पंजाब में 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा चूक मामले में पुलिस ने 25 किसानों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. इस मामले में दर्ज एफआईआर में किसानों के खिलाफ हत्या के प्रयास की धारा भी जोड़ी गई है. पंजाब पुलिस की इस कार्रवाई पर किसान संगठन नाराज हैं. सरकार की इस कार्रवाई का विरोध करते हुए भारती किसान यूनियन (बीकेयू-क्रांतिकारी) ने कहा है कि यह सरासर गलत है. फिरोजपुर के एक जूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट ने किसानों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया.
फिरोजपुर एसपी (इनवेस्टिगेशन) रणधीर कुमार ने कहा कि इस मामले में जांच जारी है. दूसरी ओर बीकेयू (क्रांतिकारी) के अध्यक्ष बलदेव सिंह जीरा ने कहा, शुरू में यह मामला जमानती धारा में दर्ज किया गया था, लेकिन पता चला कि बाद में गंभीर धाराएं जैसे हत्या का प्रयास भी जोड़ दिया गया. 14 जनवरी को एक आरोपी की जमानत को फिरोजपुर सेशन्स जज विरेंदर अग्रवाल ने नकार दिया था. यह जानकारी बलदेव सिंह जीरा ने दी जो तीन साल पहले की उस घटना के वक्त वहां मौजूद थे.
बीकेयू (क्रांतिकारी) ने पंजाब सरकार को चेतावनी दी कि अगर किसानों के खिलाफ मामले नहीं हटाए जाते हैं तो बड़ा किसान आंदोलन होगा.
5 जनवरी, 2022 को लुधियाना-फिरोज़पुर नेशनल हाईवे पर फिरोजपुर से लगभग 10 किलोमीटर पहले पियारेना गांव में किसानों ने सड़क जाम कर दी थी. यह सब संयुक्त किसान मोर्चा के प्रधानमंत्री के दौरे के विरोध में राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन के आह्वान पर किया गया था. प्रधानमंत्री का काफिला पियारेना से आगे फ्लाईओवर पर फंस गया था. लगभग 15 मिनट तक आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दिए जाने के बाद, काफिला बठिंडा के पास भिसियाना एयरबेस पर वापस आ गया, जहां प्रधानमंत्री ने कथित तौर पर एक अधिकारी से कहा कि "मुख्यमंत्री को बताएं कि वह जीवित वापस आ गए हैं".
पुलिस ने शुरू में 6 जनवरी, 2022 को कुलगढ़ी थाने में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 283 (सार्वजनिक काम में किसी व्यक्ति को खतरा, बाधा या चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया था. हालांकि, धारा 307 (हत्या का प्रयास), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), 341 (गलत तरीके से रोकना), 186 (लोक सेवक के कर्तव्यों का पालन करते समय बाधा डालना), 149 आईपीसी (गैरकानूनी सभा), और 8बी राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम (राष्ट्रीय राजमार्ग को नुकसान पहुंचाना) को मामले में जोड़ा गया और दिसंबर 2022 को 24 प्रदर्शनकारियों को नामजद किया गया.
प्रदर्शनकारियों में से एक कमलजीत सिंह ने बीएनएस की धारा 482 (गिरफ्तारी की आशंका वाले व्यक्ति को जमानत देने का निर्देश) के तहत गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए आवेदन किया था. अदालत ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया, यह देखते हुए कि एफआईआर में शामिल आरोप गंभीर प्रकृति के थे, क्योंकि "देश के प्रधानमंत्री को एक घंटे से अधिक समय तक रोका गया, जिससे उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ गई". इसके अलावा, कुलगढ़ी पुलिस स्टेशन के एसएचओ ने नवंबर 2024 में पासपोर्ट के लिए आवेदन पर एक अन्य आरोपी की निगेटिव रिपोर्ट दी थी.
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