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कौन हैं 26 साल के निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी, जिसे सुनने के लिए हर जगह उमड़ रही हजारों की भीड़

कौन हैं 26 साल के निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी, जिसे सुनने के लिए हर जगह उमड़ रही हजारों की भीड़

राजस्थान के बाड़मेर शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने जब छात्र राजनीति से अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत की थी तब से उनकी पहचान बड़े बदलाव करने वाले नेता के तौर पर होती है. 26 साल की उम्र में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर छात्र संघ चुनाव जीता और फिर विधायक का चुनाव जीता, जबकि उनके सामने कांग्रेस और बीजेपी के दिग्गज नेता खड़े. अब वो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सांसद का चुनाव लड़ रहे हैं. उनके रैलियों में उमड़ रही भीड़ विपक्षी नेताओं की नींद उड़ा रही है.

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रविंन्द्र सिंह भाटी (फाइल फोटो) रविंन्द्र सिंह भाटी (फाइल फोटो)

रविंद्र सिंह भाटी, राजस्थान के बाड़मेर जिले का 26 साल का युवक, जिसे सुनने और देखने के लिए हजारों की तादाद में देश के कई हिस्सों में हजारों की तादाद में लोग आ रहे हैं. दरअसल, रविंद्र सिंह भाटी पश्चिमी राजस्थान के इंडो - पाक बॉर्डर से सटे बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा से आने वाले निर्दलीय विधायक है. जो वर्तमान में बाड़मेर - जैसलमेर लोकसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मोदी सरकार के मंत्री कैलाश चौधरी को सीधे तौर पर चुनौती दे रहे हैं. भाटी की चर्चा उस समय सबसे ज्यादा होने लगी जब नामांकन के दौरान भाटी को सुनने और देखने के लिए जनसैलाब सड़कों पर उतर गया. इसी जनसैलाब ने पूरे देश में इस युवा नेता चर्चित उम्मीदवार बना दिया. अब हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ये 26 साल का निर्दलीय विधायक भाटी है कौन ?

राजस्थान के बाड़मेर जिले के शिव विधानसभा के छोटे से गांव दूधोड़ा के रहने वाले और बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाला रविंद्र सिंह भाटी एक शिक्षक के बेटे हैं. जिसके परिवार का राजनीति से दूर तक कोई नाता नहीं रहा है. रविंद्र सिंह ने अपने गांव के स्कूर से प्राथमिक शिक्षा हासिल की उसके बाद बाड़मेर शहर में रहकर पढ़ाई की. फिर श्चिमी राजस्थान की सबसे बड़े विश्वविद्यालय जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी ने ग्रेजुएशन किया और वकालत भी किया. यही से उन्होंने छात्र राजनीति की शुरूआत की और तीन तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के तौर पर रहे. 

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जीता छात्रसंघ चुनाव

साल 2019 में भाटी ने छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में एबीवीपी से टिकट की दावेदारी रखी. लेकिन, एबीवीपी ने भाटी को टिकट ना देकर किसी और को अपना प्रत्याशी घोषित किया. इसी से नाराज भाटी ने एबीवीपी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा और यूनिवर्सिटी के 57 साल के इतिहास को बदलकर पहली बार निर्दलीय छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए. यूनिवर्सिटी का अध्यक्ष बनने के बाद भाटी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. कोरोना काल के दौरान भी लगातार छात्र हितों के मुद्दों को मजबूती से उठाते रहे. छात्रों के हर मुद्दे को लेकर वो सड़क पर आंदोलन करते रहे. इसके कारण कई बार उन्हें जेल की भी हवा खानी पड़ी. यहां तक कि युवाओं और छात्रों की मांगों के लिए विधानसभा का घेराव भी किया.

2022 में अपने दोस्त को जिताया

2022 कॉलेज इलेक्शन के दौरान भाटी के दोस्त अरविंद सिंह भाटी को जब एनएसयूआई ने टिकट नहीं दिया तो अरविंद सिंह भाटी को SFI से चुनाव लड़ा कर NSUI और एबीवीपी को बुरी तरीके से हराकर अरविंद सिंह भाटी को चुनाव जीता दिया. उसी दिन से ही राजस्थान में इस युवा की चर्चा और ज्यादा तेज हो गई. इसके बाद से रविंन्द्र भाटी का झुकाव राजनीति की तरफ बढ़ता चला गया.राजनीति की मुख्य धारा में आकर अपने लोगों की सेवा करने के उद्देश्य से भाटी अपनी विचारधारा के मुताबिक बीजेपी ज्वॉइन करना चाहते थे. कहा जाता है कि भाटी ने बीजेपी से जुड़ने का खूब प्रयास किया. लेकिन, कुछ बीजेपी के बड़े नेता रविंद्रसिंह भाटी को बीजेपी में शामिल नहीं होने देना चाहते थे. इसलिए उनकी राह में रोड़ा बनते रहे.

