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देश में फल-सब्जियों की खेती से जुड़े 4 करोड़ किसान, राष्ट्रीय बागवानी मिशन से मिली बड़ी कामयाबी

देश में फल-सब्जियों की खेती से जुड़े 4 करोड़ किसान, राष्ट्रीय बागवानी मिशन से मिली बड़ी कामयाबी

उत्पादन में यह बढ़ोतरी किसानों द्वारा किए जा रहे नए प्रयोगों से आ रही है. किसान नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनमें प्लास्टिक मल्च, लो टनल ग्रीन हाउस, हाइड्रोपॉनिक्स जैसी आधुनिक तकनीक शामिल है. इसके जरिए लागत में कमी आई है साथ ही उत्पादन नें बढ़ोतरी हुई.किसान बागवानी फसलों की खेती इसलिए करना चाहते हैं क्योंकि इसमें कम लागत और कम समय अच्छी कमाई हो जाती है.

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बागवानी फसलों का बढ़ा उत्पादन (सांकेतिक तस्वीर) बागवानी फसलों का बढ़ा उत्पादन (सांकेतिक तस्वीर)

राष्ट्रीय बागवानी मिशन के जरिए अबू तक देश में एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. आज देश में चार करोड़ ऐसे किसान हैं जो बागवानी से जुड़े हुए हं. देश में करीब 28 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी फसलों की खेती की जाती है. हालांकि हमारी बागवानी उत्पादकता 12.49 टन प्रचि हेक्टेयर है जो अन्य देशों की तुलना में काफी कम है. इसके कारण हम बागवानी में चीन से पीछे होकर दूसरे नंबर पर हैं. पर यही कमी देश के किसानों को एक अवसर प्रदान करती है. किसान उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाकर इसे नई ऊचाईयों तक पहुंचा सकते हैं. बागवानी फसलों में नई तकनीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए देश के वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं. नए बीजों का अविष्कार कर रहे हैं. 

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2022-23 के लिए जारी तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार यह पता चला है कि उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है. इस वर्ष में कुल उत्पादन 355.25 टन होने की उम्मीद है. जो पिछले वर्ष के अंतिम उत्पादन आंकड़ों की तुलना में 8.07 मिलियन अधिक है. इस रिपोर्ट के अनुसार फल, सब्जियों , मसाला, फूल और शहद का उत्पादन बढ़ने वाला है. 2021-22 में फलों का उत्पादन 107.51 मिलियन टन था जो 2022-23 में बढ़कर 107.51 मिलियन टन होने का अनुमान है. जबकि सब्जियों का उत्पादन 273.88 मिलियन टन हो सकता है. जो 2021-22 में 209-14 मिलियन टन था. 

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नई तकनीकों के इस्तेमाल से बढ़ा उत्पादन

उत्पादन में यह बढ़ोतरी किसानों द्वारा किए जा रहे नए प्रयोगों से आ रही है. किसान नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनमें प्लास्टिक मल्च, लो टनल ग्रीन हाउस, हाइड्रोपॉनिक्स जैसी आधुनिक तकनीक शामिल है. इसके जरिए लागत में कमी आई है साथ ही उत्पादन नें बढ़ोतरी हुई.किसान बागवानी फसलों की खेती इसलिए करना चाहते हैं क्योंकि इसमें कम लागत और कम समय अच्छी कमाई हो जाती है. वैज्ञानिकों द्वारा भी लगातार किसानों को इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है.  इसका  परिणाम यह है कि देश के किसानों का ध्यान अब परंपरागत खेती के बजाय बागवावी फसलों की तरफ जा रहा है. 

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13 गुणा बढ़ा है उत्पादन

देश में बागवानी फसलों की खेती एक नई संभावनाओं के तौर पर उभर रही है. इसे प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने देश में राष्ट्रीय बागवानी मिशन की शुरुआत की थी. इस मिशन के शुरू होने के बाद से फल और सब्जियों के निर्यात में 14 प्रतिशत और प्रसंस्कृत फल और सब्जियों के निर्यात में 16.5 फीसदी की बढ़ोतरी देखने के लिए मिली है. देश में बागवानी फसलों का उत्पादन 1950-51 के 25 मिलियन टन से 13 गुणा अधिक बढ़कर आज 341.65 मिलियन टन हो गया है. जो कुल खाद्यान्न उत्पादन से भी अधिक है.