बकरी व मुर्गी पालन अच्छे मुनाफे वाले व्यवसायों में से एक है, लेकिन बदलते मौसम के साथ उनके स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया जाए, तो इससे जुड़े व्यवसायियों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. ठंड के मौसम में प्रायः देखा जाता है कि मुर्गी एवं बकरियों के बीमार होने की संभावना ज्यादा रहती है. इसलिए इनके रखरखाव पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. कैमूर जिले की पशु चिकित्सक रानी कुमारी कहती हैं कि मुर्गी व बकरियों को अधिक ठंड लगती है. इसके लिए विशेष इंतजाम करने की जरूरत है. वहीं पोल्ट्री से जुड़े किसान साधारण चीजों को समझ नहीं पाते हैं और उन्हें काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है .
बता दें कि ठंड के मौसम में मुर्गी एवं बकरे की मांग लोगों के बीच अधिक रहती हैं. सर्दी के दिनों में चिकेन और मटन काफी महंगा भी बिकता है. लेकिन एक सच यह भी है कि ठंड के मौसम में कई किसान पोल्ट्री का बिजनेस ठीक तरह से नहीं कर पाते हैं. अगर ऐसे किसान कुछ खास बातों का ध्यान रखें, तो वे मुर्गी व बकरियों को ठंड लगने से बचा सकते हैं और इस मौसम में अच्छी कमाई कर सकते हैं.
पशु चिकित्सक रानी कुमारी कहती हैं कि जिस तरह से हम लोगों को ठंड का सामना करना पड़ता है, उसी तरह से पशुओं को भी ठंड का सामना करना पड़ता है. बकरी बड़ी निरीह प्राणी है. अगर बकरियों को ठंड से नहीं बचाते हैं, तो कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. खास तौर से बड़ी बकरियों की तुलना में नवजात बकरी ज्यादा बीमार पड़ती है. वे आगे बताती हैं कि बकरियों का टीकाकरण अगर समय से नहीं हुआ, तो वे ठंड में ज्यादा बीमार पड़ती हैं. इसमें प्रमुख रूप से डायरिया, बुखार, सर्दी जुकाम सहित अन्य रोग की चपेट में आ जाती हैं. समय पर इलाज नहीं होने पर बकरियों की मौत भी हो जाती है. इसलिए उन्हें ठंड से बचाने के लिए मोटा कपड़ा पहनाना चाहिए. जिस स्थान पर वह रहती हैं, वहां पुआल बिछा देनी चाहिए या उस स्थान को गर्म रखने के लिए अपनी सुविधा अनुसार व्यवस्था करनी चाहिए.
1.डायरिया के लक्षण: अगर बकरियों को ठंड लगती है तो वे पतला दस्त करने लगती हैं. इस दौरान उनके मलद्वार गीला रहता है. जो डायरिया का लक्षण है.
2. बुखार की कैसे करें पहचान : जब बकरियों को बुखार होता है. तो उनकी कान ठंडी हो जाती है और वो सुस्त हो जाती हैं. अगर उन्हें 100 से 102 डिग्री फ़ारेनहाइट बुखार है, तो वह सामान्य हैं. लेकिन अगर शरीर का तापमान 105 से 106 डिग्री फ़ारेनहाइट है, तो उन्हें ज्यादा बुखार है.
3. टीकाकरण करवाना भी है जरूरी: रानी कुमारी कहती हैं कि अगर बकरियों को ठंड व वायरल बीमारियों से बचाना है तो पीपीआर का टीका बेहद जरूरी होता है. ये लगने के बाद छोटी मोटी बीमारियों का असर नहीं पड़ता है.
4. पानी है बेहद जरूरी: बकरियों को ठंड से बचाना है तो उन्हें ताजा पानी देना चाहिए. इसके साथ कभी गंदा पानी नहीं देना चाहिए.
पशु चिकित्सक रानी देवी कहती हैं कि जब मुर्गियों को ठंड लगती है तो वह झुंड में एक जगह आ जाती हैं. वह अलग-अलग नहीं दिखेगी. अगर किसी पोल्ट्री में मुर्गियां इस तरह की एक्टिविटी कर रहीं हैं, तो वहां तापमान बढ़ाने की जरूरत है. अधिक ठंड लगने पर मुर्गियों का विकास नहीं हो पाता है और छह से सात दिनों के अंदर उनकी मौत होने लगती है. आगे वह कहती हैं कि सामान्य रूप से मुर्गी 35 से 40 दिनों में बेचने के लिए तैयार हो जाती है. अधिक ठंड लगने पर मुर्गी 2 महीने में बेचने लायक होती है. डॉ रानी कुमारी ने एक पोल्ट्री फार्म के दौरे का जिक्र करते हुए किसान तक को बताया कि मुर्गी के रहने वाले फर्श का बेड गीला नहीं होना चाहिए. अगर फर्श गीला है तो वहां चूना का छिड़काव करना चाहिए. साथ ही गर्माहट के लिए उचित प्रबंध करना चाहिए. मुर्गियों में ठंड लगने के लक्षण दिखें तो पोल्ट्री फार्म में बल्ब या हाइलोजन लगाना चाहिए. पोल्ट्री फार्म का तापमान 25 डिग्री के आसपास रखना बेहद जरूरी है.
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