मई का महीना चल रहा है. इस महीने में गन्ने की रोपाई की जाती है. हालांकि इस सीजन में लगाए गए गन्ने की पैदावार ठंड के मौसम में लगाए गए गन्ने से कम होती है. अगर किसान सही और उन्नत किस्मों का चयन करें और खेत का प्रबंधन सही तरीके से करें तो अच्छी पैदावार भी हासिल की जा सकती है. गर्मी में रोपी गई गन्ना की फसल की अच्छी पैदावार हासिल करने के लिए पोधों में संतुलित मात्रा में खाद डालना जरूरी है. रोपाई के बाद गन्ना का अंकुरण सही तरीके से हो, इसके लिए रोपाई से पूर्व गन्ने के टुकड़े को 24 घंटे तक पानी में भीगा कर रखना चाहिए. बुवाई के लिए निर्धारित मापदंडों का पालन करना चाहिए. रोपाई के लिए पंक्ति से पंक्ति के बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए.
गन्ने की बुवाई के लगभग तीन महीने बाद खेत में प्रति हेक्टेयर की दर से 130-63 किलोग्राम यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करनी चाहिए. इसके अलावा अगर किसान गन्ने के खेत में गन्ने की कटाई के बाद गन्ने की रोपाई कर रहे हैं तो पलेवा करना चाहिए. जो किसान मई के महीने में गन्ने की खेती कर रहे हैं, वे गन्ने की सीओएच-37 किस्म का चयन कर सकते हैं. यह तेजी से बढ़ने वाली किस्म होती है. इसका गन्ना मोटा नरम और रसीला होता है. खराब मिट्टी और कम नाइट्रोजन खाद में भी इसकी पैदावार 320 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है. साथ ही इससे 18-20 प्रतिशत खांड निकलता है.
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गन्ने की यह वैरायटी अधिक बढ़ने पर गिर जाती है. इसलिए इस किस्म की रोपाई द्वि-पंक्ति विधि से करनी चाहिए. इसके साथ ही इसमें मिट्टी चढ़ाना और बांधना जरूरी होता है. गन्ने की इस किस्म की बुवाई के 6 सप्ताह बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए. इसके अलावा जिन किसानों ने सर्दी के मौसम में और बसंत के मौसम में गन्ने की रोपाई की है, वे मई के महीने में 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहें. गन्ने की प्रजाति सीओजे-64 को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती है. इसकी दो और प्रजातियां सीओ-1148 और सीओएस-767 सूखे को काफी हद तक सहन कर लेती है.
गन्ने की लंबाई अधिक होती है और सीधी होती है. इसलिए इसे सीधा खड़ा रहने के लिए अधिक सहारे की जरूरत होती है. खास कर बारिश के दौरान जड़ों में अधिक मिट्टी की जरूरत होती है क्योंकि बारिश के कारण जड़ों से मिट्टी का कटाव होता है. इसलिए इसमें मिट्टी चढ़ाने की जरूरत होती है. मई का महीना मिट्टी चढ़ाने के लिए उपयुक्त होता है. इससे खेत में खरपतवार का नियंत्रण करने में मदद मिलती है. साथ ही तेज हवा और बारिश में यह पौधों को गिरने से भी बचाता है.
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गर्मी के मौसम में सिंचाई प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि इस महीने में अत्यधिक गर्मी के साथ-साथ तेज हवाएं भी चलती हैं. इसलिए मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखने की जरूरत होती है. इस दौरान गन्ने की दो पंक्तियों के बीच 7-8 सेंटीमीटर की पत्तियों की मोटी परत बिछा दें. ऐसा करने से खेत की नमी बनी रहती है. साथ ही इससे खर-पतवार का नियंत्रण करने में मदद मिलती है. इसके अलावा गन्ने के पत्ते भी धीरे-धीरे सड़कर कंपोस्ट खाद का काम करते हैं. गन्ने की फसल को अंकुरबेधक और दीमक से बचाने के लिए बीएचसी 20 ईसी दवा का को पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
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