Watermelon Seed Import: सरकार ने तरबूज के बीज आयात करने पर लगाई रोक, किसान संगठन ने कही ये बात

Watermelon Seed Import: सरकार ने तरबूज के बीज आयात करने पर लगाई रोक, किसान संगठन ने कही ये बात

घरेलू बीज उत्पादकों के हित में सरकार ने तरबूज बीजों के आयात पर रोक लगाई है. पिछले वर्षों में बीज आयात में तेजी आई थी, जिससे घरेलू उद्योग को नुकसान पहुंचा. सस्ते आयातित बीजों से आत्मनिर्भरता की नीति को भी चुनौती मिली. अब केवल वैध FSSAI लाइसेंसधारकों को ही आयात की अनुमति दी जाएगी.

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सरकार ने तरबूज के बीज आयात करने पर लगाई रोक, किसान संगठन ने कही ये बाततरबूज के आयात पर लगी रोक (सांकेतिक तस्‍वीर)

घरेलू बीज उत्पादकों के हितों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने तरबूज के बीजों का आयात बैन कर दिया है. यह फैसला बीते सालों में बीज आयात में तेजी से हुई बढ़ोतरी और लघु उद्योग संगठनों की मांग को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. वाणिज्य मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, भारत ने 2023-24 में 83,812 टन तरबूज बीजों का आयात किया था, जबकि पिछले तीन सालों का औसत महज 40,697 टन रहा है. यह आंकड़ा 2021-22 में 20,355 टन था, जो 2022-23 में बढ़कर 65,989 टन हो गया था. हालांकि 2023-24 में यह गिरकर 35,749 टन रहा, फिर भी यह घरेलू मांग के मुकाबले बहुत ज्‍यादा है.

'घरेलू बीज उद्योग को पहुंचा नुकसान'

'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, तरबूज के बीज आयात को लेकर भारतीय किसान संघ (राजस्थान) के राज्य महासचिव तुलछाराम सिवार ने कहा कि सस्ते आयातित बीजों के कारण घरेलू बीज उद्योग को नुकसान पहुंचा है. साथ ही इस आयात ने आत्मनिर्भरता की दिशा में सरकार की नीति को चुनौती दी है. उन्होंने यह भी कहा कि हाइब्रिड बीजों से उत्‍पादन तो ज्‍यादा होता है, लेकिन इससे मिट्टी की सेहत पर बुरा असर पड़ता है और और किसानों को ज्‍यादा रसायनों का इस्‍तेमाल करना पड़ता है.

सीमांत और छोटे किसानों को होगा फायदा: सिवार 

तुलछाराम सिवार ने कहा कि बीजों के आयात पर प्रतिबंध से सीमांत और छोटे किसान, जो पारंपरिक किस्मों जैसे 'मतीरा' (देशी तरबूज) और 'तुंबा' पर निर्भर हैं, उन्हें उचित दाम मिल सकेंगे. साथ ही, बीज उत्पादन, निष्कर्षण, सुखाने और सफाई जैसी प्रक्रियाओं में ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 8 महीने का अतिरिक्त रोजगार भी पैदा होगा. उन्‍होंने कहा कि राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में सामान्य मानसून का अनुमान भी घरेलू बीज उत्पादन को सहारा देगा. भारत में तरबूज की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में होती है.

घरेलू उत्पादन कम होने के चलते आयात पर निर्भरता

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में तरबूज के बीजों की सालाना मांग लगभग 60,000-65,000 टन है, जबकि घरेलू उत्पादन केवल 40,000 टन से भी कम है. ऐसे में किसानों को हर साल लगभग 20,000-25,000 टन बीजों के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता है. वहीं, सरकार ने बीज आयात की व्‍यवस्‍था में बदलाव किया है. ऐसे में अब बीजों का आयात केवल वास्तविक उपयोगकर्ता के रूप में वैध FSSAI लाइसेंसधारकों को ही मिलेगा, साथ ही उन्हें बीज आयात निगरानी प्रणाली (MS-IMS) में रजिस्‍ट्रेशन कराना होगा.

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