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Rajya Sabha Byelection : राज्यसभा में एमपी से सिंधिया की जगह लेने के लिए सियासी उठापटक तेज

Rajya Sabha Byelection : राज्यसभा में एमपी से सिंधिया की जगह लेने के लिए सियासी उठापटक तेज

संसद के Upper House राज्यसभा के कुछ सांसद हाल ही में संपन्न हुए Lok Sabha Election में जीत दर्ज कराकर संसद के निचले सदन के सदस्य बन गए हैं. इस कारण राज्य सभा की लगभग 10 सीटें खाली हुई है. इनमें एमपी से राज्यसभा में भाजपा के ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल हैं. संसद के उच्च सदन में अब सिंध‍िया की जगह सांसद बनने के लिए एमपी की सियासी हलचल तेज हो गई है.

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गुना में एक चुनावी सभा में समर्थकों के साथ सिंध‍िया (फाइल फोटो) गुना में एक चुनावी सभा में समर्थकों के साथ सिंध‍िया (फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश में भाजपा के कुछ बड़े राजनीतिक चेहरे इन दिनों भोपाल से दिल्ली के खूब चक्कर काट रहे हैं. इसकी वजह Rajya Sabha की एक सीट पर होने वाला चुनाव है. इस चुनाव में भाजपा का टिकट पाने को लेकर सियासी रेस दिनोंदिन तेज हो रही है. साल 2020 में एमपी की कांग्रेस सरकार को गिराकर भाजपा की सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाने वाले सिंध‍िया द्वारा हाल ही में राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के कारण इस सीट पर Byelection होना है. भाजपा हाईकमान ने एमपी की इस एक सीट के लिए अभी तक उम्मीदवार का चयन नहीं किया है. इसके मद्देनजर राज्यसभा में सिंधिया की जगह लेने के लिए पार्टी के कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा और सिंधिया को 2019 के चुनाव में गुना संसदीय सीट से हराने वाले केपी सिंह यादव सहित अन्य नेताओं के नाम चर्चा में हैं.

क्यों रोचक बना मुकाबला

एमपी से खाली हुई राज्यसभा की एक सीट पर प्रस्तावित उपचुनाव के लिए Election Commission ने अभी तक चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं किया है. इस सीट के साथ ही अन्य राज्यों से भी उच्च सदन की 9 सीटों के लिए उपचुनाव होना है. बाकी सीटों को छोड़ दें तो, एमपी की एक सीट के लिए मुकाबला बहुत रोचक हो गया है. इस मुकाबले को रोचक बनाने वाले घटनाक्रम की शुरुआत Lok Sabha Election 2019 के चुनाव से हुई थी.

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हालांकि सिंधिया के भाजपा में आने से केपी सिंह के लिए राजनीतिक संकट पैदा होने लगा. इस बीच MP Assembly Election  2023 में राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को दतिया सीट से चुनावी हार का सामना करना पड़ गया. इसके कुछ समय बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने चौंकाने वाला फैसला करते हुए गुना सीट से केपी यादव का टिकट काटकर सिंधिया को चुनाव मैदान में उतार कर निचले सदन में भेजने का काम किया.

नतीजतन सिंधिया द्वारा राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद एमपी से उच्च सदन जाने वालों की होड़ में नरोत्तम और केपी का नाम सहज तौर पर सामने आया है. हालांकि BJP Leadership के लिए इन दोनों नेताओं को सरकार या संगठन में माकूल दायित्व देने की वचनबद्धता को पूरा करने की दरकार है. वहीं, चुनाव के लिए सिर्फ एक सीट ही उपलब्ध होने के कारण 'एक अनार सौ बीमार' वाली स्थिति बन गई है. यही वजह है कि राज्यसभा की एमपी से इकलौती सीट के लिए मुकाबला रोचक हो गया है.

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ये भी हैं दावेदार

एमपी में भाजपा के कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा ने हालांकि राज्यसभा की सीट के लिए अपनी प्रत्यक्ष दावेदारी पेश नहीं की है, लेकिन गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लगभग 6 लाख नेताओं और कार्यकर्ताओं को भाजपा से जोड़ने के कारण पार्टी हाईकमान उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देना चाहता है. वहीं, सिंधिया घराने की परंपरागत सीट रही गुना से ज्योतिरादित्य को हराने के बावजूद केपी का टिकट कटने से गुना के कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी.

गत लोकसभा चुनाव में Home Minister अमित शाह ने गुना की जनसभा में केपी समर्थकों से निराश न होने की अपील करते हुए उनके नेता को उपयुक्त जिम्मेदारी देने का वादा किया था. केपी समर्थकों को उम्मीद है कि राज्यसभा का उपचुनाव, शाह के वादे को पूरा करने का उपयुक्त समय साबित होगा. यह बात दीगर है कि केपी और नरोत्तम के नाम पर भाजपा आलाकमान ने भले ही कोई फैसला न लिया हो, लेकिन सूत्रों की मानें तो इस एक सीट के लिए RSS की पसंद के रूप में ग्वालियर के वरिष्ठ नेता जयभान सिंह पवैया का नाम भी चर्चाओं में है. हिंदुत्ववादी चेहरे के तौर पर पवैया संघ के करीबी भी हैं. इसके अलावा भाजपा नेतृत्व के सामने एमपी कोटे की सीट पर एमपी से इतर किसी अन्य राज्य के बड़े नेता को उच्च सदन भेजने का भी विकल्प मौजूद है.