किसानों को मजबूत बना रही हैं ये दो सरकारी योजनाएं, ऑर्गेनिक फार्मिंग पर मिलती है मोटी आर्थिक मदद

किसानों को मजबूत बना रही हैं ये दो सरकारी योजनाएं, ऑर्गेनिक फार्मिंग पर मिलती है मोटी आर्थिक मदद

Organic Farming: इन योजनाओं के जरिए छोटे और सीमांत किसानों को प्राथमिकता देते हुए जैविक खेती वाले समूह (क्लस्टर) बनाए जाते हैं. साथ ही, यह प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित, पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देती हैं. इनका संचालन राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के माध्यम से होता है. 

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किसानों को मजबूत बना रही हैं ये दो सरकारी योजनाएं, ऑर्गेनिक फार्मिंग पर मिलती है मोटी आर्थिक मददOrganic Farming: ऑर्गेनिक फार्मिंग पर मिलती है बड़ी मदद

पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर बाकी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) लागू की जा रही है. वहीं, पूर्वोत्तर राज्यों के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र में जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (MOVCDNER) योजना चलाई जा रही है. इन दोनों योजनाओं का मकसद किसानों को जैविक खेती से लेकर फसल की प्रोसेसिंग, प्रमाणन और बिक्री तक पूरी मदद देना है. कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर की तरफ से इस बारे में लोकसभा में जानकारियां दी गईं. 

इन योजनाओं में क्‍या है खास 

उन्‍होंने बताया कि इन योजनाओं के जरिए छोटे और सीमांत किसानों को प्राथमिकता देते हुए जैविक खेती वाले समूह (क्लस्टर) बनाए जाते हैं. साथ ही, यह प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित, पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देती हैं. इनका संचालन राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के माध्यम से होता है. 

PKVY योजना के फायदे 

  • जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 3 साल में प्रति हेक्टेयर 31,500 रुपये की मदद दी जाती है. 
  • इसमें से 15,000  रुपये ऑन-फार्म और ऑफ-फार्म जैविक खाद आदि के लिए सीधे किसानों के खाते में दिए जाते हैं. 
  • मार्केटिंग, पैकेजिंग, ब्रांडिंग आदि के लिए 4,500 रुपये दिए जाते हैं. 
  • प्रमाणन और अवशेष जांच के लिए 3,000 रुपये मिलते हैं. 
  • ट्रेनिंग और जागरूकता के लिए 9,000 रुपये दिए जाते हैं. 
  • कृषि कल्‍याण राज्‍य मंत्री के अनुसार हर तरह मदद प्रति हेक्टेयर, तीन साल के लिए होती है. 

MOVCDNER योजना के इतने फायदे 

  • किसानों को प्रति हेक्टेयर 46,500 रुपये की मदद तीन सालों के लिए दी जाती है. 
  • इसमें से 32,500 रुपये जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जैविक कीटनाशक जैसे इनपुट के लिए होते हैं. 
  • इसके मार्केटिंग के लिए 4,000 रुपये मिलते हैं. 
  • जबकि प्रशिक्षण, प्रमाणन और प्रबंधन के लिए 10,000 रुपये दिए जाते हैं. 

दोनों योजनाओं में किसान अधिकतम 2 हेक्टेयर भूमि के लिए सहायता ले सकते हैं. 

किसानों के लिए फसल बीमा योजनाएं 

साल 2016 से शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपलब्ध हैं। ये योजनाएं वैकल्पिक हैं यानी राज्य सरकार और किसान अपनी इच्छा से इसमें शामिल हो सकते हैं. PMFBY उन फसलों को कवर करती है जिनके लिए पुराने रिकॉर्ड और फसल काटने के प्रयोग (CCE) के आंकड़े उपलब्ध हों. जिन फसलों पर ये आंकड़े नहीं हैं, उन्हें RWBCIS के तहत शामिल किया जा सकता है. इसमें नुकसान का आकलन मौसम के डेटा पर आधारित होता है. 

बाजार से जोड़ने की पहल 

राज्य सरकारें किसानों को बाजार से जोड़ने के लिए अपने राज्यों और दूसरे राज्यों के बड़े बाजारों में सेमिनार, वर्कशॉप, क्रेता-विक्रेता मीटिंग, प्रदर्शनियां और ऑर्गेनिक फेस्टिवल कराती हैं.  साथ ही किसानों के संगठनों को GeM प्लेटफॉर्म और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) से जोड़ा गया है ताकि वे डिजिटल मार्केटिंग कर सकें. 

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