महंगाई को काबू में रखने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. यह कदम भारत ब्रांड आटा के लिए भी उठाया गया है. सरकार ने नेशनल एग्रीकल्चरल कॉपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन यानी कि NAFED और नेशनल कॉपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी कि NCCF को किसानों से सीधा गेहूं खरीदने का निर्देश दिया है. यह आदेश पहली बार आया है जिससे किसानों की कमाई बढ़ाने और महंगाई को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी.
नेफेड और एनसीसीएफ ही दो एजेंसियां हैं जो भारत आटा की बिक्री को मैनेज करती हैं. ये दोनों एजेंसियां भारत चना दाल और भारत चावल भी बेचती हैं. हाल में बढ़ी महंगाई को देखते हुए सरकार ने खुले बाजार में भारत आटा, भारत चना और भारत चावल उतारा है जिसका दाम कम रखा गया है. आटा, चावल और दालों की महंगाई को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया.
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अभी तक का नियम देखें तो एफसीआई ही ऐसी एजेंसी है जो किसानों से सीधा अनाज की खरीद करती है और उसे नेफेड और एनसीसीएफ को देती है. फिर ये दोनों एजेंसियां भारत ब्रांड के तहत आटा, चावल और दाल की बिक्री करती आई हैं. लेकिन अब इन दोनों एजेंसियों को भी किसानों से सीधा खरीद करने का आदेश दे दिया गया है. इस तरह एफसीआई का रोल इसमें खत्म हो गया है. हालांकि यह फैसला केवल भारत ब्रांड की ब्रिकी के लिए लिया गया है. भारत ब्रांड को पिछले साल लॉन्च किया गया था.
'Economic Times' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों एजेंसियां किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी कि MSP पर गेहूं की खरीद करेंगी. नेफेड और एनसीसीएफ के लिए खरीद की मात्रा की कोई लिमिट नहीं रखी गई है. एजेंसियां जितना चाहें, उतनी खरीद कर सकती हैं. भारत ब्रांड की शुरुआत सरकार ने इसलिए की थी ताकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत फ्री राशन दिया जा सके. भारत ब्रांड के तहत सरकारी एजेसियां ई-कॉमर्स साइट पर और अपने स्टोर से डायरेक्ट ग्राहकों को अनाज और दालों की बिक्री करती हैं.
अभी हाल में प्याज और टमाटर की महंगाई को देखते हुए इन एजेंसियों ने इसकी बिक्री की थी और आम लोगों को राहत पहुंचाई थी. केंद्रीय भंडार, नेफेड और एनसीसीएफ अपने 24,000 रिटेल स्टोर और मोबाइल वैन से अपने प्रोडक्ट बेचती हैं. अन्य ब्रांड की तुलना में भारत ब्रांड का प्रोडक्ट सस्ता होता है. इस कदम को और अधिक बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार 'ट्रैक एंड ट्रेश' मेकेनिज्म लाने पर विचार कर रही है ताकि डिलीवरी और प्रोडक्ट की क्वालिटी पर ध्यान रखा जा सके.
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किसानों से डायरेक्ट खरीदी के बारे में एक अधिकारी ने कहा कि इससे नेफेड और एनसीसीएफ की निर्भरता एफसीआई पर से कम होगी. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ को गरीब राज्यों जैसे बिहार, राजस्थान और पूर्वी यूपी के किसानों से अनाज खरीदने का सुझाव दिया है. ये ऐसे राज्य हैं जहां किसानों को एमएसपी पर बिक्री करने का अधिक लाभ नहीं मिल पाता है. ऐसे में अगर इन किसानों को एमएसपी पर गेहूं बेचने का फायदा मिले तो उनकी कमाई बढ़ाने में मदद मिलेगी.
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