उत्तर भारत के 19 संगठनों ने बाढ़ से हुए फसल नुकसान का मुआवजा, एमएसपी गारंटी कानून, किसानों मजदूरों की कर्ज मुक्ति समेत अन्य अहम मांगों को लेकर पंजाब में 17 जगहों पर दूसरे दिन भी रेलवे जाम रखा है. 28 सितंबर को 19 संगठनों ने मोगा रेलवे स्टेशन, मोगा जिले के अजीतवाल और डगरू, होशियारपुर गुरदासपुर और जालंधर के डेरा बाबा नानक, जालंधर कैंट, तरनतारन के संगरूर के सुनाम, पटियाला के नाभा, फिरोजपुर के बस्ती टंकावाली और मल्लांवाला, बठिंडा के रामपुरा फूल, अमृतसर के देवीदास पुरा और मजीठा, फाजिल्का रेलवे स्टेशन, मलेरकोटला के अहमदगढ़ में तीन दिनों के लिए 17 जगहों पर विरोध प्रदर्शन की शुरुआत की थी. इसमें कई दर्जन ट्रेनें बाधित हुई हैं ट्रैक पर सेवा बाधित हुई है.
इस संबंध में जानकारी देते हुए किसान नेता जर्मन जीत का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा लगातार अनदेखी के कारण बाढ़ से जूझ रहे उत्तर भारत के राज्यों को केंद्र की ओर से पर्याप्त मदद नहीं मिलने के कारण स्थिति चिंताजनक है. इसी वजह से किसान आज रेलवे लाइन पर धरने के लिए बैठे हैं. अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो यह प्रदर्शन यूं ही जारी रहेगा.
उत्तर भारत के बाढ़ पीड़त राज्यों के लिए 50 हजार करोड़ का राहत पैकेज, दिल्ली मोर्चे के दौरान एमएसपी गारंटी कानून बनाने की अधूरी मांग को पूरा करना और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसलों के दाम तय करना, किसानों और मजदूरों की संपूर्ण कर्ज मुक्ति, मनरेगा के तहत 200 दिन का रोजगार, पंजाब समेत उत्तर भारत में स्मैक हेरोइन जैसे घातक नशे पर नियंत्रण, दिल्ली आंदोलन के दौरान हुए मुकदमे रद्द करना और लखीमपुर नरसंहार के दोषियों पर कार्रवाई, भारत माला परियोजना के तहत अधिग्रहण की जा रही जमीन की दरों में 06 गुना बढ़ोतरी, आबादकार किसानों और मजदूरों को उनकी जमीन का स्थाई मालिकाना हक देने की मांग को लेकर भारतव्यापी रेल रोको मोर्चा पंजाब से शुरू किया गया था जो शुक्रवार 29 सितंबर को दूसरे दिन भी जारी है.
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किसान नेता ने कहा कि पंजाब के लोग मोदी सरकार की कॉरपोरेट समर्थक और भाईचारा तोड़ने वाली नीतियों को समझ चुके हैं. उन्होंने कहा कि रेल जाम करना संगठनों की नाक का सवाल नहीं है, बल्कि मांगों पर सुनवाई नहीं होने के कारण यह मजबूरी है. जब तक केंद्र सरकार इन मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं करती तब तक भारतीय स्तर पर संघर्ष जारी रहेगा.
पूरे पंजाब भर में रेल रोको आंदोलन के तहत अलग-अलग किसान जथेबंदियों की तरफ से अपनी मांगों के लेकर रेलवे स्टेशनों पर तीन दिन के लिए रेल रोककर प्रदर्शन किया जा रहा है. वहीं इस धरने के चलते आम लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
इस मामले में बातचीत करते हुए किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता नछत्तर सिंह और अवतार सिंह ने बताया कि पिछले कई सालों से हमने अपनी मांगें सरकार के आगे रखी हैं, लेकिन अभी तक उन मांगों का कोई भी हल नहीं निकला है. उन्होंने बताया कि स्वामीनाथन रिपोर्ट के मुताबिक एमएसपी पर फसलों का रेट तय किया जाए, लखीमपुर खीरी में हुई घटना के दोषियों को सजा दी जाए, बाढ़ से प्रभावित लोगों को 50000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए और साथ ही दिल्ली में हुए किसान आंदोलन के तहत जिन किसानों पर परचे दर्ज हुए हैं, उनके परचों को रद्द किया जाए. उन्होंने कहा कि यह धरना 30 सितंबर शाम 05 बजे तक चलेगा और 30 सितंबर को कोर कमेटी की मीटिंग में अगला फैसला लिया जाएगा.
वहीं बातचीत करते हुए मोगा से लुधियाना जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर पहुंचे यात्रियों ने बताया कि उन्हें यहां आकर पता लगा कि धरने के कारण ट्रेन रद्द कर दी गई है. इससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि जहां ट्रेनों में सफर करना बहुत आसान और सस्ता है, तो वहीं दूसरी तरफ बसों का किराया दोगुना है जिससे हम बहुत परेशान हैं.
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