
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन ने केंद्र सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया है. केंद्र सरकार ने आखरिकार पंजाब-हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैठे आंदोलनकारियों को बातचीत का न्यौता भेज ही दिया, जिसे आंदोलनकारियों ने स्वीकार कर लिया है. केंद्र एवं पंजाब सरकार की टीम की संयुक्त किसान मोर्चा-गैर राजनीतिक और किसान मजदूर मोर्चा के नेताओं से शनिवार देर शाम 3.5 घंटे तक मीटिंग हुई. जिसमें 14 फरवरी 2025 को केंद्र के साथ किसानों की मीटिंग होनी तय हुई है. किसान नेता डल्लेवाल के आमरण अनशन के 54वें दिन केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रियरंजन बातचीत का न्यौता लेकर खनौरी बॉर्डर पहुंचे. उन्होंने डल्लेवाल को बातचीत का पत्र भेजा. इसके बाद डल्लेवाल मेडिकल सुविधा लेने को तैयार हो गए हैं, लेकिन अभी तक आमरण अनशन तोड़ने का फैसला नहीं लिया है. हालांकि, उनकी देखरेख कर रहे डॉक्टरों ने कहा है कि वो 14 फरवरी तक सिर्फ मेडिकल ट्रीटमेंट पर जिंदा नहीं रह सकते. इसके बाद किसान नेता डल्लेवाल को आरमण खत्म करने के लिए मनाने में जुटे हैं. अब सबको उम्मीद है कि वो आमरण अनशन खत्म कर देंगे.
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान एमएसपी की लीगल गारंटी सहित 12 मांगों को लेकर 340 दिन से आंदोलन कर रहे हैं. केंद्र से बातचीत का न्यौता मिलने के बाद तमाम किसान नेताओं डल्लेवाल से अन्न ग्रहण करने का अनुरोध किया. शनिवार को खनौरी बॉर्डर पर केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के पहुंचने पर काफी गहमागहमी रही. डल्लेवाल के समर्थन में 121 और किसान भी आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं. उन्होंने कहा है कि जब तक डल्लेवाल आमरण अनशन खत्म नहीं करेंगे तब तक वो भी अन्न ग्रहण नहीं करेंगे. इसमें 111 किसान पंजाब और 10 किसान हरियाणा के हैं. बहरहाल, 14 फरवरी को शाम 5 बजे चंडीगढ़ के सेक्टर- 26 में दोनों पक्षों की बैठक होगी. संयुक्त किसान मोर्चा-गैर राजनीतिक और किसान मजदूर मोर्चा के सभी प्रमुख नेताओं ने कहा है कि इस बैठक में डल्लेवाल खुद मौजूद रहेंगे.
आंदोलनकारियों के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार चार दौर की बातचीत कर चुकी थी. जिसमें कोई निर्णय नहीं हो सका था. उसके बाद से सरकार ने बातचीत के रास्ते बंद कर दिए थे. सरकार के समर्थक यह कहने लगे थे कि अब सरकार आंदोलनकारियों के आगे नहीं झुकेगी, लेकिन, इसी बीच करीब 70 वर्षीय जगजीत सिंह डल्लेवाल ने आमरण अनशन शुरू कर दिया. जिससे सरकार को झुकने पर मजबूर होना पड़ा. क्योंकि अगर डल्लेवाल को कुछ होता तो पंजाब और हरियाणा में हालात खराब हो सकते थे.
ऐसे में कृषि मंत्रालय ने ना-ना करते करते आखिरकार आंदोलनकारियों को बातचीत का न्यौता भेज ही दिया. वरना, बातचीत के बारे में पूछने पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी बातचीत को सुप्रीम कोर्ट पर टाल रहे थे. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसी आंदोलन को देखते हुए किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए एक हाई पावर कमेटी गठित कर रखी है.
जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर को संबोधित पत्र में केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रियरंजन ने लिखा है कि यह पत्र एसकेएम (गैर-राजनीतिक) एवं किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेताओं के साथ पिछली बैठक के क्रम में है, जो की 15 फरवरी 2024 को चंडीगढ़ में हुई थी. किसान संघों की मांगों के संबंध में भारत सरकार एवं पंजाब सरकार के मंत्रियों के साथ एक बैठक महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन पंजाब, सेक्टर-26, चंडीगढ़ में आयोजित की गई है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय और आंदोलनकारी नेताओं के बीच खनौरी बॉर्डर पर हुई बैठक में किसान नेताओं ने सुझाव रखा कि यदि केंद्र सरकार सच में जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत को लेकर चिंतित है तो मीटिंग को जल्दी किया जाए और मीटिंग दिल्ली में हो. उसके जवाब में अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लगी हुई है. जिस वजह से केंद्र सरकार मीटिंग कर के कोई घोषणा नहीं कर सकती. इसलिए 9 फरवरी के बाद मीटिंग संभव है और 12-13 फरवरी को बजट घोषित किया जाएगा.
तीन कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर 378 दिन तक आंदोलन चला था. उसमें अहम भूमिका पंजाब और हरियाणा के किसानों की थी. लेकिन, उसमें हीरो बनकर राकेश टिकैत उभरे थे, जो पश्चिम यूपी के किसान नेता हैं. जबकि इस समय जो शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन चल रहा है उसे 340 दिन हो गए हैं और उसमें राकेश टिकैत की कोई भूमिका नहीं है. उसमें जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवान सिंह पंढेर और अभिमन्यु कोहाड़ चेहरा हैं. अब सरकार ने इन लोगों को फिर बातचीत के लिए बुला लिया है तो जाहिर है कि किसानों के नाम पर राजनीति करने वाले और लोग भी श्रेय लेने के लिए सक्रिय होंगे.
से भी पढ़ें: Maize Production: पोल्ट्री फीड और इथेनॉल ने बढ़ाया मक्के का महत्व, कैसे बढ़ेगा उत्पादन...विशेषज्ञों ने दिया 'मंत्र'
इसे भी पढ़ें: स्वामीनाथन आयोग वाली MSP लागू न होने से किसानों को कितना बड़ा नुकसान, ये रही डिटेल
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today