पश्चिम बंगाल के किसानों के लिए आईएमडी की तरफ से कृषि सलाह जारी की गई है. किसान इन सलाहों का पालन करते हुए फसल नुकसान से बच सकते हैं और बेहतर उत्पादन हासिल कर सकते हैं. पश्चिम बंगाल को छह कृषि मौसम क्षेत्रों में बांटा गया है. आईएमडी ने सभी अलग-अलग कृषि मौसम क्षेत्रों को लेकर सलाह जारी की है. उत्तर पहाड़ी क्षेत्र कलिंगपॉंग औऱ दार्जीलिंग के किसानों के लिए सलाह जारी करते हुए कहा गया है कि किन्नू की फसल तोड़ने के बाद डालियों की छंटाई कर दें. इसके बाद उनमें कॉपर ऑक्सिक्लोराइड दो ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. इसके साथ ही पौधों में 40 ग्राम एफवाईएम प्रति पौधा की दर से डालें.
आलू के लिए सलाह जारी करते हुए कहा गया है कि वर्तमान में जो मौसम चल रहा है उससे आलू में लेट ब्लाइट रोग होने की संभावना है. ऐसे में आलू की लगातार निगरानी करते रहें. झुलसा रोग के रोकथाम के लिए मैंकोजेब 64 फीसदी और सिमोक्सानिल 8 प्रतिशत 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. ध्यान रहे कि जब खिली धूप हो तब ही आलू के पौधों की पत्तियों पर इसका छिड़काव करें. इसके अलावा वर्तमान और नम मौसम सरसों की खेती में रतुआ रोग की के संक्रमण के लिए अनुकूल है. इस रोग में सरसों के पत्तियों में संक्रमण हो जाता है. सरसों में अगर संक्रमण अधिक है तो मेटालेक्सिल 8 प्रतिशत और मैंकोजेब 64 प्रतिशत को 37 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. तेज धूप होने पर ही छिड़काव करें. साथ ही खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें और खरपतवार नियंत्रण करें.
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इस समय ठंडे मौसम में पशुओं को निमोनिया का प्रकोप हो सकता है. साथ ही पशुओं में खुरहा और चपका का रोग हो सकता है. उन्हें निमोनिया से बचान के लिए सुबह के वक्त चराई से बचें और एफएमडी बीमारी से बचावे के लिए टीकाकरण कराएं. सूअर के बच्चों को 2-4 सप्ताह की उम्र में स्वाइन बुखार से बचाव के लिए टीकाकरण कराएं. इसके अलावा सूअर में स्वाइन फ्लू का रोग सभी उम्र में हो सकता है. यह एक वायरल फ्लू है. इसका संक्रमण होने पर तेज बुखार होता है और चमड़ी में घाव हो जाते हैं. साथ ही कब्ज दस्त और उल्टी होती है और भूख कम लगती है. सूअर में ये लक्षण दिखाई देनें पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें.
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इसके साथ ही जिन किसानों ने सब्जियों की खेती की है उनके लिए सलाह जारी करते हुए कहा गया है कि खेतों में खरपतवार का सही तरीके से नियंत्रण करें. साथ ही फसलों की आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें और निराई-गुड़ाई करते रहें. फसल की उचित वृद्धि के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व आवश्यक हैं, इसका प्रयोग करें. मौसम साफ रहने पर और खिली धूप निकलने पर पौधों में सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव करें. पत्तागोभी, फूलगोभी जैसी सभी फसलों में मल्टीप्लेक्स को 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
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