किसान अपनी फसल की क्वालिटी और उत्पादन को बढ़ाने के लिए रोज नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं. कई किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए रासायनिक खादों और कीटनाशकों का उपयोग करते हैं तो कई किसान प्राकृतिक और जैविक खादों का इस्तेमाल करते हैं. पर क्या आप जानते हैं फसल के उत्पादन में फॉस्फेट तत्व का प्रमुख योगदान होता है. दरअसल रासायनिक उर्वरकों के लगातार उपयोग करने से जमीन सख्त हो रही है, मिट्टी में पानी सोखने की क्षमता घटती जा रही है.
वहीं दूसरी तरफ रासायनिक खाद के उपयोग से स्वास्थ्य पर गलत असर भी पड़ रहा है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए, नया उत्पाद विकसित किया गया है, जिसमें कार्बनिक खाद के साथ-साथ रॉक फॉस्फेट की मौजूदगी भी होती है. जिसे हम प्रोम के नाम से जानते हैं.
प्रोम, जैविक खाद बनाने की एक नई तकनीक है. प्रोम (फॉस्फोरस रिच ऑर्गेनिक मेन्योर) तकनीक से जैविक खाद घर पर भी तैयार की जा सकती है. जैविक खाद बनाने के लिए गोबर और रॉक फॉस्फेट को प्रयोग में लाया जाता है. प्रोम में विभिन्न फॉस्फोरस युक्त कार्बनिक पदार्थों जैसे- गोबर खाद, चीनी मिल का प्रेस मड, विभिन्न प्रकार की खली आदि को रॉक फॉस्फेट के साथ कम्पोस्टिंग करके बनाया जाता है. प्रोम मिनरल उर्वरक और जैविक खाद का मिश्रण है, जो केवल कृषि में उपयोग के लिए काम में लाया जाता है. प्रोम का उपयोग पौधों को फॉस्फोरस (फॉस्फोरस पादप पोषक तत्व) उर्वरक प्रदान करने के लिए किया जाता है.
ये भी पढ़ें:- Fertiliser Price: सरकार बढ़ा सकती है यूरिया पर सब्सिडी, वैश्विक कीमतों में उछाल के बाद एनबीएस सब्सिडी रिव्यू की संभावना
‘फॉस्फोरस रिच जैविक खाद’ घर पर भी रॉक फॉस्फेट के द्वारा बनाई जा सकती है. रॉक फॉस्फेट के अलग-अलग रंग होते हैं, रॉक फॉस्फेट एक तरह का पत्थर है, जिसके अंदर 22 फीसदी फॉस्फोरस मौजूद है जो कि फिक्स फोम में होता है. प्रोम बनाने के लिए कमर्शियल में 10 फीसदी के आसपास फॉस्फोरस मेंटेन किया जाता है, लेकिन हम घर पर बनाने के लिए 20 फीसदी तक फॉस्फोरस इस्तेमाल में ले सकते हैं. इसे बनाने के लिए किसी भी जानवर का गोबर ले सकते हैं. घर में मौजूद कूड़ा-कर्कट या फिर फसलों के अवशेष जिससे खाद बनाते हैं वो भी ले सकते हैं.
प्रोम बनाने के लिए सबसे पहले गाय या भैंस का 500 किलो गोबर लीजिए, इसके ऊपर से सूखी पत्तियां डाल दीजिए, बाद में ऊपर से 500 किलो रॉक फॉस्फेट का (पाउडर फोम में) छिड़काव करें, फिर वेस्ट डी कंपोजर का छिड़काव करें और इसे कम से कम 30 से 35 दिनों तक ढककर रखें, जिसके बाद जैविक खाद तैयार हो जाएगी.
वेस्ट डी-कंपोजर जैविक खेती कर रहे किसानों के लिए जैविक खाद का एक बेहतर विकल्प है. कम खर्च में किसान इसकी मदद से खुद खाद बना सकते हैं. इसके उपयोग के बाद किसान को फसल में रासायनिक कीटनाशक और उर्वरक देने की जरूरत नहीं होती है. इसकी खास बात ये है कि यह जड़ और तना संबंधी बीमारियों के लिए उपयोगी होता है.\
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today