हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कहा कि मिट्टी के स्वास्थ्य के साथ–साथ अनाज की गुणवत्ता की जांच भी जरूरी है. आज उर्वरकों व कीटनाशकों के ज्यादा उपयोग से पैदा होने वाले अनाजों से कई गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं. इसलिए हमें केमिकल रहित अनाज पैदा करने की ओर बढ़ना होगा. इसका उपाय प्राकृतिक खेती ही है. जो पंचायत अपने गांव को केमिकल फ्री खेती वाला गांव घोषित करेगी, उसके हर प्रकार की फसल की खरीद सरकार सुनिश्चित करेगी. इसके लिए एमएसपी के अलावा 10 से 20 प्रतिशत अधिक मूल्य पर खरीद होगी. फसल की ब्रांडिंग, पैकेजिंग खेतों में ही होगी. सीएम ने इस बात का एलान बुधवार को चंडीगढ़ में हुई हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण की जनरल बॉडी की तीसरी बैठक किया.
मनोहर लाल ने कहा कि कृषि जोत छोटी होती जा रही है, इसलिए छोटे व सीमांत किसानों की आय बढ़ाने के लिए परंपरागत खेती के साथ-साथ नए दौर की भी कृषि प्रणाली अपनाने की जरूरत है. पशुपालन के क्षेत्र में आज अपार संभावनाएं हैं, जिससे किसान व पशुपालक बेहतर आय प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही, किसानों को सहकारी खेती की अवधारणा की और बढ़ने की भी आवश्यकता है. यानी कई किसान मिलकर एक साथ खेती करें. इससे छोटी जोत की समस्या खत्म होगी और किसान फूड प्रोसेसिंग की दिशा में भी आगे बढ़ सकेंगे.
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सीएम ने कहा कि प्राधिकरण संबंधित विभागों के साथ मिलकर पायलट योजनाएं तैयार करे. इजरायल की तर्ज पर सहकारी खेती के लिए अधिक से अधिक किसानों को प्रेरित करें. हरियाणा में कृषि व किसानों की तरक्की के लिए अब क्लस्टर मोड पर पायलट परियोजनाओं की रूपरेखा बना रही है. जिससे फसल विविधीकरण, सूक्ष्म सिंचाई योजना, पशु नस्ल सुधार व अन्य कृषि संबद्ध गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा.जैविक खेती, प्राकृतिक खेती व सहकारी खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ाने के लिए भी प्राधिकरण नई योजनाएं तैयार करेगा.
बैठक में कृषि मंत्री जेपी दलाल, सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल, ऊर्जा मंत्री रणजीत सिंह, पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली और हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण की कार्यकारी समिति के चेयरमैन सुभाष बराला उपस्थित रहे. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने फसल विविधीकरण व जल संरक्षण के लिए मेरा पानी मेरी विरासत योजना व डीएसआर तकनीक से धान की बिजाई के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन दे रही है, ताकि किसान परंपरागत खेती से हटकर अन्य फसलों की ओर जाएं. कम पानी की खपत करने वाली फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है.
मनोहर लाल ने कहा कि भू-जल स्तर निरंतर कम हो रहा है. कई जगहों पानी 100 मीटर से भी गहराई पर चला गया है. कुछ क्षेत्रों में पानी हर वर्ष लगभग 10 मीटर नीचे जा रहा है. इसलिए ऐसे क्षेत्रों में सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाएं स्थापित करने पर जोर दिया जाए. जहां पर भू-जल स्तर 30 मीटर है, वहां पर भी कृषि नलकूपों को शत-प्रतिशत सौर ऊर्जा पर लाया जाए. राज्य सरकार इसके लिए नई सब्सिडी देने को भी तैयार है. पानी और बिजली पर जितना भी खर्च होगा, सरकार उसे वहन करने के लिए तैयार है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिवालिक व अरावली पर्वत श्रृंखला में बरसात के पानी के संरक्षण के लिए रिजर्वायर बनाया जाना चाहिए ताकि पहाड़ों से आने वाले पानी को खेती के लिए एकत्रित किया जा सके. बाद में इसे सिंचाई व अन्य आवश्यकताओं के लिए उपयोग किया जा सके. उन्होंने सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वो इसके लिए पायलट परियोजना तैयार करें.
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