
बीती रात संगरूर के विधानसभा हलका सुनाम के नजदीक गांव में नहर में 50 फीट की दरार पड़ गई जिसके चलते किसानों की धान और मकई की 1000 एकड़ में फसल बर्बाद हो गई. इस दरार को बंद करने के लिए प्रशासन और किसान कोशिश कर रहे हैं लेकिन अभी कोई सफलता नहीं मिली है. इससे लगातार पानी किसानों के खेतों में जा रहा है. ड्रोन के जरिए ली गई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि बड़े इलाके में पानी जा चुका है जिससे फसलों का भारी नुकसान हुआ है. किसानों का कहना है कि पिछले एक हफ्ते से नहर में आ रही दरार की सूचना प्रशासन को दी जा रही थी. प्रशासन को बताया गया कि नहर के किनारे कमजोर हैं, इसका कोई प्रबंध किया जाए, मगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया.
किसानों की शिकायत है कि इस नहर में हर साल दरार पड़ती है और बांध टूटती है जिससे उनकी फसलों का बहुत नुकसान होता है. इस बार भी ऐसा ही हुआ और तमाम शिकायतों के बावजूद इसे समय रहते ठीक करने की कोशिश नहीं की गई.
दरअसल, सुलरघराट से नीलोवाल गांव की ओर जा रही मुख्य नहर खड़ियाल गांव के पास अचानक टूट गई, जिससे आसपास के खेतों में पानी भर गया. इस हादसे में सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न हो गई, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है.
नहर टूटने की जानकारी मिलते ही ग्रामीण मौके पर पहुंचे और पानी रोकने की कोशिश की, लेकिन तब तक काफी जमीन डूब चुकी थी. किसानों ने बताया कि उन्होंने पहले भी नहर की कमजोर स्थिति को लेकर प्रशासन को आगाह किया था, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया.
इस जलभराव से गेहूं की कटाई के बाद तैयार की जा रही अगली फसल की तैयारी पर भी असर पड़ा है. किसानों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के चलते उन्हें यह नुकसान झेलना पड़ रहा है. उन्होंने प्रशासन से मुआवज़े की मांग की है और जल्द नहर की मरम्मत की मांग भी उठाई है.
नीलोवाल गांव के किसानों ने कहा, "हम बार-बार चेतावनी देते रहे कि नहर की दीवारें कमजोर हैं, लेकिन हमारी कोई नहीं सुनता. अब जब सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है, तो प्रशासन को जवाब देना होगा." इस घटना के बाद पूरे इलाके के किसानों में नाराज़गी देखी जा रही है.
नहरी विभाग के अधिकारी प्रदीप कुमार ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि पिछले साल भी यहीं पर नहर टूट गई थी. नहर काफी साल पुरानी है और इसका प्रोजेक्ट बनाकर भारत सरकार को भेजा है. इसे नया बनाकर ही इसका पक्का हल किया जा सकता है क्योंकि इसके किनारो में काफी होल हैं जिसके कारण लगातार पानी के रिसाव का रिस्क बना रहता है.
वहीं किसान जगदीप सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि हर साल यह नहर हमारे गांव में टूटती है, लेकिन विभाग द्वारा कभी भी इसका पक्का प्रबंध नहीं किया गया. इस बार भी हमारी 1000 एकड़ के करीब मकई और धान की फसल बर्बाद हो चुकी है. जिन किसानों को अभी धान की बुआई करनी थी, उनकी जमीन में भी जल भराव हो चुका है.
वहीं इस मामले में संगरूर के डिप्टी कमिश्नर संदीप ऋषि ने कहा कि मामला हमारे ध्यान में आया है. नहर के पाड़ को पानी रोकर बंद करने का काम शुरू कर दिया गया है.(कुलवीर सिंह की रिपोर्ट)
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today