महाराष्ट्र के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने जलवायु परिवर्तन के इस दौर में खेती की रणनीतियों को बदलने पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में किसानों को आगे बढ़ाने के लिए मिट्टी परीक्षण और बीज अनुसंधान पर ज्यादा जोर देने की जरूरत है. ताकि कम खाद-पानी में अधिक उत्पादन लिया जा सके. उन्होंने कृषि संबंधित संस्थानों को खरीफ और रबी मौसम के दौरान किसानों का उत्पादन बढ़ाने और मौसम में बदलावों की भविष्यवाणी करके मिट्टी परीक्षण और बीज अनुसंधान पर अधिक जोर देने के निर्देश दिए हैं. मुंडे की अध्यक्षता में राज्य के कृषि मंत्रालय में नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी परियोजना को लेकर समीक्षा बैठक हुई. मुंडे ने इस बैठक में कहा कि नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी योजना किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने की एक ताकत रखती है.
किसानों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल फसल उत्पादन और बीज उत्पादन प्रक्रिया के बारे में वैज्ञानिक ज्ञान होना आवश्यक है. मुंडे ने कहा कि राज्य में कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से मिट्टी परीक्षण की सुविधा उपलब्ध कराने के संबंध में जल्द ही निर्णय लिया जाएगा. संबंधित विभाग से चर्चा कर किसानों को मिट्टी परीक्षण डाक से भेजने की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया जायेगा. मुंडे ने यह भी कहा कि किसानों की मांग और प्रतिक्रिया को देखते हुए जरूरत पड़ने पर विश्वविद्यालय में मिट्टी परीक्षण केंद्रों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी.
कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने कहा कि नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी परियोजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को सशक्त बनाना और उन्हें खेती के व्यवसाय को लाभदायक बनाने में मदद करना है. 5220 गांवों में नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी परियोजना चल रही है. इस प्रथम चरण में पुराने गांवों के कार्यों को प्राथमिकता से पूरा किया जाए, गांव को घटक मानकर जनभागीदारी से योजना बनाई जाए.
मुंडे ने यह भी कहा कि महिला किसानों की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रत्येक परियोजना गांव में फार्म स्कूल आयोजित किए जाने चाहिए. नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी योजना महाराष्ट्र 2021 में भी किसानों की आय बढ़ाने पर केंद्रित है. इस योजना के लिए राज्य सरकार द्वारा आवश्यक धनराशि उपलब्ध करायी गयी है. इस योजना के माध्यम से महाराष्ट्र सरकार राज्य के सूखा प्रभावित क्षेत्रों को सूखा मुक्त बनाएगी. जिससे सूखा प्रभावित किसान खेती कर सकें. नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी योजना 2021 के माध्यम से सबसे पहले मिट्टी की गुणवत्ता की जांच की जाएगी और किसानों को उपज में सुधार और कृषि आय बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन किया जाएगा.
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पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि प्रभावित हो रही है. मुंडे ने कहा कि भविष्य में भी जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि क्षेत्र को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए पूर्व योजना बनाने और उपाय करने की जरूरत है. मुंडे ने आगे कहा कि इसके अलावा, खरीफ और रबी में ली जाने वाली दालों और अंतरफसलों के उत्पादन को बढ़ाने और बदलते पर्यावरण के लिए उपयुक्त बीज विकसित करने के लिए कृषि विभाग और कृषि विश्वविद्यालय के समन्वय में नए शोध करने पर जोर दिया जाएगा.
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