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मंडी में आलू का सही भाव नहीं मिलने से किसान मायूस, लागत निकालना हुआ मुश्किल

मंडी में आलू का सही भाव नहीं मिलने से किसान मायूस, लागत निकालना हुआ मुश्किल

किसान, मंडी आढ़ती, कारोबारी और ट्रेडर्स सभी आलू के मौजूदा रेट को लेकर खासे फिक्रमंद हैं. सभी यूपी और केन्द्र सरकार से आलू किसानों को राहत देने की मांग कर रहे हैं. 

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फर्रुखाबाद आलू मंडी का फाइल फोटो. फर्रुखाबाद आलू मंडी का फाइल फोटो.

यूपी के कई हिस्सों में आलू की खुदाई शुरू हो चुकी है. मंडियों में भी नया आलू पहुंचने लगा है. वहीं आलू की बड़ी बेल्ट आगरा-अलीगढ़ में 20 फरवरी के बाद खुदाई शुरू होगी, लेकिन इक्का-दुक्का खेतों में किसानों ने यहां भी आलू निकालना शुरू कर दिया है. खुदाई के दौरान आलू की उपज देखकर किसान खुश हैं. दरअसल, बीते साल के मुकाबले एक बीघा खेत में ज्यादा आलू निकल रहे हैं. लेकिन आलू लेकर मंडी पहुंचने पर  किसान निराश हो रहे हैं. मंडी में आलू के जो रेट तय हो रहे हैं उससे लागत भी नहीं निकल रही है. दूसरे कई राज्यों में आलू की अच्छी फसल होने से मंडी में बाहर के कारोबारी भी कम ही आ रहे हैं. मंदी से बचने के लिए हर एक किसान अपनी फसल को कोल्ड स्टोरेज में पहुंचाने की जुगत में लगा हुआ है.  

आलू किसानों की संस्था आगरा मंडल आलू उत्पादक संघ के अध्यक्ष आमिर अली का कहना है कि जिस तरह से चारों तरफ आलू की अच्छी फसल हो रही है उससे सरकार को चाहिए कि वो पड़ोसी देश बांग्लादेश और पाकिस्ता‍न में आलू बेचने की अनुमति दे. पहले भी दोनों पड़ोसी मुल्क में आलू जाता रहा है. अगर सरकार ऐसा नहीं कर सकती है तो केन्द्र सरकार अपनी योजना टोमेटो, अनियन, पोटेटो (टॉप) का फायदा देकर किसानों की जान बचाए. जानकारों की मानें तो आगरा और अलीगढ़ मंडल के आठ जिलों में करीब 12.5 करोड़ पैकेटआलू कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है. 

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फर्रुखाबाद के आढ़ती बोले, ऐसे तो फेंकना पड़ सकता है आलू 

फर्रुखाबाद आलू मंडी के आढ़ती रामऔतार ने किसान तक से बात करते हुए बताया कि बिना छंटा आलू मंडी में 250 से 350 रुपये क्विंटल के भाव से बिक रहा है, जबकि छांटने के बाद साफ-सुथरा, बड़ा और पीला आलू 450 से 525 रुपये तक बिक रहा है. वहीं एक क्विंटल आलू की लागत कीमत कम से कम 500 से 550 रुपये आ रही है. खेतों में आलू भी खूब निकल रहा है. एक बीघा में 50 से 70 पैकेट (एक पैकेट 50 किलो) तक आलू निकल रहे हैं. औसत 200 ट्रॉली आलू रोजाना मंडी में आ रहा है. आलू के भाव सुनकर किसान के मुंह से बोल तक नहीं फूट रहे हैं. अगर यही हाल रहा तो आलू फेंकना पड़ सकता है. 

आलू के खरीदार नहीं इसलिए और गिरे दाम 

सासनी, अलीगढ़ के आलू किसान और एक्सपोर्टर विनोद का कहना है कि आलू की पैदावार इतनी भी ज्यादा नहीं हुई है कि खपत नहीं हो पा रही है. असल बात तो यह है कि मंडी में आलू के खरीदार नहीं है. जो व्यापारी आलू में पैसा इंवेस्ट कर पूरे साल आलू धीरे-धीरे बेचते थे वो बाजार में हैं नहीं. क्योंकि तीन साल से उन्हें कुछ मिला नहीं तो वो इस बार नहीं आए. अब जिसके खरीदार नहीं होंगे तो वो चीज सस्ती ही होगी. ऐसे में अगर सरकार एक राशन कार्ड पर पांच किलो आलू अनिवार्य कर दे तो किसानों को बड़ी राहत मिल जाएगी. जब 30 रुपये किलो का गेहूं फ्री दिया जा सकता है तो आलू क्यों नहीं. 

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इसलिए बाहर का आलू व्यापारी नहीं आएगा खरीदारी करने 

आलू की ट्रेडिंग करने वाले यूपी के अजीम खान ने बताया कि इस बार सिर्फ यूपी ही नहीं दूसरे उन राज्यों में भी जहां आलू होता है कोई बीमारी नहीं फैली. आलू को जाड़ों में पाला भी नहीं लगा. कुल मिलाकर आलू की पैदावार अच्छी हुई है. पश्चिम बंगाल में भी आलू खूब हुआ है. इसलिए बंगाल के साथ ही बिहार और झारखंड का व्यापारी अब आलू खरीदने यूपी में नहीं आएंगे, जबकि यूपी का गुल्ला (छोटा साइज) आलू खूब जाता है. बीते साल भी बंगाल आगरा-अलीगढ़ से करीब 1.5 करोड़ पैकेटे आलू खरीदकर ले गए थे.     

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