राजू शेट्टी ने गन्ना किसानों के लिए उठाई 3500 रुपये न्यूनतम मूल्य की मांग (सांकेतिक तस्वीर)स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता राजू शेट्टी ने शनिवार को मांग की कि मराठवाड़ा के सभी शुगर फैक्ट्रियों को किसानों को गन्ने के लिए न्यूनतम 3,500 रुपये प्रति टन का भुगतान करना चाहिए. राजू शेट्टी यह बात लातूर जिले के पंगांव में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेता संतोष नागरगोजे द्वारा आयोजित गन्ना सम्मेलन में कही. उन्होंने कहा, "अगर फैक्ट्रियां इस दर पर भुगतान करने से इनकार करती हैं, तो किसानों को सामूहिक रूप से गन्ना सप्लाई करने से इनकार करना चाहिए."
उन्होंने आरोप लगाया कि शुगर मिल मालिक किसानों को FRP (फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस) की एकमुश्त किस्त देने से इनकार कर रहे हैं, जबकि गन्ना काटने वाले और परिवहन करने वाले किसानों से पहले ही पैसे मांग लेते हैं. शेट्टी ने किसानों से इस शोषण के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया.
सम्मेलन में MNS नेता दिलीप धोटरे और नेचुरल शुगर के डायरेक्टर पांडुरंगराव अव्हाड मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. कार्यक्रम में धोटरे की ओर से उस किसान को 11,000 रुपये का चेक भी दिया गया, जिसकी भैंस आकाशीय बिजली गिरने से मर गई थी. साथ ही प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को बीज और खाद वितरित किए गए.
धोटरे ने किसानों से अपील की कि वे पश्चिमी महाराष्ट्र के किसानों की तरह मिलों के खिलाफ अपने हक के लिए खड़े रहें और पूरी FRP प्राप्त करें. वहीं, पांडुरंगराव अव्हाड ने किसानों को प्रति एकड़ 100 टन गन्ना उगाने के लिए खेती की सही तकनीक और मार्गदर्शन भी दिया.
बता दें कि महाराष्ट्र में गन्ना पेराई सत्र 2025-26 की शुरुआत 1 नवंबर से होगी. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बीते दिनों कैबिनेट कमेटी की बैठक इस फैसले को मंजूरी दी थी. यह फैसला राज्य के कई हिस्सों में हुई भारी बारिश और बाढ़ से किसानों को हुए नुकसान को ध्यान में रखते हुए सरकार ने लिया था.
इस बार राज्य सरकार ने गन्ना पेराई पर विशेष उपकर (टैक्स) लगाने का फैसला किया है. राज्य सरकार ने चीनी मिलों से प्रति टन गन्ने पर 10 रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए और 5 रुपये बाढ़ प्रभावित किसानों की सहायता के लिए वसूलने की बात कही है.
चीनी मिल मालिकों ने राज्य सरकार के इस फैसला का कड़ विरोध जताया है. मिल संचालकों का कहना है कि इससे उन पर बोझ पड़ेगा और किसानों को समय पर भुगतान में देरी होगी. वहीं, विपक्षी दलों ने भी महायुति सरकार के इस फैसले पर विरोध जताया है. (पीटीआई के इनपुट के साथ)
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