रासायनिक खादों और कीटनाशकों वाली खेती छोड़ने के लिए किसानों से की गई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील रंग ला रही है. ऑर्गेनिक खेती के बढ़ते रकबे से इसकी तस्दीक हो रही है. फरवरी 2024 तक की मिली रिपोर्ट के अनुसार इस समय देश में ऑर्गेनिक खेती का रकबा 64,04,113 हेक्टेयर हो गया है. यह तो तब है जब रासायनिक खादों और कीटनाशकों को बनाने, बेचने वाली लॉबी किसानों को डराती रहती है कि उत्पादन कम हो जाएगा. बहरहाल, ये आंकड़ा राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) के तहत प्रमाणित है. पिछले चार साल में ही जहर मुक्त खेती का दायरा बढ़कर दोगुना से अधिक हो गया है. साल 2019-2020 के दौरान देश में सिर्फ 29,41,678 हेक्टेयर में ही किसान जैविक खेती (Organic Farming) कर रहे थे. बहुत से और किसान जैविक खेती शुरू कर चुके हैं लेकिन उनका सर्टिफिकेशन बाकी है. यानी यह दायरा और बढ़ने की उम्मीद कायम है. जैविक खेती के मामले में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सबसे आगे हैं.
भारत में जैविक खेती की तरफ सरकार का ध्यान 2004-05 में गया. तब जैविक खेती के लिए राष्ट्रीय परियोजना की शुरूआत की गई. नेशनल सेंटर ऑफ ऑर्गेनिक फार्मिंग (NCOF) के अनुसार 2003-04 में भारत में जैविक खेती सिर्फ 76,000 हेक्टेयर में ही हो रही थी. जो 2009-10 में बढ़कर मुश्किल से 10,85,648 हेक्टेयर ही हो पाई थी. साल 2014 में सत्ता में आने के बाद नरेंद्र मोदी ने किसानों से जहर मुक्त खेती करने की अपील करना शुरू किया. उन्होंने बार-बार यह कहा कि धरती मां को जहर से बचाना है. काफी किसान उनकी बातों को मानते हुए अब रासायनिक खाद और कीटनाशक छोड़ रहे हैं.
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केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2021-22 के दौरान देश में जैविक खेती का रकबा 59,12,414 हेक्टेयर था, जो अब 64,04,113 हेक्टेयर हो गया है. यह 2020-21 में सिर्फ 38,08,771 हेक्टेयर ही था. खास बात यह है कि यह रकबा प्राकृतिक खेती से अलग है. इतनी तेजी से जहरमुक्त खेती का रकबा बढ़ने को कृषि विशेषज्ञ सुखद मान रहे हैं. क्योंकि ऐसा होने से सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले कृषि उत्पाद पैदा नहीं होंगे. हरित क्रांति की शुरुआत से पहले भारत में ज्यादातर खेती जैविक ही हो रही थी. केंद्र सरकार ने कृषि सुधार के लिए जो कमेटी बनाई है उसका एक काम जहरमुक्त खेती को बढ़ावा देने का रोडमैप भी तैयार करना है, जिस पर काम चल रहा है.
राज्य | हेक्टेयर |
मध्य प्रदेश | 1592937.11 |
महाराष्ट्र | 1301474.15 |
गुजरात | 937931.00 |
राजस्थान | 678679.80 |
आंध्र प्रदेश | 230916.02 |
Source: Ministry of Agriculture |
कई किसान ऐसा मानते हैं कि वो रासायनिक खादों और कीटनाशकों के बिना खेती कर रहे हैं तो उसमें पैदा होने वाली कृषि उपज ऑर्गेनिक है. लेकिन यह पूरा सच नहीं है. इसके लिए सर्टिफिकेशन की जरूरत पड़ती है. आपका ऑर्गेनिक उत्पाद तभी बिकेगा जब इसका प्रमाण पत्र होगा कि आपकी फसल वाकई ऑर्गेनिक थी. प्रमाण पत्र लेने से पहले खाद, बीज, मिट्टी, बुवाई, सिंचाई, कटाई, कीटनाशक और पैकिंग आदि हर कदम पर जैविक सामग्री की जरूरत होती है. खेत में इस्तेमाल की गई सामग्री का पूरा ब्यौरा रखना होता है, तब सर्टिफिकेशन मिलता है.
फसल | रासायनिक खेती | जैविक खेती | जैविक में ज्यादा उत्पादकता |
गन्ना (टन) | 817 | 942 | 15.26 |
चावल (क्विंटल) | 78 | 88 | 12.82 |
मूंगफली (क्विंटल) | 14 | 18 | 28.57 |
सोयाबीन (क्विंटल) | 51 | 74 | 45.09 |
गेहूं (क्विंटल) | 35 | 45 | 28.57 |
फल-सब्जियां (क्विंटल) | 14 | 15 | 7.14 |
Source: IARI |
रासायनिक खादों और कीटनाशकों को बनाने और बेचने वाली लॉबी के लोग ऐसा दावा करते हैं कि ऑर्गेनिक खेती में फसलों की उत्पादकता घट जाती है. अगर ऐसी खेती ज्यादा बढ़ी तो भारत में अन्न का संकट पैदा हो जाएगा. ऐसे दावों को कृषि क्षेत्र में रिसर्च करने वाली सबसे बड़ी संस्था भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अधीन आने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने सिरे से खारिज कर दिया है.
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