प्याज की खेती में किसानों को लाभ होता है. यह एक महत्वपूर्ण सब्जी और मसाला की फसल है. इसके अलावा इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसकी मांग पूरे साल भर बनी रहती है. इसलिए किसानों को प्याज के अच्छे दाम मिलते हैं. हालांकि यह ठंडे मौसम की फसल है लेकिन भारत में खरीफ के सीजन में इसकी अधिकांश खेती की जाती है. देश में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और बिहार में की जाती है. पर मध्य प्रदेश प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक है. प्याज की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. हालांकि अम्लीय भूमि में भी प्याज की खेती की जा सकती है.
प्याज की खेती में अच्छा उत्पादन हासिल करने के लिए खेत की तैयारी सही तरीके से करना बेहद जरूरी होता है. इसके लिए खेतों के पहले दो से तीन बार जुताई करके मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरा बना देना चाहिए. इसके बाद खेत की अंतिम जुताई कर रहे हैं तब खेत में निर्धारित मात्रा में उर्वरक मिला देना चाहिए. इसके बाद पाटा चलाकर खेत को अच्छे से समतल कर देना चाहिए. प्याज के लिए अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 400 से 500 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की दर से खेत तैयार करते समय मिला दें. इसके अलावा 100 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस और 100 किलो पोटाश की आवश्यकता होती है.
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प्याज की खेती मुख्य तौर पर तीन तरीके से की जाती है. पहले तरीके में खेत को अच्छे तरीके से तैयार करने के बाद बीज का खेत में छिड़काव कर दिया जाता है. इस विधि में किसानों को प्रति हेक्टेयर कम बीज लगते हैं. प्रति एकड़ सात-आठ किलोग्राम बीज में काम हो जाता है. इसके साथ ही इसके बाद इसमें और कोई काम नहीं करना होता है. इसलिए यह आसान होता है. पर इस विधि में किसानों को प्रति हेक्टेयर उपज दूसरी अन्य बुवाई की विधियों की तुलना में कम मिलती है. प्याज के गांठ का आकार भी छोटा होता है.
इस विधि में किसानों को थोड़ी मेहनत जरूर करनी पड़ती है पर इसमें किसानों को काफी फायदा होता है क्योंकि इसमें प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ जाता है. इस विधि में अप्रैल-मई के महीने में छोटे प्याज के गांठों को खेत में लगाया जाता है. प्रति हेक्टेयर इस विधि में 12-14 क्विंटल गांठ लगाया जाता है. पर इस विधि से प्रति हेक्टेयर 200-350 क्विंटल तक उत्पादन हासिल किया जा सकता है. गांठ लगाने के लिए पहले नर्सरी तैयार की जाती है, जिसमें बेड बनाकर प्याज की बीज की बुवाई की जाती है. फिर इसके बाद जब उनमें छोटी गांठें तैयार हो जाती हैं तो फिर इन्हें उखाड़ कर ऊपरी हिस्से के पत्तियों को काट दिया जाता है.
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पत्तियों को काटने के बाद खेत को हल्का गीला करके उन गांठों को फिर से खेतों में रोप दिया जाता है. रोपाई से पहले इनके पत्ते को काटकर इन्हें ठंडी जगह पर रखा जाना चाहिए. गांठ से लगाई गई प्याज की खेती में फायदा यह होता है कि यह 90-110 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है, जबकि बीजों से तैयार की गई फसल को तैयार होने में 140 से 150 दिन लगते हैं. खरीफ सीजन में गांठ से खेती करने के लिए फरवरी के अंतिम सप्ताह या मार्च के शुरुआत में क्यारी बनाकर बीज की बुवाई कर देनी चाहिए. नर्सरी में पौधौं की बढ़वार अच्छे से हो, इसलिए खर-पतवार का नियंत्रण अच्छे से करना चाहिए. जबकि तीसरी विधि में बीज से तैयार पौधें को खेत में लगाया जाता है. इस विधि से बड़े पैमाने पर खेती की जाती है.
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