पिछले 10 महीनों से चल रहे किसान आंदाेलन में अब कई किसान संगठन एक बार फिर लामबंद होने रहे हैं. हाल ही में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेता राकेश टिकैत ने संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात की थी. वहीं, आज भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) ने कल डल्लेवाल से मुलाकात की योजना बनाई है. इस मुलाकात के बाद संभव है कि दोनों मिलकर आंदोलन तेज करें. हालांकि, पहले ही कई किसान संगठन इसमें शामिल हैं. वहीं डल्लेवाल ने भी आज प्रेसवार्ता कर सरकार को चेतावनी दी है कि वे कुछ ऐसा न करें, जिससे किसान भड़क जाएं.
दरअसल, आज भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) की प्रदेश कार्यकारिणी की अहम बैठक आयोजित हुई, जिसमें संगठन के हरियाणा के सभी जिला प्रधान भी शामिल हुए. संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चंढूनी ने कहा कि खनौरी बॉर्डर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल कई दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं और उनकी सेहत बिगड़ गई है. इसलिए कल 15 दिसंबर को हमारे हरियाणा और पंजाब के सभी कार्यकर्ता खनौरी बॉर्डर पहुंचेंगे.
चढूनी ने हरियाणा के कार्यकर्ताओं से सुबह 10 से 10:30 बजे तक कैथल से होते हुए खनौरी रोड पर नीम साहिब जी गुरुद्वारे पर इकट्ठा होने के लिए कहा है. यहां से उन्होंने साथ में खनौरी बॉर्डर साथ जाएंगे. चढूनी ने कहा है कि आगे की रणनीति वहीं जाकर बनेगी कि कैसे एसकेएम के साथ मिलकर आंदोलन किया जा सकता है या जो भी रणनीति बनाई जा सकती है.उन्होंने पंजाब के कार्यकर्ताओं से 12 बजे तक खनौरी बॉर्डर आने की अपील की है.
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इधर, खनौरी बॉर्डर पर 9 दिनों के बाद किसान नेता डल्लेवाल ने मीडिया के माध्यम से देश के किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मेरी ज़िंदगी आंदोलन से ज्यादा कीमती है, लेकिन मेरा मानना है कि मेरी ज़िंदगी से ज्यादा कीमती उन किसानों की ज़िंदगी है, जो सरकारों की गलत नीतियों के कारण आत्महत्या कर रहे हैं और पिछले 25 सालों में 5 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं.
उन्होंने कहा कि वे अपने किसान समाज को उसके हक दिलाने के लिए अपनी कुर्बानी देने को तैयार हैं और अगर सुप्रीम कोर्ट सच में उनकी ज़िंदगी को लेकर इतना ही गंभीर है तो केंद्र सरकार को आदेश जारी करे कि किसानों की मांगें जल्द से जल्द पूरी करे. जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने किसान मोर्चों के ऊपर हमला किया और किसी का एक बूंद खून भी बहा तो उसकी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की होगी. आज जब 101 किसानों का जत्था शांतिपूर्वक तरीके से शम्भू बॉर्डर से दिल्ली जाने के लिए पैदल चला तो उसके ऊपर हरियाणा सरकार ने बल प्रयोग किया, जिसमें 15 किसान घायल हो गए.
वहीं, आज महीने में तीसरी बार किसानों ने दिल्ली कूच का प्रयास किया, लेकिन अनुमति नहीं होने के कारण हरियाणा पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले दागे, जिसमें कई किसान घायल हो गए. थोड़े समय बाद ही किसान मुक्ति मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंढेर ने मार्च वापस बुला लिया. दोपहर 12 बजे 101 किसानों का जत्था कूच के लिए निकला था. वहीं, खुफिया एजेंसियाे के इनपुट के आधार पर अंबाला के कुछ हिस्सो में 17 दिसंबर तक इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है.
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