हरियाणा के रेवाड़ी में किसानों पर मौसम की भारी मार पड़ी है. यहां किसानों के खेत में सरसों की फसल कटने ही वाली थी कि बारिश ने सबकुछ चौपट कर दिया. बारिश के साथ गिरे ओलों ने सरसों के साथ कई फसलों को जमींदोज कर दिया. इस बारिश और ओलावृष्टि से रेवाड़ी जिले के 60 गांव प्रभावित हुए हैं. इन 60 गांवों के किसानों पर मौसम की तगड़ी मार पड़ी है. इन सभी इलाकों में गेहूं और सरसों में 70 प्रतिशत का नुकसान है.
फसलों के नुकसान को देखते हुए किसानों ने सरकार से मांग की है कि जल्द गिरदावरी कराई जाए और मुआवजा दिया जाए. किसानों ने कहा है कि फसलों के भरोसे ही उनका परिवार चलता है. यहां तक कि कि शादी-विवाह भी इन्हीं फसलों के भरोसे होता है. इसे देखते हुए सरकार को इस मुश्किल समय में किसानों की मदद में आगे आना चाहिए.
किसानों ने बताया कि रेवाड़ी में शनिवार देर शाम हुई भारी बरसात और ओलावृष्टि ने खेतों में पकी-पकाई फसल को नष्ट कर दिया है. 5 मिनट की ओलावृष्टि और तेज हवा ने सरसों और गेहूं की फसल बिछा दी है. ऐसे में किसान पकी-पकाई फसल को बचाने के लिए चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि उनकी फसल खुले आसमान के नीचे खेतों में लेट गई है. ओलावृष्टि और बरसात ने एक बार फिर किसानों के अरमान धो डाले हैं.
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रेवाड़ी के बावल, कुंड और खोल ब्लॉक के गांवों में ओलावृष्टि से ज्यादा नुकसान हुआ है. किसानों के अनुसार ढाणी शोभा, भालखी माजरा, टींट, खोरी, हरजीपुर, गोलियाका, सुलखा, बेरवाल, बधराना, भाड़ावास, नंदरामपुर बास, लाधूवास, जड़थल, भूथला, आसियाकी, पांचौर, रालियावास, नांगल जमालपुर, अहरोद में जमकर ओलावृष्टि हुई है.
ओलावृष्टि के कारण पककर तैयार हो चुकी सरसों की फसल की टहनियां टूट गई हैं. किसानों के अनुसार अब तो फसल पर पूरा खर्चा लग चुका था, केवल उनकी मेहनत का फल मिलना बाकी था. इस बार पाले की मार से किसान की फसलें बचीं तो ओलावृष्टि ने चौपट कर दी. अब आगे सारा काम भगवान भरोसे है.
इस पूरे इलाके में पिछले चार-पांच दिनों से मौसम खराब चल रहा है. इसे देखते हुए कुछ किसानों ने आनन-फानन में सरसों की फसल की कटाई भी शुरू कर दी है. लेकिन जिले में मात्र 5 से 10 प्रतिशत किसानों ने ही सरसों की कटाई की है. बाकी सरसों की फसल अभी खेतों में ही पकी पकाई खड़ी है. वहीं गेहूं की फसल अभी कच्ची है. शुक्रवार की देर शाम 7:30 बजे जिला में बरसात होनी शुरू हो गई. खोल क्षेत्र में ओलावृष्टि भी हुई. बेशक 5 मिनट तक ओले गिरे हैं, लेकिन ये ओले फसलों को खराब और किसानों का बर्बाद करने के लिए बहुत हैं.
वहीं किसानों का कहना है कि हर बार फसल पकने के दिनों में मौसम खराब हो जाता है और ओलावृष्टि उनकी फसलों को बर्बाद कर देती है. किसानों को पिछली क्षतिग्रस्त फसलों का ही मुआवजा नहीं मिला है कि फिर से उनकी फसल खराब हो गई है. उन्होंने कर्ज लेकर खेतों में बिजाई की थी. सोचा था फसल बेचकर कर्ज उतार देंगे, लेकिन फिर उन पर कुदरत का कहर टूट पड़ा है.
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ऐसे में वे चाह कर भी अपनी फसलों को नहीं बचा सकते. किसान बोले फसल के भरोसे ही परिवार का भरण पोषण करते हैं. लेकिन ऐसे में शादी विवाह भी किसान के लिए अब मुश्किल होगा क्योंकि फसल के भरोसे ही किसान अपना जीवन यापन करते है. लेकिन किसानों को अब केवल सरकार से ही आस है.
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