
मौसम की अनियमितता के कारण चावल के उत्पादन में इस बार कमी आई है. वहीं उत्पादन में कमी के कारण पिछले कुछ महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है. खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार चालू सीजन (अगस्त 2022-जुलाई 2023) के दौरान अनाज के उत्पादन में 2.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ नवंबर 2011 के बाद से चावल की कीमतें अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं. इस बीच, थाई राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार, चावल की कीमतों में थोड़ी नरमी आई है, हालांकि पिछले 10 दिनों में भारत के उसना चावल की कीमतों में 5 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी हुई है.
वहीं संयुक्त राष्ट्र संगठन के राइस प्राइस अपडेट के अनुसार, चावल की वैश्विक कीमतें जनवरी में मजबूती के साथ खुलीं. खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) का राइस प्राइस इंडेक्स जनवरी में औसतन 126.4 अंक रहा, जो दिसंबर की तुलना में 6.2 प्रतिशत अधिक है. अपडेट के अनुसार, सुगंधित चावल की कीमतों में भी 9.8 प्रतिशत की मजबूती आई है, जो कि चीन में लूनर नव वर्ष समारोह के मौके पर मांग, रमजान के लिए शुरुआती खरीद और पाकिस्तान में बासमती चावल के भाव में उछाल के कारण बनी हुई है.
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एग्रीकल्चरल मार्केट इनफार्मेशन सिस्टम (एएमआईएस) के अनुसार, इस सीजन में चावल का उत्पादन पिछले सीजन के 525.5 मिलियन टन के मुकाबले 511.6 मिलियन टन होने का अनुमान है. वहीं मांग 2021-22 के करीब 519.5 मिलियन टन (पिछले सीजन में 521.4 मिलियन टन) रहने का अनुमान है, जबकि सप्लाई 708.6 मिलियन टन (719.3 मिलियन टन) होने का अनुमान है.
इस बीच, थाई राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार, कीमतों में थोड़ी नरमी आई है, हालांकि पिछले 10 दिनों में भारत के उसना चावल की कीमतों में 5 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी हुई है. थाईलैंड का 5 फीसदी टूटा चावल 523 डॉलर प्रति टन से घटकर 511 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि इसका 25 फीसदी टूटा सफेद चावल 511 डॉलर से घटकर 500 डॉलर प्रति टन रह गया.
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भारत का 5 फीसदी टूटा चावल 443-47 डॉलर प्रति टन से घटकर 440-44 डॉलर, 25 फीसदी टूटा सफेद चावल 428-32 डॉलर प्रति टन से घटकर 427-31 डॉलर और उसना चावल 388-92 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 395-99 डॉलर पर रहा. पाकिस्तान का 5 फीसदी टूटा चावल 488-92 डॉलर से घटकर 483-487 डॉलर, 25 फीसदी टूटा सफेद चावल 458-462 डॉलर और उसना चावल 496-500 डॉलर से बढ़कर 533-37 डॉलर पर रहा.
पिछले कुछ महीनों में चावल की कीमतों में वृद्धि हुई है, क्योंकि मौसम की अनियमितता के कारण पूरे एशिया में धान की फसल प्रभावित हुई है. भारत में, पूर्वी राज्यों में कम वर्षा से फसल प्रभावित हुई, जबकि 1961 के बाद से आई सबसे भीषण बाढ़ ने पाकिस्तान के उत्पादन को प्रभावित किया. चीन में उत्पादन लंबे समय तक सूखे की वजह से प्रभावित हुआ, जबकि थाईलैंड और वियतनाम में भी फसल प्रभावित हुई है.
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