आज हम आपको उत्तर प्रदेश के बिजनौर में रहने वाले एक ऐसे शख्स से मिलवाएंगे, जिन्होंने अपने पिता की सेवा करने के लिए 1.5 लाख रुपये महीने की नौकरी को लात मार दी. अब वे गांव में आकर अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी समय बीता रहे हैं. खास बात यह है कि गांव में आजीविका चलाने के लिए उन्होंने पॉली हाउस के अंदर फूलों की खेती शुरू की है, जिससे उन्हें बंपर कमाई हो रही है. उन्हें देख कर अब दूसरे किसान भी फूलों की खेती करने लगे हैं.
दरअसल, इस शख्स का नाम अखिलेश चौधरी है. ये दुनिया की नंबर 2 शराब मल्टी नेशनल कंपनी (पर्नोड रिकार्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) में 1.5 लाख रुपये महीने की नौकरी करते थे. लेकिन पिता की तबीयत खराब होने पर उन्होंने साल 2017 में नौकरी छोड़ दी. अखिलेश ने इंडिया टुडे को बताया कि मैं अपने गृहनगर से बहुत दूर तैनात थे. एक दिन मेरी तबीयत ठीक नहीं थी और मैंने अपने दोस्त को डॉक्टर के पास ले जाने के लिए बुलाया. हमें दवा मिली और मैं अपने कमरे में लौट गया. लेकिन तबतक इतनी तबीयत खराब हो गई थी कि मैं अपनी दवा खुद लेने में सक्षम नहीं नहीं था. मैं एक ग्लास पानी भी नहीं उठा पा रहा था. फिर मैं बिस्तर पर ही लेट गया और अगले कई घंटों तक बेहोश ही पड़ा रहा.
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अखिलेश चौधरी ने बताया कि कुछ घंटों के बाद जब में उठा तो मुझे लगा कि क्या यही मेरी जिंदगी है? जहां आपात्कालीन स्थिति में मुझे एक ग्लास पानी देने वाला भी कोई नहीं है. अखिलेश ने यह भी कहा कि नौकरी के कारण मैं अपने बच्चों और परिवार को ठीक से समय नहीं दे पाता था. मेरे पिता हृदय रोगी हैं और वे तीन बार कार्डियक अरेस्ट का सामना कर चुके हैं. उस दिन अखिलेश ने अपनी नौकरी छोड़ने और अपने गांव वापस आने का फैसला किया. गांव आकर उन्होंने आय की अन्य स्रोत की तलाश शुरू कर दी, जिससे वो अपने गांव में रह कर ही पैसा कमा सकें.
शोध के दौरान, अखिलेश ने पॉलीहाउस के तहत सुरक्षात्मक खेती नामक एक सरकारी कार्यक्रम के बारे में सुना और फिर उन्होंने गांव में रहकर पॉली फार्मिंग करने का फैसला किया. नए पॉली फार्म को बनाने के लिए अखिलेश ने 1.20 करोड़ का निवेश किया और सरकार ने इसमें 58 लाख की सब्सिडी दी. इसका मतलब है कि अखिलेश ने अपनी जेब से 62 लाख रुपये का निवेश किया. अखिलेश के पास दो पॉली फार्म हाउस हैं. प्रत्येक 5 बीघे यानी कुल 10 बीघे जमीन पॉली हाउस खेती के अंतर्गत आती है. अखिलेश ने जरबेरा, जिप्सोफिला, लिलियम, रजनीगंधा और क्रिसेंथमम जैसे कई तरह के फूलों के पौधे अपने पॉली फार्म में लगाए हैं. अखिलेश गाय के गोबर के उपलों का उपयोग करके प्रति वर्ष 4000 लीटर ह्यूमिक एसिड भी बनाते हैं.
ह्यूमिक एसिड मिट्टी की संरचना में सुधार करता है और मिट्टी की पानी और पोषक तत्वों को धारण करने की क्षमता को बढ़ाता है. अखिलेश ने इंडिया टुडे को बताया कि बाजार में ह्यूमिक एसिड 500 से 1000 रुपये प्रति लीटर बिकता हैं. लेकिन हम इसे मुफ्त में बनाते हैं. अखिलेश के फार्महाउस में 12 जानवर हैं और वह जानवरों के गोबर से उपले बनाते हैं. इसे कम से कम एक साल के लिए स्टोर करते हैं. इसके बाद इसे पानी में मिलाते हैं और इस प्रक्रिया के बाद आपका होममेड ह्यूमिक एसिड तैयार है.
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अखिलेश पौधों की सिंचाई के लिए जानवरों के मूत्र का भी उपयोग करते हैं. अखिलेश ने कहा कि हमने अपने पॉली हाउस में ड्रिप सिंचाई का उपयोग किया है, क्योंकि ड्रिप सिंचाई की इस तकनीक के कारण, हम बहुत सारा पानी बचाते हैं. अखिलेश ने यह भी कहा कि ड्रिप सिंचाई सबसे कुशल और सफल तरीका है. अब अखिलेश हर महीने फूल बेचकर 2.1 लाख रुपये कमाते हैं. उन्होंने अपने पॉली हाउस में 12 लोगों को रोजगार भी दे रखा है. वे अपने फूलों को स्थानीय बाजार और दिल्ली फूल मंडी में बेचते हैं.
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