बीजेपी से की बगावत

आखिरकार भाटी ने 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले शिव विधानसभा से टिकट मिलने की आस में बीजेपी ज्वॉइन कर ली. बीजेपी का जब टिकट डिक्लेयर हुआ तो बीजेपी ने शिव विधानसभा से रविंद्र भाटी को टिकट ना देकर संघ की पृष्ठभूमि वाले और उस समय के बाड़मेर बीजेपी के जिलाध्यक्ष स्वरूपसिंह खारा को अपना उम्मीदवार बना दिया. इसी बात से नाराज भाटी ने महज 7 दिन में ही बीजेपी से बगावत कर शिव विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. नामांकन के दौरान जो भीड़ शिव में दिखी, उसी ने भाटी की जिंदगी को बदलकर रख दिया.

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बड़े चेहरों को हराया

विधानसभा चुनाव में भाटी के सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के टिकट पर 9 बार चुनाव लड़ चुके  पूर्व मंत्री अमीन खान थे.  कांग्रेस ने 84 साल उम्र होने के बाद भी अमीन खान को 10वीं बार अपना प्रत्याशी बनाया था. इसके अलावा बीजेपी के जिला अध्यक्ष स्वरूप सिंह खारा, कांग्रेस के बागी जिलाध्यक्ष फतेह खान और पूर्व विधायक जालमसिंह रावत जैसे दिग्गज और बड़े चेहरे 26 साल के युवा रविंद्र भाटी के सामने थे. लेकिन, जनता को अपने विश्वास में लेकर भाटी ने करीब 4000 वोटों के अंतर से बड़े - बड़े चेहरों को पीछे छोड़कर जीत हासिल की और निर्दलीय विधायक बन गए. यहां तक कि इस चुनाव में बीजेपी के स्वरूपसिंह खारा की तो जमानत तक जब्त हो गई.

नामांकन रैली में उमड़ी भीड़ ने बढ़ाई टेंशन

इसी महीने की 4 तारीख को जब रविंद्रसिंह भाटी ने अपनी नामांकन सभा और रैली की तो हजारों की संख्या में लोग सभा में पहुंचे. एक 26 साल के युवा विधायक के लिए उमड़े हजारों के जनसैलाब ने भाटी को पूरे देश में चर्चित पर दिया. इसलिए ही अब हर कोई जानना चाहता है कि आखिर कौन हैं ये रविंद्रसिंह भाटी ? ऐसा नहीं है कि भाटी का जलवा सिर्फ पश्चिमी राजस्थान में ही है. पिछले तीन दिनों से भाटी बाड़मेर- जैसलमेर और बालोतरा के प्रवासियों से मिलने और वोट मांगने के लिए गुजरात, महाराष्ट्र, बैंगलोर और कर्नाटक, हैदराबाद के अलग अलग इलाकों में पहुंच रहे हैं. भाटी जहां भी जा रहे हैं हजारों लोगों का उन्हें जनसमर्थन मिल रहा है.

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सोशल मीडिया पर हैं लाखों फॉलोवर्स

रविंद्रसिंह भाटी के सोशल मीडिया हैंडल पर लाखों की तादाद में फॉलोवर्स है. सोशल मीडिया पर भाटी का क्रेज राजस्थान ही नहीं पूरे देश में इस कदर बढ़ रहा है कि पिछले महज एक सप्ताह में इंस्टाग्राम पर भाटी के 7 लाख फॉलोवर्स बढ़ गए हैं. वर्तमान में भाटी के इंस्टाग्राम पर 22 लाख, फेसबुक पर करीबन 10 लाख और ट्विटर पर ढाई लाख से ज्यादा फॉलोवर्स है. रविंद्रसिंह भाटी की सोशल मीडिया पर बहुत वीडियो वायरल हो रहे हैं जो लाखों की तादाद में लोगों ने देखें हैं.  कहीं ऐसे भी वीडियो है जो की एक-एक करोड़ लोग देख चुके हैं.