Bihar flood: बाढ़ में बह गया ‘जीवन का सहारा’, सैकड़ों किसानों की रोज़ी-रोटी पर संकट

Bihar flood: बाढ़ में बह गया ‘जीवन का सहारा’, सैकड़ों किसानों की रोज़ी-रोटी पर संकट

Bihar flood: बिहार में बाढ़ की समस्या बड़ी है. यहां नेपाल से आया पानी भारी मुसीबत खड़ा करता है. हालांकि नेपाल का पानी अभी नहीं आया है, मगर गंडक नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी से बेतिया में चचरी पुल बह गया जिससे खेतों और किसानों को बहुत नुकसान हुआ है.

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Bihar flood: बाढ़ में बह गया ‘जीवन का सहारा’, सैकड़ों किसानों की रोज़ी-रोटी पर संकटबेतिया में बह गया चचरी पुल, खेती को नुकसान

बिहार के पश्चिम चंपारण से एक बड़ी घटना सामने आई है. योगापट्टी प्रखंड के सिसवा मंगलपुर गांव में गंडक नदी पर बना अस्थायी चचरी पुल बुधवार को तेज बहाव में बह गया. ये वही पुल था जो न सिर्फ गांव को आसपास के इलाकों से जोड़ता था, बल्कि किसानों की आजीविका का सबसे बड़ा सहारा भी था. नेपाल के तराई इलाकों में बारिश के बाद गंडक नदी उफान पर है. तेज धारा ने चचरी पुल को चीरकर बहा दिया. इस पुल के बहते ही सिसवा मंगलपुर से श्रीनगर, मधातापुर, गोरटोली जैसे गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया है. हजारों एकड़ खेती योग्य भूमि अब गंडक के उस पार रह गई है, लेकिन पहुंचने का रास्ता अब सिर्फ नाव ही बचा है, वो भी जान जोखिम में डालकर.

स्थानीय लोगों का कहना है कि अब खेत नाव से जाना पड़ता है, हर रोज़ डर लगता है. इस के साथ पुल गिरने से स्थानीय प्रशासन की उदासीनता पर भी सवाल उठ रहे हैं. लोगों का कहना है कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद प्रशासन इसकी खोज-खबर नहीं ले रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि हर साल गंडक का जलस्तर बढ़ता है और ये पुल बह जाता है, लेकिन इसके स्थायी समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया गया है. हर बार चचरी के सहारे साल काटते हैं और हर साल वही सिसकती कहानी दोहराई जाती है.

पुल टूटने से नाराज गांव के लोग

गांव वालों ने प्रशासन से मांग की है कि गंडक नदी पर एक पक्का पुल जल्द से जल्द बनाया जाए, ताकि हर साल बाढ़ की मार और जिंदगी की जद्दोजहद का सिलसिला थम सके. आपको बता दें कि मॉनसून की अनियमितता और लगातार हो रही बारिश से पश्चिम चंपारण के किसानों की चिंता बढ़ गई है. जिले के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ और जलजमाव की वजह से धान, मक्का, अरहर, सब्ज़ियां और दलहन की फसलें बर्बाद होने लगी हैं. विशेष रूप से दियारा क्षेत्र के खेतों में पानी भर गया है, जिससे फसलों की जड़ें गलने लगी हैं.

कई गांवों में खेती को नुकसान

धान की नर्सरी सबसे अधिक प्रभावित हो रही है. लगातार जलभराव के कारण पौध सड़ने लगी है. मक्का की फसल, जो पहले ही खेतों में लहलहा रही थी, अब पानी में डूबकर गलने की कगार पर है. अरहर और उड़द की बुवाई कर चुके किसान अब चिंतित हैं क्योंकि बीज अंकुरित ही नहीं हो पा रहे हैं. सब्ज़ियों में, परवल, भिंडी, लौकी और करैला जैसी फसलें भी सड़ने लगी हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है.

क्या कहना है स्थानीय किसानों का

स्थानीय किसान अमरेंद्र कुमार का कहना है कि, हमने बड़ी मेहनत से धान की नर्सरी तैयार की थी, लेकिन लगातार बारिश से सब पानी में डूब गया है. वहीं किसान दिनेश्वर कुमार  बताते हैं कि मक्का तो पूरा बर्बाद हो गया. खेत में जाकर कुछ बचा भी नहीं है. इस इलाके में गंडक नदी जहां खेती में सहारा देती है, वही अगर बहाव तेज हो तो पुल बहने जैसी घटना सामने आती है. चचरी पुल के साथ भी ऐसा ही हुआ है. गंडक के तेज बहाव में चचरी पुल बह गया है जिससे आसपास के खेतों और किसानों को भारी नुकसान हुआ है. किसान प्रशासन से तुरंत राहत दिलाने की मांग कर रहे हैं.(अभिषेक पांडेय की रिपोर्ट)

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