मिट्टी के महत्व और उसकी क्वालिटी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हरियाणा के अंबाला में मंगलवार को विश्व मृदा दिवस मनाया गया. यहां विश्व मृदा दिवस के अवसर पर किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. विश्व मृदा दिवस के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे किसानों को कृषि विभाग द्वारा मृदा हेल्थ कार्ड भी दिए गए ताकि उनकी जमीन की सैंपलिंग की जा सके और किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाया जा सके. किसान मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखें, इसमें मृदा कार्ड मदद करेगा. कार्यक्रम में कृषि विभाग की डीजी नरहरि सिंह बांगर ने भी शिरकत की और किसानों से रूबरू हुए.
अंबाला में विश्व मृदा दिवस के उपलक्ष में कृषि विभाग की ओर से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसमें कृषि विभाग के डीजी नरहरि सिंह बांगर ने शिरकत की और किसानों से मिले. उन्होंने किसानों से बात करते हुए बताया कि मृदा दिवस के अवसर पर किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, ताकि वह मिट्टी के महत्व को समझ सकें और धरती की उपजाऊ शक्ति को और बढ़ा सकें. इससे उन्हें एक अच्छी फसल प्राप्त होगी. इसके लिए किसानों को सॉइल हेल्थ पत्र भी सौंपे जा रहे हैं. इसमें समय-समय पर उनके खेत की जमीन की सैंपलिंग की जाएगी और जो भी उसमें कमियां हैं, वह किसानों को बताई जाएगी. दवाई के छिड़काव में भी इससे मदद मिलेगी और जमीन की उर्वरता को बढ़ाई जा सकेगी.
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विश्व मृदा दिवस के बारे में आयोजित कार्यक्रम के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए डिप्टी डायरेक्टर कृषि विभाग डॉ जसविंदर सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम का काफी महत्व है, क्योंकि इसका सीधा लाभ किसानों तक पहुंच रहा है. किसानों को मृदा यानी मिट्टी की जानकारी होना बेहद जरूरी है. इससे किसान ज्यादा खर्च करने से बचता है क्योंकि जिस प्रकार एक छोटे बच्चे का हेल्थ कार्ड बनता है इसी तरह मृदा के स्वास्थ्य का भी समय-समय पर जांच करना बेहद जरूरी है, ताकि किसान अच्छी फसल प्राप्त कर सके. इसके लिए यह कार्यक्रम देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी कराई जा रही है. ऐसे कार्यक्रमों का लाभ किसानों को मिल रहा है.
सॉइल हेल्थ कार्ड से किसान अपने खेत की मिट्टी की जांच करवा सकते हैं. इस कार्ड के जरिए किसान पता लगा सकते हैं कि मिट्टी में किन पोषक तत्वों की कमी है. साथ ही कितना पानी इस्तेमाल करना है. किस फसल की खेती करने से उन्हें ज्यादा लाभ होगा. कार्ड बन जाने के बाद किसान को मिट्टी की सेहत, उत्पादन क्षमता, मिट्टी में नमी का स्तर, क्वालिटी और मिट्टी की कमजोरियों को सुधारने के तरीकों की भी जानकारी मिलती है.
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