पराली के बदले मिलेगी गोबर की खादउत्तर प्रदेश सरकार ने पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने के लिए एक इनोवेटिव (innovative) कदम उठाया है. अब राज्य में किसान पराली जलाने की बजाय उसे सरकार को देंगे, और बदले में उन्हें गोशालाओं से गोबर की खाद (organic manure) दी जाएगी.
यह योजना पशुपालन विभाग की ओर से शुरू की जा रही है. पराली का इस्तेमाल पशुओं के बिछावन (bedding) और चारे (fodder) के रूप में किया जाएगा. इससे न केवल पर्यावरण प्रदूषण घटेगा, बल्कि किसानों को जैविक खाद से खेतों को उपजाऊ बनाने में भी मदद मिलेगी.
लखनऊ में हुई समीक्षा बैठक में पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को पराली के फायदे समझाते हुए इस योजना से जोड़ा जाए. उन्होंने कहा —
“पराली जलाने पर कार्रवाई और जुर्माने से बेहतर है कि किसानों को इसका लाभकारी विकल्प दिया जाए.”
मंत्री ने चेतावनी दी कि जिन जिलों में भूसा टेंडर लंबित हैं, वहां के मुख्य पशु चिकित्साधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर सख्त अनुशासनात्मक कदम उठाए जाएंगे.
बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि गोशालाओं में ‘गो काष्ठ-मोक्ष दंडिका’ बनाने के लिए मशीनें लगाई जाएंगी. इसके लिए सीएसआर फंड का उपयोग किया जाएगा. साथ ही, दुग्ध समितियों को सक्रिय करने और किसानों को दूध का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए.
सरकार की इस पहल के बावजूद फतेहपुर जिला पराली जलाने के मामलों में चौथे स्थान पर दर्ज है. कृषि विभाग के सैटेलाइट सर्वे में जिले में 41 मामले संज्ञान में आए, जिनमें से 11 किसानों पर कार्रवाई करते हुए 55 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया. चार किसानों से 20 हजार रुपये वसूले भी गए हैं.
इसके अलावा, बिना एसएमएस डिवाइस चलाए कटाई करने वाले 4 हार्वेस्टर मालिकों को नोटिस जारी किए गए हैं और एफआईआर की चेतावनी दी गई है.
उत्तर प्रदेश में इस साल पंजाब और हरियाणा की तुलना में पराली जलाने की घटनाएं अधिक दर्ज की गई हैं. ऐसे में सरकार ने किसानों को आर्थिक मदद और वैकल्पिक उपयोग के माध्यम से “पराली जलाओ नहीं, काम में लाओ” का संदेश देने की शुरुआत की है.
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