाहिए. आरोप तो यहां तक लगे हैं कि इन अधिकारी ICAR को राष्ट्रीय कृषि शोध संस्थान की बजाय निजी रियल एस्टेट उद्यम की तरह चला रहे हैं.

कौन हैं देवेश चतुर्वेदी?

देवेश चतुर्वेदी को कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के सचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. देवेश पहले से ही कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव हैं. देवेश चतुर्वेदी 1989 बैच के IAS अधिकारी हैं और लखनऊ से आते हैं. देवेश ने M.Tech (आईआईटी) PGPPM (आईआईटी) Phd की पढ़ाई की है. देवेश चतुर्वेदी पहले उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग से जुड़े कई बड़े पदों पर भी रह चुके हैं. देवेश चतुर्वेदी पहले भी केंद्र में प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, अपर मुख्य सचिव कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग और कृषि विपणन, कृषि विदेशी व्यापार एवं निर्यात प्रोत्साहन जैसे पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. यही वजह है कि अब देवेश चतुर्वेदी से इस बात की उम्मीदें टिकी हैं कि वह कृषि विभाग और ICAR की खराब होती छवि को साफ कर सकेंगे.

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