16 दिसंबर को ओड़िशा को बोलांगीर जिले के टिटिलागढ के बनेकेइल गांव के रहने वाले किसान चमरू बाग ने जहर खा कर आत्महत्या कर ली. उन्होंने कर्ज लेकर खेती की थी, इसके बाद हुई बैमौसम बारिश के कारण उनकी फसल खराब हो गई. इससे परेशान होकर उन्होंने खुद के जीवन को समाप्त कर लिया. ओडिशा के बोलांगीर में जिले में लगभग दो महीने के अंदर किसान आत्महत्या की यह दूसरी घटना है. इससे पहले रमेश भोई नाम के किसान ने फसल नुकसान होने के कारण कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली थी. हालांकि दोनों ही किसानों को गंभीर अवस्था में भीमा भोई मेडिकल अस्पताल लाया गया था, जहां उनकी मौत हो गई थी.
ऐसा नहीं ही है कि सिर्फ बोलांगीर जिले से ही ऐसे खबरे आती हैं. प्रदेश के जाजपुर, जेयपुर जैसे जिलों से पिछले छह महीनों के अंतराल में किसानों की आत्महत्या की खबरे आई है. इन सभी मौतों का कारण फसल नुकसान ही होता है. क्योंकि किसान कर्ज लेकर इस उम्मीद के साथ खेती करते हैं कि अच्छी फसल होगी तो उसे बेचकर अपना कर्ज चुका देंगे. पर कभी मौसम की मार तो कभी कीट और रोग का प्रकोप अन्नदाताओं का आत्मविश्वास तोड़ देती है. रमेश भोई के मामले में कीट के कारण फसल नुकसान हुआ था और चमरू बाग के मामले में बेमौसम बारिश विलेन बना था.
ये भी पढ़ेंः ओडिशा में फसल नुकसान से परेशान किसान ने की आत्महत्या, कर्ज लेकर की थी खेती
इस साल आत्महत्या की खबरें लगातार रही है क्योंकि इस साल खरीफ सीजन में मौसम बारिश अनियमित हुई इसके कारण अधिकांश किसान सही समय पर धान की खेती नहीं कर पाए. इसके बाद धान की फसल तैयार होने पर बेमौसम बारिश हुई जिसके कारण किसानों की फसल हो गई. इसमे कीट और रोग का प्रकोप हो गया. इन सबकी बीच ओडिशा में एमएसपी पर धान की खरीद शुरू होने का वक्त हो गया पर, पर अभी भी कई जिलों के खदीद केंद्रों में धान की खरीद शुरू नहीं हो पाई है.
धान की सही तरीके से खरीद शुरू नहीं हो पाने के कारण किसान परेशान हैं और बेहद कम कीमतों मं अपनी ऊपज स्थानीय दलालों को बेच रहे हैं. कोरापुट और गंजम जिले में तो किसानों ने बताया की मजबूरी में 1500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान बेच रहे हैं जबकि ओडिशा में धान के लिए 2183 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी तय की गई है. यहां के आदिवासी बहुल गांवों में आंध्र प्रदेश के धान व्यापारी और स्थानीय दलाल डेरा डाले हुए हैं और किसानों से सस्ते दामों पर धान खरीद रहे हैं. किसानों का कहना है कि उन्होंन कर्ज लेकर खेती की है. अब धान की कटाई के बाद तुंरत उन्हें पैसे जरूरत है इसलिए वो कम दाम पर भी धान बेचने के लिए मजबूर हैं क्योंकि अभी तक धान की खरीद शुरू नहीं हुई है.
ये भी पढ़ेंः क्या इस साल भी गेहूं की उपज में आएगी गिरावट? जानें क्या हो सकती है वजह
राज्य में हो रही किसानों की आत्महत्याओं को लेकर पिछले महीने में राज्य में बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल ने ओडिशा के राज्यपाल से मुलाकात की थी और राज्य में किसानों के लिए सिंचाई की सुविधाएं विकसित करने की मांग की थी. दो दिन पहले ही राज्य के मुख्यमंत्री ने राज्य में 2500 करोड रुपए के मेगा लिफ्ट इरिगेशन परियोजानओं का उद्घाटन और शिलान्या किया है. जाहिर सी बात है ऐसे में किसानों को सिंचाई में थोड़ी राहत जरूर मिलेगी. गौरतलब है कि ओडिशा के कृषि मंत्री ने पिछले साल विधानसभा में बताया था कि 2016 और 2019 के बीच राज्य में 38 किसानों की आत्महत्या से मौत हुई है. जबकि 2016-17 में 16 किसानों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली, 2017-18 में 20 और दो ने आत्महत्या कर ली. 2018-19. 2019-20 और 2020-21 में किसानों की आत्महत्या की संख्या पर कोई सरकारी रिपोर्ट नहीं है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today