Rakesh Tikait: संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से खनौरी बॉर्डर पर मुलाकात की, जिनका आमरण अनशन अठारहवें दिन में प्रवेश कर गया है. टिकैत ने किसानों के समूहों से "संयुक्त लड़ाई" के लिए एकजुट होने का आह्वान किया. टिकैत के साथ एसकेएम नेता हरिंदर सिंह लखोवाल भी थे. सवालों का जवाब देते हुए टिकैत, जो भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता भी हैं, ने कहा, "डल्लेवाल जी हमारे बड़े नेता हैं और हम उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं, पूरे देश के किसान चिंतित हैं".
टिकैत ने कहा, "हम उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं...सरकार को संज्ञान लेना चाहिए...ऐसा नहीं लगता कि डल्लेवाल तब तक अपना आमरण अनशन वापस लेंगे, जब तक सरकार बातचीत नहीं करती और उनकी मांगें पूरी नहीं करती." यह पूछे जाने पर कि क्या अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान एसकेएम का गठन करने वाले सभी संगठनों को किसानों के अधिकारों की लड़ाई प्रभावी ढंग से लड़ने के लिए हाथ नहीं मिलाना चाहिए, टिकैत ने कहा, "हमने एक समिति बनाई है जो समूहों के साथ बात करेगी." उन्होंने कहा कि भविष्य की कार्रवाई के लिए रणनीति तैयार की जाएगी.
टिकैत ने कहा कि केंद्र को किसानों की ताकत दिखानी होगी और इसके लिए दिल्ली को पिछले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की तरह सीमाओं पर नहीं घेरना होगा, बल्कि केएमपी (कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे) से राष्ट्रीय राजधानी को घेरना होगा. उनसे पूछा गया कि सरकार किसानों की मांगें तभी मानेगी जब सभी किसान संगठन एक साथ आएंगे.
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जवाब में टिकैत ने कहा, "दिल्ली की सीमाओं पर (अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ) आंदोलन 13 महीने तक चला...सरकार को एक बार फिर 4 लाख ट्रैक्टरों की जरूरत है. इस बार आंदोलन केएमपी पर होगा, हमें केएमपी को ही बॉर्डर बनाना होगा." उन्होंने कहा, "जब दिल्ली को घेरा जाएगा, तो केएमपी से ही होगा. यह कब और कैसे होगा, यह हम देखेंगे..."
एक सवाल के जवाब में उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की नीति है कि किसान संगठनों को अपने एजेंडे के अनुरूप बांटा जाना चाहिए. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसान संगठनों को एक साथ आना चाहिए और अगले कदम के बारे में रणनीति बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि लड़ाई सरकार से है.
उन्होंने कहा, "रहमो करम से राजा नहीं मानता, राजा को तो ताकत दिखानी पड़ती है." टिकैत ने सिखों को एक बहादुर समुदाय बताया और कहा कि सिख समुदाय बलिदान देने से नहीं डरता और अतीत में भी उन्होंने देश के लिए कई बलिदान दिए हैं.
इस बीच, लखोवाल ने कहा कि डल्लेवाल की तबीयत चिंताजनक है. उन्होंने कहा, "सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए और बातचीत करनी चाहिए. हम जानते हैं कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक वह मोर्चा नहीं छोड़ेंगे."
जब पूछा गया कि किसान संगठन एक मंच पर क्यों नहीं आते, तो लखोवाल ने कहा, "हमने एक समिति बनाई है, हम किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले अन्य नेताओं से बात करेंगे." उन्होंने कहा, "हमने कहा है कि (किसान संगठनों के) एक साथ आए बिना, यह लड़ाई लड़ी और जीती नहीं जा सकती. यह केवल एक राज्य की बात नहीं है, बल्कि सभी राज्यों को एक साथ लेना होगा."
डल्लेवाल 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर हैं, ताकि केंद्र पर आंदोलनकारी किसानों की मांगों को मानने का दबाव बनाया जा सके, जिसमें फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी भी शामिल है.
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संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. किसानों के एक समूह ने 6 दिसंबर और 8 दिसंबर को पैदल दिल्ली में आने के दो प्रयास किए. हरियाणा में सुरक्षा कर्मियों द्वारा उन्हें आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी गई. प्रदर्शनकारी किसान 14 दिसंबर को मार्च करने का एक और प्रयास करेंगे.(PTI)
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