बच्चू कडू का ट्रैक्टर मोर्चाकिसानों की संपूर्ण कर्जमाफी की मांग को लेकर प्रहार जनशक्ति पक्ष के संस्थापक, पूर्व मंत्री और किसान नेता बच्चू कडू के नेतृत्व में सोमवार को अमरावती जिले के उनके पैतृक गांव बेलोरा (ता. चांदूर बाजार) से ‘महा एल्गार’ ट्रैक्टर मोर्चा नागपुर के लिए रवाना हुआ. इस मोर्चे में हजारों किसान, खेतिहर मजदूर, महिलाएं, युवा और ग्रामीण शामिल हुए हैं. नागपुर पहुंचकर यह मोर्चा राज्य सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेगा.
ढोल-ताशों और डीजे की गूंज के बीच, पूरे रास्ते पर ग्रामीणों ने फूल बरसाकर और नारों के साथ मोर्चे का स्वागत किया. खास बात यह रही कि मेंढपाल समाज के लोग अपनी भेड़ों के साथ इस आंदोलन में शामिल हुए, जिससे यह सिर्फ एक किसान आंदोलन नहीं बल्कि पूरे ग्रामीण समाज की एकजुटता का प्रतीक बन गया है.
सैकड़ों ट्रैक्टरों से सजी यह रैली अमरावती, वर्धा होते हुए नागपुर की ओर बढ़ रही है. सोमवार रात वर्धा जिले के सुकळी गांव में रात्रि विश्राम का कार्यक्रम है, जहां बच्चू कडू किसानों को संबोधित करेंगे.
मोर्चे की शुरुआत के दौरान बच्चू कडू ने कहा — “जब तक किसानों की पूरी कर्जमाफी नहीं होती, मैं गांव वापस नहीं जाऊंगा. जरूरत पड़ी तो गोलियां भी झेल लूंगा.”
उन्होंने सरकार को खुली चेतावनी दी कि अगर किसानों की मांगें फिर अनसुनी की गईं, तो यह आंदोलन और अधिक उग्र रूप लेगा. कडू ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों से झूठे वादे कर रही है. उन्होंने कहा कि कुछ माह पहले जब उन्होंने अमरावती में आठ दिनों का अनशन आंदोलन किया था, तब सरकार ने लिखित रूप में कर्जमाफी और अन्य मुद्दों पर जल्द निर्णय का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
किसानों का कहना है कि इस बार वे खाली हाथ लौटने वाले नहीं हैं. उन्होंने बताया कि खाने-पीने का सामान, दवाइयां और जरूरी चीजें ट्रैक्टरों में रख ली गई हैं. “चाहे हमें नागपुर में कितने भी दिन रुकना पड़े, या हमारी जान भी चली जाए, लेकिन बिना कर्जमाफी हम गांव नहीं लौटेंगे,” ऐसा किसानों ने स्पष्ट कहा.
इस आंदोलन को लेकर प्रशासन ने नागपुर और वर्धा जिलों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है. वहीं, सूत्रों के अनुसार, मुंबई में मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें बच्चू कडू को आमंत्रित किया गया था, पर उन्होंने जाने से इनकार कर दिया और कहा — “अब मीटिंग से नहीं, सड़कों से न्याय लूंगा.”
विदर्भ के किसानों का यह ‘महा एल्गार’ मोर्चा अब सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. नागपुर में मंगलवार को यह आंदोलन अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंचेगा, और उसके राजनीतिक और सामाजिक असर दूरगामी साबित हो सकते हैं.
बच्चू कडू पिछले कई महीनो से किसानों की कर्ज माफी, खेती और मजदूरों की समस्या, दिव्यांगों की समस्या, भेड़ पालन करने वालों, मछुआरों की समस्याओं को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. उन्होंने किसानों को जागृत करते हुए उन्हें नागपुर आने का न्योता दिया है. उन्होंने कहा कि अब हम हक लेकर ही रहेंगे, चाहे इसमें हमारी जान क्यों न चली जाए. किसान भी कडू के सुर में सुर मिलाते हुए 'अबकी बार किसानों का कर्ज माफ' का नारा दे रहे हैं.
किसानों का कहना है कि हम इस बार कर्ज माफ कराकर ही गांव लौटेंगे वरना कर्ज के बोझ के नीचे दबकर मरेंगे. मंगलवार को मंत्रिमंडल की इसी विषयों को लेकर बैठक है जिसमें बच्चू कडू को भी बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने जाने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों आंदोलन किया था, मुझे आश्वासन दिए गए थे जो पूरे नहीं हुए तो बैठक में जाने का क्या मतलब है.
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