देशभर के अधिकतर राज्यों में रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई शुरू हो चुकी है. जिन राज्यों में बुवाई पिछड़ी हुई है, वहां भी जल्द ही इसे पूरा करने की कोशिश की जा रही है. गेहूं के उत्पादन के मामले में भारत शीर्ष पर है. कई देशों में भारत की तरफ से गेहूं निर्यात किया जाता है. हालांकि, पिछले कुछ साल से गेहूं की उपज में गिरावट आ रही है, वह भारत के लिए चिंता का विषय है. वहीं गेहूं के उत्पादन में गिरावट से आटे के रेट में बढ़ोतरी हो सकती है.
पिछले दो साल में गेहूं की फसल पर मौसम मेहरबान नहीं रही है. क्योंकि साल 2023 के मार्च महीने में ही तापमान जून-जुलाई के बराबर पहुंच गया था. अचानक तापमान बढ़ने से गेहूं की फसल अच्छी ग्रोथ नहीं कर पाई. वहीं फसल समय से पहले पक गई. इससे गेहूं का उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हुआ था. वहीं, साल 2022 के सीजन में जब गेहूं पकने का समय आया तो बेमौसम बारिश ने सारा उत्पादन पर असर डाला था. इससे गेहूं के दानों पर काफी असर पड़ा और उसकी उपज प्रभावित हुई.
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इस साल गेहूं की फसल पर सूखा भारी पड़ सकता है. असल में अक्टूबर में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई थी. वहीं, नवंबर में भी बारिश रूठी रही है. जबकि तापमान गर्म रहा है. इस वजह से गेहूं की बुवाई काफी प्रभावित हुई है. वहीं दिसंबर के पहले सप्ताह में पिछले साल की तुलना की जाए तो 4 फीसदी तक गेहूं का रकबा कम हुआ है. इस साल को अल नीनो के साल के तौर पर घोषित किया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, फरवरी के बाद अल नीनो का असर और तेज होगा. यह भी एक वजह होगा जो गेहूं की फसल को प्रभावित करेगा.
केंद्र सरकार के मुताबिक, नवंबर महीने में गेहूं का बफर स्टॉक 210 लाख मीट्रिक टन है. वहीं कम होते स्टॉक के चलते गेहूं की कीमतों में भी इजाफा हो रहा है. हालांकि, सरकार कीमत नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है. सरकार की तरफ से गेहूं को ओपन मार्केट सेल के तहत उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके लिए बफर स्टॉक का प्रयोग किया जाना है. ऐसे में गेहूं का बफर स्टॉक और कम हो सकता है, जो सरकार और लोगों के लिए चिंता का विषय है.
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