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इस फूल का तना, बीज, तेल और खली सबकुछ महंगा बिकता है, 15 मार्च तक कर सकते हैं बुवाई

इस फूल का तना, बीज, तेल और खली सबकुछ महंगा बिकता है, 15 मार्च तक कर सकते हैं बुवाई

सूरजमुखी फूल की खेती का अपना आर्थिक महत्व भी है. क्योंकि इसका बीज, तना, तेल औऱ खल्ली सभी चीजों का इस्तेमाल होता है और सभी चीजों की अच्छी कीमत मिलती है. सूरजमुखी के बीज में 35-45 प्रतिशत तक तेल होता है. इसके तेल में कोलेस्ट्रोल नहीं होता है. इसलिए यह दिल के मरीजों के लिए काफी अच्छा माना जाता है.

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सूरजमुखी की खेती सूरजमुखी की खेती

सूरजमुखी एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है. पीले रंग के इसके बड़े बड़े फूल बेहज खूबसूरत दिखाई देते हैं. हालांकि पहले इन फूलों का इस्तेमाल सजावट के लिए किया जाता था पर 1969 में पहली बार इसे तिलहनी फसल के रुप में पहचान मिली. इसके बाद से अधिक उत्पादन क्षमता और अच्छी कीमत के कारण किसान इसकी खेती से जुड़ते जा रहे हैं. इसके साथ ही इसकी लोकप्रियता भी धीरे धीरे बढ़ती जा रही है. इसकी खेती की खासियत यह है कि इससे काफी मात्रा में तेल निकलता है. इससे हमे तेल का आयात करने की जरूरत नहीं होगी साथ ही यह सूखा सहन सकती है.इसके अलावा यह जल्दी तैयार होने वाली फसल है. रबी, खरीफ और जायद तीनों ही मौसम में किसान इसकी खेती कर सकते हैं. 

सूरजमुखी फूल की खेती का अपना आर्थिक महत्व भी है. क्योंकि इसका बीज, तना, तेल औऱ खल्ली सभी चीजों का इस्तेमाल होता है और सभी चीजों की अच्छी कीमत मिलती है. सूरजमुखी के बीज में 35-45 प्रतिशत तक तेल होता है. इसके तेल में कोलेस्ट्रोल नहीं होता है. इसलिए यह दिल के मरीजों के लिए काफी अच्छा माना जाता है. इसके साथ ही यह आसानी से पच भी जाता है. सूरजमुखी के तेल का इस्तेमाल तेल पेंट, वारनिश और साबुन बनाने के लिए भी किया जाता है. इसके साथ ही सुरजमुखी की खली में 30-40 प्रतिशत तक प्रोटीन होता है जो मवेशियों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. 

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अच्छी किस्म के बीज का करें प्रयोग

सूरजमुखी के फायदे को देखते हुए हमे यह जानना जरूरी है कि इसकी खेती कैसे की जाती है. ताकि अधिक से अधिक किसान इसकी खेती से आसान से जुड़ सकें. सूरजमुखी की खेती के लिए सबसे पहले अच्छी गुणवत्ता वाले बीज का चयन करना चाहिए. इसके साथ ही बीजों की बुवाई समय पर करनी चाहिए. एचएसएफएच-848 सूरजमखी की एक ऐसी किस्म है जिसकी पैदावार 22-25 क्विंटस प्रति क्विंटल तक होती है. इसे पकने में 95-100 दिनों का समय लगता है. इस किस्म में बीमारियां नहीं होती हैं. इसके अलावा अन्य किस्में हैं जिसकी खेती किसान कर सकते हैं. इसकी खेती के लिए किसान सरकारी किस्मों के अलावा प्राइवेट कंपनी के बीजों की भी बुवाई कर सकते हैं. 

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भूमि की तैयारी और बिजाई का समय

सूरजमुखी की अच्छी पैदावार हासिल करने के लिए खेत में अच्छी नमी और मिट्टी का भुरभुरा होना जरूरी है. इसकी बुवाई करने के लिए नमी वाली जमीन की मिट्टी पलटकर अच्छे से जुताई कर लें. इसके बाद फिर देशी हल से जुताई करें. सूरजमुखी की बुवाई के लिए 15 जनवरी से 15 फरवरी तक का समय उपयुक्त माना जाता है. पर ध्यान रहे की बुवाई के वक्त तापमान कम नहीं रहें क्योंकि तापमान कम रहने से अंकुरण में समस्या आ सकती है. बीज की बुवाई करने के पहले बीजो को चार घंटे तक पानी में भींगा कर रखे इसके बाद छाया में सुखा कर बुवाई करें. इससे अच्छा अंकुरण होता है और पैदावार भी अच्छी होती है.